ETV Bharat / bharat

ममता और मोदी के बीच जुबानी जंग की है पुरानी 'कहानी' - तानाशाहों जैसा व्यवहार मोदी शाह ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हिटलर, स्टालिन जैसे तानाशाहों की तरह व्यवहार कर रहे हैं. ममता बनर्जी ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाए जाने के प्रकरण में की है. ममता बनर्जी पहले भी कई मौकों पर केंद्रीय नेताओं के खिलाफ आक्रामक बयान दे चुकी हैं.

तानाशाहों जैसा व्यवहार कर रहे मोदी-शाह
तानाशाहों जैसा व्यवहार कर रहे मोदी-शाह
author img

By

Published : May 31, 2021, 6:14 PM IST

Updated : May 31, 2021, 8:55 PM IST

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से टकराव की स्थिति पैदा होती दिख रही है. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह की तुलना तानाशाहों से की है. उन्होंने कहा है कि मोदी और शाह हिटलर, स्टालिन जैसे तानाशाहों जैसा व्यवहार कर रहे हैं.

इस टिप्पणी के साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सभी राज्य सरकारों, विपक्षी नेताओं, आईएएस-आईपीएस, गैर सरकारी संगठनों से एक साथ मिलकर संघर्ष करने की अपील करती हैं. ममता की इस टिप्पणी से पहले अलपन बंद्योपाध्याय को आज दिल्ली में केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग (डीओपीटी) में रिपोर्ट करना था. हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया.

इसके बाद केंद्र सरकार ने सख्त रूख दिखाया. 28 मई को दिल्ली बुलाए जाने संबंधी पत्र जारी किए जाने के बावजूद अलपन सोमवार को दिल्ली रिपोर्ट करने में विफल रहे. ऐसे में केंद्र सरकार के सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई कि केंद्र अलपन बंद्योपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करेगा. सरकारी सूत्रों का कहना है कि उनके खिलाफ चार्जशीट जारी की जाएगी.

गौरतलब है कि ममता और केंद्रीय नेताओं के बीच इससे पहले भी कई मौकों पर जुबानी जंग हो चुकी है. ममता ने इससे पहले विगत 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हुई सरगर्मियों के बीच कहा था कि बंगाल दिल्ली के दो गुंडों के हाथों में नहीं जाएगा.

यह भी पढ़ें: ममता का मोदी-शाह पर निशाना, कहा- बंगाल दिल्ली के दो गुंडों के हाथों में नहीं जाएगा

उन्होंने दक्षिण दिनाजपुर में चुनावी रैली में जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'आपको यह देखना होगा कि बंगाल, बंगाल में ही रहे. गुजरात भी बंगाल पर कब्जा करने में सक्षम नहीं होना चाहिए. बंगाल दिल्ली के हाथों में नहीं होना चाहिए. हम बंगाल को दिल्ली के हाथों में नहीं छोड़ेंगे.'

दिसंबर, 2020 में ममता ने भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा पर हमला बोला था. उन्होंने भाजपा नेताओं के दौरे को लेकर टिप्पणी की थी. ममता ने कहा था कि बंगाल में आते रहते हैं, चड्डा, नड्डा, फड्डा, भड्डा...

सितंबर, 2020 में ममता ने संसद से निलंबित किए गए सांसदों के प्रकरण में भी पीएम मोदी की सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने राज्यसभा में हंगामे को लेकर आठ सांसदों को निलंबित किए जाने के फैसले के बाद ट्वीट कर कहा था, 'किसानों के हित के लिए लड़ने वाले आठ सांसदों को निलंबित किया जाना दुखद है और यह इस सरकार की निरंकुश मानसिकता को दर्शाता है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों एवं नियमों में विश्वास नहीं रखती. हम झुकेंगे नहीं और इस फासीवादी सरकार से संसद और सड़क दोनों जगह लडेंगे.'

