नई दिल्ली : खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने शनिवार काे बताया कि परियोजना आरई-एचएबी (रिड्यूिसंग ह्यूमेन एलिफैंट एटैक यूसिंग बीस) के तहत हाथियों को दूर रखने के लिए मधुमक्खी के बक्से (Bee fences) का उपयोग बाड़ के रूप में किया जाता है. इसमें बिना किसी नुकसान के मनुष्यों और जानवरों के बीच संघर्ष को कम करने का सफलतापूर्वक प्रयास किया गया है.
15 मार्च को शुरू की गई इस परियोजना की सफलता पर केवीआईसी ने कहा कि जिन राज्याें में लाेगाें पर हाथियों के हमले की खबरें आती हैं, वहां ये उपाय किए जा सकते हैं.
बता दें कि ऐसे समय में जब राज्य सरकारें हाथियों के हमलों को रोकने के उपायाें पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, केवीआईसी की इस अभिनव परियोजना आरई-एचएबी कम लागत में प्रभावी उपाय साबित हुई है. आयाेग की मानें, ताे यह मानव-हाथी के बीच संघर्ष को कम करने का बेहतर तरीका माना गया है.
संगठन के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि खाइयां, रेल की बाड़, नुकीले खंभे, बिजली की बाड़ और बिजली के तार लगाना आदि न केवल अप्रभावी हैं, बल्कि ये हाथियाें के दर्दनाक माैत के कारण भी बनते हैं.
उन्हाेंने कहा कि प्रोजेक्ट आरई-एचएबी हाथियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. इसके बहुआयामी लाभ भी होंगे. इससे मानव-हाथी संघर्ष कम होगा, मधुमक्खी पालन के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि होगी, जलवायु परिवर्तन का समाधान होगा, वन आवरण को पुनर्जीवित करेगा और जंगली जानवरों के लिए उनके प्राकृतिक आवासों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. उन्होंने राज्य सरकारों से इसे लागू करने का आग्रह किया.
आपकाे बता दें कि कर्नाटक के अलावा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य जंगली हाथियों के हमलों से बुरी तरह प्रभावित हैं.
केवीआईसी ने कहा कि हाथियों को मानव आवास में प्रवेश करने से रोकने के लिए मधुमक्खी के बक्सों को बाड़ के रूप में उपयोग करना प्रभावी है, क्योंकि जानवरों को आमतौर पर डर होता है कि मधुमक्खियां उन्हें आंखों और सूंड के अंदरूनी हिस्से में डंक मार सकती हैं.
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इसके अलावा, मधुमक्खियों की भिनभिनाहट हाथियों को परेशान करती हैं.