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Bihar News: एसपी ने 5 पुलिसकर्मियों को 2 रुपये की वसूली करते पकड़ा था, 37 साल बाद कोर्ट से बरी

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Published : Aug 3, 2023, 9:31 AM IST

Updated : Aug 3, 2023, 8:12 PM IST

बिहार के भागलपुर कोर्ट ने अवैध वसूली से जुड़े 37 साल पुराने एक मामले में पांच पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है. साल 1986 में पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवैध वसूली का मामला दर्ज किया गया था. पुलिस के इन जवानों पर 2 रुपये की वसूली करने का आरोप था. पढ़ें क्या है पूरी कहानी..

बेगूसराय मंडल जेल
बेगूसराय मंडल जेल
देखें रिपोर्ट.

भागलपुर: यह घटना 10 जून 1986 की रात की बताई जा रही है. जगह बिहार के बेगूसराय जिले का लाखो पोस्ट. यहां अधिकारी समेत पांच पुलिसकर्मी तैनात थे और गाड़ियों की चेकिंग कर रहे थे. इस बीच बेगूसराय के तत्कालीन एसपी को वाहनों से अवैध वसूली की सूचना किसी ने दी. सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एसपी ने जवान को दो रुपये की अवैध वसूली करते रंगे हाथ पकड़ा.

ये भी पढ़ें- Patna News: पिता की रिहाई में खर्च रुपए की वसूली के लिए कर रहा था फायरिंग, पुलिस ने भेजा हवालात

37 साल बाद हुई पुलिस कर्मियों की रिहाई: इसके बाद सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुफस्सिल थाना में केस दर्ज किया गया. मामला निचली अदालत में पहुंचा. कोर्ट में कई बार मामले में सुनवाई हुई और आखिरकार 37 साल बाद पांचों पुलिसकर्मियों की रिहाई हुई. कोर्ट ने जिन पुलिसकर्मियों को बरी किया उनमें रामरतन शर्मा, कैलाश शर्मा, ग्यानी शंकर, युगेश्वर महतो और राम बालक राय शामिल हैं. बता दें कि सभी बेल पर बाहर थे.

भागलपुर विजिलेंस कोर्ट में चल रहा था मामला: भागलपुर के विजिलेंस कोर्ट के विशेष जज सह एडीजे 5 की अदालत ने सभी को बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सका, जिसमें अभियुक्तों की संलिप्तता साबित हो सके. ऐसे में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

पुलिस कर्मियों के खिलाफ अवैध वसूली का मामला: बता दें कि अवैध वसूली को लेकर बेगूसराय के तत्कालीन नगर अंचल निरीक्षक सरयु बैठा ने अपने बयान पर मामला दर्ज कराया था. बैठा ने अपने बयान में कहा था कि जब वे लाखो पेंट्रोल पंप के पास पहुंचे तो वहां मौजूद बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा ने कहा कि लाखो पोस्ट पर तैनाद पदाधिकारी और जवान वाहनों से अवैध वसूली कर रहे हैं. एसपी ने पोस्ट पर जाकर जांच करने के लिए कहा.

दो रुपये अवैध वसूली करने का आरोप: इसके तुरंत बाद बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा ने वहां से गुजर रहे एक ट्रक को रोका और उसमें बैठक गए. एसपी ने दो रुपये के नाम पर साइन किया और खलासी को पकड़ा दिया. ट्रक जब पोस्ट पर पहुंच तो वहां तैनात जवान ने बैरियर खोला. इसके बाद खलासी ट्रक से उतरा और उसने वहां मौजूद होमगार्ड जवान रामरतन शर्मा को दो रुपये का नोट थमा दिया. जवान ने नोट को अपने जेब में रख लिया. खलासी ने आकर एसपी को बताया कि जवान ने उससे पैसे ले लिए.

ईटीवी भारत GFX.
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एसपी ने साइन कर दिए थे रुपये: उसके बाद ट्रक में सवार बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा समेत दूसरे अधिकारी ट्रक से नीचे उतरे और पोस्ट पर तैनात जवान की तलाशी ली. तलाशी में जवान रामरतन शर्मा के पास से कुल आठ रुपये निकला, जिसमें दो रुपये का वह नोट भी था, जिसपर बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा का हस्ताक्षर था. इस दौरान अन्य पदाधिकारी और जवानों की भी तलाशी ली गई. सभी के पास पैसे निकले. कुछ जवानों ने अपने पास के पैसे नीचे गिरा दिए थे. पास में ही एक रुमाल में 290 रुपये बरामद किए गए. वहां से कुल 354.50 रुपये बरामद किए गए थे.

भागलपुर कोर्ट में चल रहा था मामला: बता दें कि वर्ष 1832 में मुंगेर जिला को भागलपुर से अलग किया गया था. उसके बाद कई दिन तक मुंगेर जिला का कमिश्नर भागलपुर ही रहा. इसके बाद भागलपुर से अलग करके मुंगेर को स्वतंत्र कमिश्नरी बनाया गया. बेगूसराय को भी मुंगेर से निकाल कर ही 2 अक्टूबर 1972 को जिला बनाया गया है. इसलिए यह मामला भागलपुर कोर्ट में चल रहा था.