यह भी पढ़ें- सांसदों के निलंबन पर ममता का मोदी सरकार पर वार, बताया तानाशाह

एक अन्य मौके पर अप्रैल, 2019 में भी ममता ने हिटलर और पीएम मोदी की तुलना की थी. उन्होंने रायगंज की चुनावी रैली में कहा था कि एडोल्फ हिटलर जिंदा होता, तो मोदी की गतिविधियों को देखकर खुदकुशी कर लेता.

पीएम मोदी का जवाबी हमला

ममता के आक्रामक लहजे को लेकर पीएम मोदी ने बंगाल की ही एक चुनावी रैली में सवाल खड़े किए थे. पीएम मोदी ने शास्त्रों का जिक्र करते हुए कहा कि जब कोई असफलता में, डर में, खीझ में गुस्सा करता है, तो उससे उसका मोह विचलन और ज्यादा बढ़ जाता है. फिर उसे कन्फ्यूजन होता है, फिर कन्फ्यूजन में लगातार गलती करता जाता है, बुरा करता जाता है, बुरा सोचने लग जाता है, और अपना ही सबकुछ गंवा देता है. इस गुस्से में मुझे भी क्या-क्या कहा जा रहा है, कभी रावण, कभी दानव, कभी दैत्य, कभी गुंडा. मोदी ने पूछा- दीदी इतना गुस्सा क्यों ?

ममता बनर्जी के हमले पर पीएम मोदी का पलटवार

अन्य भाजपा नेताओं और ममता का टकराव

शासकों को तानाशाह कहने की इसी कड़ी में भाजपा नेता हिमंत बिस्व सरमा भी शामिल हैं. उन्होंने ममता बनर्जी के लगातार तीसरी बार शपथ लेने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि एक तानाशाह ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है.

यह भी पढ़ें- एक तानाशाह ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली: हिमंत

सरमा ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर एक 'तानाशाह' ने शपथ ली है۔ सरमा ने बंगाल चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा، 'उनके (ममता बनर्जी) हाथ निर्दोष लोगों के रक्त से सने हैं۔' बता दें कि सरमा ने बाद में असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नवंबर, 2020 में ममता बनर्जी की तुलना तानाशाह किम जोंग उन से कर दी थी. गिरिराज ने कहा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डिक्टेटर की भूमिका निभा रही हैं. गिरिराज ने दीदी की तुलना उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन से करते हुए कहा कि जिस तरह वहां विरोधियों की बात नहीं सुनी जाती. वही हालात आज बंगाल के हैं. विरोधी दल के कार्यकर्ताओं को ममता के राज में सरेआम कत्ल किया जाता है.

यह भी पढ़ें- DoPT पश्चिम बंगाल के CS अलपन बंद्योपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई करेगा

बता दें कि ममता ने पीएम मोदी को इस मामले में पत्र भी लिखा था. बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा, 'यह तथाकथित एकपक्षीय आदेश बेवजह और आपकी खुद की स्वीकारोक्ति के उलट तथा राज्य व उसके लोगों के हितों के खिलाफ है. मैं विनम्रतापूर्वक आपसे अनुरोध करती हूं कि व्यापक जनहित में अपने तथाकथित नवीनतम आदेश को वापस लें, पुनर्विचार करें और उसे रद्द करें. मैं पश्चिम बंगाल के लोगों की तरफ से आपसे अंतरात्मा और अच्छी भावना से ऐसा करने की अपील करती हूं.'

यह भी पढ़ें- अलपन बनर्जी को दिल्ली नहीं भेज सकती, ममता ने मोदी को लिखा पत्र

ममता ने बताया कि उनके इस पत्र पर केंद्र का जवाब आया है जिसके मुताबिक बंद्योपाध्याय को मंगलवार को 'नॉर्थ ब्लॉक' में कार्यभार संभालने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि केंद्र के पत्र में मुख्य सचिव को वापस बुलाए जाने की वजह का जिक्र नहीं किया गया है. ममता ने कहा कि केंद्र किसी अधिकारी को राज्य सरकार की सहमति के बिना कार्यभार ग्रहण करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

