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टीएमसी की बीजेपी में फूट डालने की रणनीति, कहा- बंगाल कैबिनेट पद से वंचित

टीएमसी का कहना है कि कैबिनेट मंत्री उन्हें नामित किया गया है, जो एनडीए शासित राज्य से थे और जिन्हें राज्य मंत्री (cabinet ministers) के रूप में नामित किया गया था, वे गैर-एनडीए शासित राज्यों के थे.

टीएमसी की बीजेपी में फूट डालने की रणनीति
टीएमसी की बीजेपी में फूट डालने की रणनीति
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Published : Jul 10, 2021, 5:48 AM IST

Updated : Jul 10, 2021, 6:15 AM IST

कोलकाता : सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (rinamool Congress) भगवा खेमे में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. पार्टी का आरोप है कि कैबिनेट फेरबदल में केवल भाजपा नेताओं को जगह दी गई है. टीएमसी का कहना है कि कैबिनेट मंत्री उन्हें नामित किया गया है, जो एनडीए शासित राज्य से थे और जिन्हें राज्य मंत्री (cabinet ministers) के रूप में नामित किया गया था, वे गैर-एनडीए शासित राज्यों के थे. राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक बार फिर बंगाल में विपक्षी भगवा खेमे को अस्थिर करने के लिए एक सूक्ष्म कदम के रूप में देख रहे हैं.

राज्यसभा (Rajya Sabha) में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन (Derek O'Brien) ने इस मामले में ट्वीट किया है. उनके अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट के नए फेरबदल में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार जैसे भाजपा शासित या एनडीए शासित राज्यों के सांसदों को कैबिनेट मंत्री रैंक से सम्मानित किया गया है, जबकि तमिलनाडु और केरल (Tamil Nadu and Kerala) जैसे विपक्षी शासित राज्यों के सांसदों को राज्य मंत्री रैंक से सम्मानित किया गया है.

नए फेरबदल में भाजपा के बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) को सात साल के केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के बाद पद छोड़ना पड़ा. हालांकि बंगाल के लिए एकमात्र सकारात्मक बात यह है कि पहले केवल दो केंद्रीय मंत्री थे और नए फेरबदल में यह संख्या दोगुनी होकर चार हो गई है. डॉ सुभाष सरकार, जॉन बारला, शांतनु ठाकुर और निशीथ प्रमाणिक अब राज्य के नए मंत्री हैं, हालांकि यह सभी राज्य मंत्री हैं.

स्वाभाविक रूप से तृणमूल कांग्रेस ने इस मामले में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का उपहास करने का मौका नहीं छोड़ा. इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने दिलीप घोष ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए सवाल किया है कि क्या तृणमूल कांग्रेस अब इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन करेगी?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार, चूंकि चारों राज्य मंत्री हैं, इसलिए वे राज्य के लिए किसी भी तरह की मदद नहीं करेंगे. इस मुद्दे पर घोष ने कहा कि कैबिनेट के नेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सब कुछ संभाल लेंगे. उन्होंने कहा, 'हमारे राज्य के सभी चार मंत्री मेहनती और समर्पित हैं.'

ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य के कृषि मंत्री (state agriculture minister, Sobhondeb Chattopadhyay said that BJP never things about Beng) शोभोंडेब चट्टोपाध्याय (Sobhondeb Chattopadhyay) ने कहा कि भाजपा कभी भी बंगाल के बारे में बात नहीं करती है.

उन्होंने कहा, 'उन्होंने (BJP) ने चुनाव से पहले बंगाल के बारे में बहुत कुछ करने का वादा किया था. अब इस कैबिनेट से साफ है कि उनके वादे कितने निराधार थे.अगर भाजपा वास्तव में बंगाल को लेकर गंभीर होती, तो राज्य के कम से कम एक सांसद को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता. राज्य से चार राज्य मंत्री नियुक्त करने का फैसला भी राजनीति से प्रेरित (politically motivated) है.

चट्टोपाध्याय ने कहा कि भाजपा दावा करती है कि वे उत्तर बंगाल (north Bengal) के विकास के बारे में सोचते हैं. फिर इतने चाय बागान (tea gardens) क्यों बंद हैं. दार्जिलिंग (Darjeeling) को मैदानी इलाकों से जोड़ने वाली सड़कें क्यों क्षतिग्रस्त हो रही हैं? दरअसल, राज्य से चार मंत्रियों की नियुक्ति पार्टी में दरार को ठीक करने का प्रयास है.

इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा (Manoj Tigga) ने कहा कि नरेंद्र मोदी के लिए बंगाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितने अन्य राज्य. इसीलिए एक सांसद को महत्वपूर्ण केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union home ministry) में बर्थ दी गई है.

पढ़ें - मोदी कैबिनेट के 90 फीसद मंत्री करोड़पति, 33 के खिलाफ आपराधिक मामले : एडीआर

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अल्पसंख्यक वोट बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय (minority community ) के लिए कोई विकास नहीं हुआ है. लेकिन पश्चिम बंगाल के एक अल्पसंख्यक सांसद को फेरबदल में जगह मिली है. इसलिए तृणमूल का यह आरोप कि फेरबदल में बंगाल को वंचित किया गया है, गलत है.

इस मामले पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में वामपंथी विधायक दल (Left legislative party) के पूर्व नेता डॉ सुजान चक्रवर्ती (Dr Sujan Chakraborty) ने कहा कि मुख्य फोकस राज्य के विकास पर होना चाहिए.