देखें रिपोर्ट.

भागलपुर: यह घटना 10 जून 1986 की रात की बताई जा रही है. जगह बिहार के बेगूसराय जिले का लाखो पोस्ट. यहां अधिकारी समेत पांच पुलिसकर्मी तैनात थे और गाड़ियों की चेकिंग कर रहे थे. इस बीच बेगूसराय के तत्कालीन एसपी को वाहनों से अवैध वसूली की सूचना किसी ने दी. सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एसपी ने जवान को दो रुपये की अवैध वसूली करते रंगे हाथ पकड़ा.

ये भी पढ़ें- Patna News: पिता की रिहाई में खर्च रुपए की वसूली के लिए कर रहा था फायरिंग, पुलिस ने भेजा हवालात

37 साल बाद हुई पुलिस कर्मियों की रिहाई: इसके बाद सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुफस्सिल थाना में केस दर्ज किया गया. मामला निचली अदालत में पहुंचा. कोर्ट में कई बार मामले में सुनवाई हुई और आखिरकार 37 साल बाद पांचों पुलिसकर्मियों की रिहाई हुई. कोर्ट ने जिन पुलिसकर्मियों को बरी किया उनमें रामरतन शर्मा, कैलाश शर्मा, ग्यानी शंकर, युगेश्वर महतो और राम बालक राय शामिल हैं. बता दें कि सभी बेल पर बाहर थे.

भागलपुर विजिलेंस कोर्ट में चल रहा था मामला: भागलपुर के विजिलेंस कोर्ट के विशेष जज सह एडीजे 5 की अदालत ने सभी को बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सका, जिसमें अभियुक्तों की संलिप्तता साबित हो सके. ऐसे में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया.

ईटीवी भारत GFX.
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पुलिस कर्मियों के खिलाफ अवैध वसूली का मामला: बता दें कि अवैध वसूली को लेकर बेगूसराय के तत्कालीन नगर अंचल निरीक्षक सरयु बैठा ने अपने बयान पर मामला दर्ज कराया था. बैठा ने अपने बयान में कहा था कि जब वे लाखो पेंट्रोल पंप के पास पहुंचे तो वहां मौजूद बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा ने कहा कि लाखो पोस्ट पर तैनाद पदाधिकारी और जवान वाहनों से अवैध वसूली कर रहे हैं. एसपी ने पोस्ट पर जाकर जांच करने के लिए कहा.

दो रुपये अवैध वसूली करने का आरोप: इसके तुरंत बाद बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा ने वहां से गुजर रहे एक ट्रक को रोका और उसमें बैठक गए. एसपी ने दो रुपये के नाम पर साइन किया और खलासी को पकड़ा दिया. ट्रक जब पोस्ट पर पहुंच तो वहां तैनात जवान ने बैरियर खोला. इसके बाद खलासी ट्रक से उतरा और उसने वहां मौजूद होमगार्ड जवान रामरतन शर्मा को दो रुपये का नोट थमा दिया. जवान ने नोट को अपने जेब में रख लिया. खलासी ने आकर एसपी को बताया कि जवान ने उससे पैसे ले लिए.

ईटीवी भारत GFX.
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एसपी ने साइन कर दिए थे रुपये: उसके बाद ट्रक में सवार बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा समेत दूसरे अधिकारी ट्रक से नीचे उतरे और पोस्ट पर तैनात जवान की तलाशी ली. तलाशी में जवान रामरतन शर्मा के पास से कुल आठ रुपये निकला, जिसमें दो रुपये का वह नोट भी था, जिसपर बेगूसराय के तत्कालिन एसपी अरविंद वर्मा का हस्ताक्षर था. इस दौरान अन्य पदाधिकारी और जवानों की भी तलाशी ली गई. सभी के पास पैसे निकले. कुछ जवानों ने अपने पास के पैसे नीचे गिरा दिए थे. पास में ही एक रुमाल में 290 रुपये बरामद किए गए. वहां से कुल 354.50 रुपये बरामद किए गए थे.

भागलपुर कोर्ट में चल रहा था मामला: बता दें कि वर्ष 1832 में मुंगेर जिला को भागलपुर से अलग किया गया था. उसके बाद कई दिन तक मुंगेर जिला का कमिश्नर भागलपुर ही रहा. इसके बाद भागलपुर से अलग करके मुंगेर को स्वतंत्र कमिश्नरी बनाया गया. बेगूसराय को भी मुंगेर से निकाल कर ही 2 अक्टूबर 1972 को जिला बनाया गया है. इसलिए यह मामला भागलपुर कोर्ट में चल रहा था.

Last Updated : Aug 3, 2023, 8:12 PM IST
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