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बंगाल के मुख्य सचिव की केंद्रीय सेवा में नियुक्ति का आदेश 'अवैध' है : टीएमसी - राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय

तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाने के केंद्र के आदेश से राज्य में कोविड महामारी से लड़ाई और चक्रवात यास से तबाही के बाद चल रहे राहत कार्य प्रभावित होंगे.

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Published : May 31, 2021, 7:37 PM IST

Updated : May 31, 2021, 10:31 PM IST

कोलकाता : वरिष्ठ पार्टी नेता और राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में व्यापक रूप से उन आधारों को रेखांकित किया है जिनके अनुसार मुख्य सचिव को राज्य में अपना काम जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब पश्चिम बंगाल चक्रवात से हुई तबाही और कोविड ​​​​-19 महामारी का सामना कर रहा है, केंद्र को ऐसे अधिकारी को वापस नहीं बुलाना चाहिए जो उठाए जा रहे कदमों में अहम भूमिका निभा रहे हैं. केंद्र द्वारा मुख्य सचिव को वापस बुलाए जाने से पहले न तो राज्य के विचार मांगे गए थे और न ही उसे पहले सूचित किया गया था.

इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आईएएस कैडर नियम, 1954 के नियम 6 (1) के तहत राज्य की 'सहमति' के लिए केंद्र की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं किए जाने पर बंगाल के मुख्य सचिव की केंद्रीय सेवा में नियुक्ति का आदेश एकतरफा और 'अवैध' है जिसे रद्द करने की आवश्यकता है.

केंद्र ने एक फैसले में 28 मई को बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था.

वरिष्ठ तृणमूल नेता और मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सवाल किया कि केंद्र मुख्य सचिव को पश्चिम बंगाल में काम करने के लिए सेवा विस्तार देने के पांच दिन बाद ही उन्हें क्यों वापस बुलाएगा.

इसे भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल : अलपन बंद्योपाध्याय बने मुख्य सलाहकार, एचके द्विवेदी अगले मुख्य सचिव

भाजपा के राज्य महासचिव सायंतन बसु ने राज्य व केंद्र के बीच के मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे का जल्द ही हल हो जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : वरिष्ठ पार्टी नेता और राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में व्यापक रूप से उन आधारों को रेखांकित किया है जिनके अनुसार मुख्य सचिव को राज्य में अपना काम जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब पश्चिम बंगाल चक्रवात से हुई तबाही और कोविड ​​​​-19 महामारी का सामना कर रहा है, केंद्र को ऐसे अधिकारी को वापस नहीं बुलाना चाहिए जो उठाए जा रहे कदमों में अहम भूमिका निभा रहे हैं. केंद्र द्वारा मुख्य सचिव को वापस बुलाए जाने से पहले न तो राज्य के विचार मांगे गए थे और न ही उसे पहले सूचित किया गया था.

इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आईएएस कैडर नियम, 1954 के नियम 6 (1) के तहत राज्य की 'सहमति' के लिए केंद्र की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं किए जाने पर बंगाल के मुख्य सचिव की केंद्रीय सेवा में नियुक्ति का आदेश एकतरफा और 'अवैध' है जिसे रद्द करने की आवश्यकता है.

केंद्र ने एक फैसले में 28 मई को बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था.

वरिष्ठ तृणमूल नेता और मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सवाल किया कि केंद्र मुख्य सचिव को पश्चिम बंगाल में काम करने के लिए सेवा विस्तार देने के पांच दिन बाद ही उन्हें क्यों वापस बुलाएगा.

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भाजपा के राज्य महासचिव सायंतन बसु ने राज्य व केंद्र के बीच के मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे का जल्द ही हल हो जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : May 31, 2021, 10:31 PM IST
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