यह भी पढ़ें- केंद्र ने प.बंगाल के मुख्य सचिव को वापस दिल्ली बुलाया

अलपन बंद्योपाध्याय से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई की रात को बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं. उनसे सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली में कार्यभार संभालने को कहा था. बता दें कि 1987 बैच के, पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी बंद्योपाध्याय को साठ साल की उम्र पूरी होने के बाद सोमवार को सेवानिवृत्त होना था.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से टकराव की स्थिति पैदा होती दिख रही है. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह की तुलना तानाशाहों से की है. उन्होंने कहा है कि मोदी और शाह हिटलर, स्टालिन जैसे तानाशाहों जैसा व्यवहार कर रहे हैं.

इस टिप्पणी के साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सभी राज्य सरकारों, विपक्षी नेताओं, आईएएस-आईपीएस, गैर सरकारी संगठनों से एक साथ मिलकर संघर्ष करने की अपील करती हैं. ममता की इस टिप्पणी से पहले अलपन बंद्योपाध्याय को आज दिल्ली में केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग (डीओपीटी) में रिपोर्ट करना था. हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया.

इसके बाद केंद्र सरकार ने सख्त रूख दिखाया. 28 मई को दिल्ली बुलाए जाने संबंधी पत्र जारी किए जाने के बावजूद अलपन सोमवार को दिल्ली रिपोर्ट करने में विफल रहे. ऐसे में केंद्र सरकार के सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई कि केंद्र अलपन बंद्योपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करेगा. सरकारी सूत्रों का कहना है कि उनके खिलाफ चार्जशीट जारी की जाएगी.

गौरतलब है कि ममता और केंद्रीय नेताओं के बीच इससे पहले भी कई मौकों पर जुबानी जंग हो चुकी है. ममता ने इससे पहले विगत 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हुई सरगर्मियों के बीच कहा था कि बंगाल दिल्ली के दो गुंडों के हाथों में नहीं जाएगा.

यह भी पढ़ें: ममता का मोदी-शाह पर निशाना, कहा- बंगाल दिल्ली के दो गुंडों के हाथों में नहीं जाएगा

उन्होंने दक्षिण दिनाजपुर में चुनावी रैली में जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'आपको यह देखना होगा कि बंगाल, बंगाल में ही रहे. गुजरात भी बंगाल पर कब्जा करने में सक्षम नहीं होना चाहिए. बंगाल दिल्ली के हाथों में नहीं होना चाहिए. हम बंगाल को दिल्ली के हाथों में नहीं छोड़ेंगे.'

दिसंबर, 2020 में ममता ने भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा पर हमला बोला था. उन्होंने भाजपा नेताओं के दौरे को लेकर टिप्पणी की थी. ममता ने कहा था कि बंगाल में आते रहते हैं, चड्डा, नड्डा, फड्डा, भड्डा...

सितंबर, 2020 में ममता ने संसद से निलंबित किए गए सांसदों के प्रकरण में भी पीएम मोदी की सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने राज्यसभा में हंगामे को लेकर आठ सांसदों को निलंबित किए जाने के फैसले के बाद ट्वीट कर कहा था, 'किसानों के हित के लिए लड़ने वाले आठ सांसदों को निलंबित किया जाना दुखद है और यह इस सरकार की निरंकुश मानसिकता को दर्शाता है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों एवं नियमों में विश्वास नहीं रखती. हम झुकेंगे नहीं और इस फासीवादी सरकार से संसद और सड़क दोनों जगह लडेंगे.'

यह भी पढ़ें- सांसदों के निलंबन पर ममता का मोदी सरकार पर वार, बताया तानाशाह

एक अन्य मौके पर अप्रैल, 2019 में भी ममता ने हिटलर और पीएम मोदी की तुलना की थी. उन्होंने रायगंज की चुनावी रैली में कहा था कि एडोल्फ हिटलर जिंदा होता, तो मोदी की गतिविधियों को देखकर खुदकुशी कर लेता.

