कोलकाता : पश्चिम बंगाल के चंदननगर (हुगली) की रहने वाली स्कूल शिक्षिका पियाली बसाक ने बिना ऑक्सीजन के चढ़ाई कर 22 मई को माउंट एवरेस्ट को फतह किया था, लेकिन उनकी इस उपलब्धि को अभी तक मान्यता नहीं दी गई है, क्योंकि पियाली अब तक एवरेस्ट अभियान के लिए सुरक्षा परमिट के रूप में चार लाख रुपये जमा नहीं कर पाई हैं. सुरक्षा राशि (security money) जमा नहीं करने के कारण पियाली बसाक की एवरेस्ट फतह की मान्यता पर रोक लगा दी गई है. जब तक वह सुरक्षा राशि जमा नहीं करती हैं, उन्हें हिमालयी पर्वतारोहण का प्रमाण-पत्र नहीं मिलेगा. पियाली बसाक के सामने पैसे जुटाने और प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए एकमात्र विकल्प क्राउडफंडिंग है.
चंदननगर के कनाईलाल विद्यामंदिर की 31 वर्षीय शिक्षिका पियाली बसाक को बचपन से ही पहाड़ों पर चढ़ाई करने का शौक था. उन्होंने सबसे पहले चंदननगर पर्वतारोहण स्कूल में पर्वतारोहण सीखना शुरू किया था. धौलागिरी चोटी फतह करने के बाद, उनका लक्ष्य आर्थिक कठिनाइयों को दूर करते हुए एवरेस्ट को फतह करना था. लेकिन, इन दो पर्वतारोहण अभियानों के लिए पियाली को 35 लाख रुपये जमा करने की जरूरत थी. विभिन्न जगहों से क्राउडफंडिंग के जरिए 25 लाख रुपये जुटाए गए. रोटरी क्लब ऑफ चंदननगर ने अकेले 15 लाख रुपये जुटाए थे.
फिर भी पियाली को एवरेस्ट अभियान के लिए परमिट नहीं मिल रहा था, क्योंकि उन्होंने सुरक्षा राशि के रूप में चार लाख रुपये जमा नहीं किए थे. कैंप 4 से एक वीडियो संदेश में उन्होंने आर्थिक मदद मांगी थी. इसके बाद चंदननगर रोटरी क्लब के सदस्यों में से एक तापस साहा को चार लाख रुपये की सुरक्षा राशि का गारंटर बन गया था. तब जाकर पियाली और उनके शेरपा को अभियान शुरू करने की अनुमति दी गई थी.
यह भी पढ़ें- बिना ऑक्सीजन माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही बनीं पियाली बसाक
यह भी पता चला है कि पियाली फिलहाल लोत्से (Lotse) के रास्ते में हैं, जो कैंप 4 से उनका दूसरा लक्ष्य है. हालांकि, लोत्से की जीत के बाद, पियाली को दो अभियानों के लिए सफलता का प्रमाण-पत्र प्राप्त होगा. लेकिन उससे पहले उन्हें 10 लाख रुपये जमा करने होंगे. नहीं तो बंगाल की इस लड़की की सफलता की कहानी अधूरी रह जाएगी.