यह सच है कि राज्य मंत्रियों के पास सीमित अधिकार होते हैं, लेकिन फिर भी अगर वे राज्य के विकास के लिए काम कर सकते हैं, तो यह स्वागत योग्य विकास होगा. लेकिन बेहतर होता कि बंगाल के कम से कम एक सांसद को कैबिनेट मंत्री का पद दिया जाता.

कोलकाता : सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (rinamool Congress) भगवा खेमे में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. पार्टी का आरोप है कि कैबिनेट फेरबदल में केवल भाजपा नेताओं को जगह दी गई है. टीएमसी का कहना है कि कैबिनेट मंत्री उन्हें नामित किया गया है, जो एनडीए शासित राज्य से थे और जिन्हें राज्य मंत्री (cabinet ministers) के रूप में नामित किया गया था, वे गैर-एनडीए शासित राज्यों के थे. राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक बार फिर बंगाल में विपक्षी भगवा खेमे को अस्थिर करने के लिए एक सूक्ष्म कदम के रूप में देख रहे हैं.

राज्यसभा (Rajya Sabha) में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन (Derek O'Brien) ने इस मामले में ट्वीट किया है. उनके अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट के नए फेरबदल में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार जैसे भाजपा शासित या एनडीए शासित राज्यों के सांसदों को कैबिनेट मंत्री रैंक से सम्मानित किया गया है, जबकि तमिलनाडु और केरल (Tamil Nadu and Kerala) जैसे विपक्षी शासित राज्यों के सांसदों को राज्य मंत्री रैंक से सम्मानित किया गया है.

नए फेरबदल में भाजपा के बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) को सात साल के केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के बाद पद छोड़ना पड़ा. हालांकि बंगाल के लिए एकमात्र सकारात्मक बात यह है कि पहले केवल दो केंद्रीय मंत्री थे और नए फेरबदल में यह संख्या दोगुनी होकर चार हो गई है. डॉ सुभाष सरकार, जॉन बारला, शांतनु ठाकुर और निशीथ प्रमाणिक अब राज्य के नए मंत्री हैं, हालांकि यह सभी राज्य मंत्री हैं.

स्वाभाविक रूप से तृणमूल कांग्रेस ने इस मामले में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का उपहास करने का मौका नहीं छोड़ा. इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने दिलीप घोष ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए सवाल किया है कि क्या तृणमूल कांग्रेस अब इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन करेगी?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार, चूंकि चारों राज्य मंत्री हैं, इसलिए वे राज्य के लिए किसी भी तरह की मदद नहीं करेंगे. इस मुद्दे पर घोष ने कहा कि कैबिनेट के नेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सब कुछ संभाल लेंगे. उन्होंने कहा, 'हमारे राज्य के सभी चार मंत्री मेहनती और समर्पित हैं.'

ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य के कृषि मंत्री (state agriculture minister, Sobhondeb Chattopadhyay said that BJP never things about Beng) शोभोंडेब चट्टोपाध्याय (Sobhondeb Chattopadhyay) ने कहा कि भाजपा कभी भी बंगाल के बारे में बात नहीं करती है.

उन्होंने कहा, 'उन्होंने (BJP) ने चुनाव से पहले बंगाल के बारे में बहुत कुछ करने का वादा किया था. अब इस कैबिनेट से साफ है कि उनके वादे कितने निराधार थे.अगर भाजपा वास्तव में बंगाल को लेकर गंभीर होती, तो राज्य के कम से कम एक सांसद को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता. राज्य से चार राज्य मंत्री नियुक्त करने का फैसला भी राजनीति से प्रेरित (politically motivated) है.

चट्टोपाध्याय ने कहा कि भाजपा दावा करती है कि वे उत्तर बंगाल (north Bengal) के विकास के बारे में सोचते हैं. फिर इतने चाय बागान (tea gardens) क्यों बंद हैं. दार्जिलिंग (Darjeeling) को मैदानी इलाकों से जोड़ने वाली सड़कें क्यों क्षतिग्रस्त हो रही हैं? दरअसल, राज्य से चार मंत्रियों की नियुक्ति पार्टी में दरार को ठीक करने का प्रयास है.

इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा (Manoj Tigga) ने कहा कि नरेंद्र मोदी के लिए बंगाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितने अन्य राज्य. इसीलिए एक सांसद को महत्वपूर्ण केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union home ministry) में बर्थ दी गई है.

पढ़ें - मोदी कैबिनेट के 90 फीसद मंत्री करोड़पति, 33 के खिलाफ आपराधिक मामले : एडीआर

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अल्पसंख्यक वोट बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय (minority community ) के लिए कोई विकास नहीं हुआ है. लेकिन पश्चिम बंगाल के एक अल्पसंख्यक सांसद को फेरबदल में जगह मिली है. इसलिए तृणमूल का यह आरोप कि फेरबदल में बंगाल को वंचित किया गया है, गलत है.

इस मामले पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में वामपंथी विधायक दल (Left legislative party) के पूर्व नेता डॉ सुजान चक्रवर्ती (Dr Sujan Chakraborty) ने कहा कि मुख्य फोकस राज्य के विकास पर होना चाहिए.

यह सच है कि राज्य मंत्रियों के पास सीमित अधिकार होते हैं, लेकिन फिर भी अगर वे राज्य के विकास के लिए काम कर सकते हैं, तो यह स्वागत योग्य विकास होगा. लेकिन बेहतर होता कि बंगाल के कम से कम एक सांसद को कैबिनेट मंत्री का पद दिया जाता.

Last Updated : Jul 10, 2021, 6:15 AM IST
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