पीएम मोदी का जवाबी हमला

ममता के आक्रामक लहजे को लेकर पीएम मोदी ने बंगाल की ही एक चुनावी रैली में सवाल खड़े किए थे. पीएम मोदी ने शास्त्रों का जिक्र करते हुए कहा कि जब कोई असफलता में, डर में, खीझ में गुस्सा करता है, तो उससे उसका मोह विचलन और ज्यादा बढ़ जाता है. फिर उसे कन्फ्यूजन होता है, फिर कन्फ्यूजन में लगातार गलती करता जाता है, बुरा करता जाता है, बुरा सोचने लग जाता है, और अपना ही सबकुछ गंवा देता है. इस गुस्से में मुझे भी क्या-क्या कहा जा रहा है, कभी रावण, कभी दानव, कभी दैत्य, कभी गुंडा. मोदी ने पूछा- दीदी इतना गुस्सा क्यों ?

ममता बनर्जी के हमले पर पीएम मोदी का पलटवार

अन्य भाजपा नेताओं और ममता का टकराव

शासकों को तानाशाह कहने की इसी कड़ी में भाजपा नेता हिमंत बिस्व सरमा भी शामिल हैं. उन्होंने ममता बनर्जी के लगातार तीसरी बार शपथ लेने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि एक तानाशाह ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है.

यह भी पढ़ें- एक तानाशाह ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली: हिमंत

सरमा ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर एक 'तानाशाह' ने शपथ ली है۔ सरमा ने बंगाल चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा، 'उनके (ममता बनर्जी) हाथ निर्दोष लोगों के रक्त से सने हैं۔' बता दें कि सरमा ने बाद में असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नवंबर, 2020 में ममता बनर्जी की तुलना तानाशाह किम जोंग उन से कर दी थी. गिरिराज ने कहा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डिक्टेटर की भूमिका निभा रही हैं. गिरिराज ने दीदी की तुलना उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन से करते हुए कहा कि जिस तरह वहां विरोधियों की बात नहीं सुनी जाती. वही हालात आज बंगाल के हैं. विरोधी दल के कार्यकर्ताओं को ममता के राज में सरेआम कत्ल किया जाता है.

यह भी पढ़ें- DoPT पश्चिम बंगाल के CS अलपन बंद्योपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई करेगा

बता दें कि ममता ने पीएम मोदी को इस मामले में पत्र भी लिखा था. बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा, 'यह तथाकथित एकपक्षीय आदेश बेवजह और आपकी खुद की स्वीकारोक्ति के उलट तथा राज्य व उसके लोगों के हितों के खिलाफ है. मैं विनम्रतापूर्वक आपसे अनुरोध करती हूं कि व्यापक जनहित में अपने तथाकथित नवीनतम आदेश को वापस लें, पुनर्विचार करें और उसे रद्द करें. मैं पश्चिम बंगाल के लोगों की तरफ से आपसे अंतरात्मा और अच्छी भावना से ऐसा करने की अपील करती हूं.'

यह भी पढ़ें- अलपन बनर्जी को दिल्ली नहीं भेज सकती, ममता ने मोदी को लिखा पत्र

ममता ने बताया कि उनके इस पत्र पर केंद्र का जवाब आया है जिसके मुताबिक बंद्योपाध्याय को मंगलवार को 'नॉर्थ ब्लॉक' में कार्यभार संभालने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि केंद्र के पत्र में मुख्य सचिव को वापस बुलाए जाने की वजह का जिक्र नहीं किया गया है. ममता ने कहा कि केंद्र किसी अधिकारी को राज्य सरकार की सहमति के बिना कार्यभार ग्रहण करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

यह भी पढ़ें- केंद्र ने प.बंगाल के मुख्य सचिव को वापस दिल्ली बुलाया

अलपन बंद्योपाध्याय से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई की रात को बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं. उनसे सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली में कार्यभार संभालने को कहा था. बता दें कि 1987 बैच के, पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी बंद्योपाध्याय को साठ साल की उम्र पूरी होने के बाद सोमवार को सेवानिवृत्त होना था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : May 31, 2021, 8:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.