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ऑक्सीमीटर एप से सावधान, आपकी संवेदनशील डेटा हो सकती है चोरी

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Published : May 26, 2021, 10:14 AM IST

Updated : May 26, 2021, 3:40 PM IST

शरीर में ऑक्सीजन लेवल की जांच के लिए अगर आपने अपने स्मार्टफोन में ऑक्सीजन-टेस्टिंग एप इंस्टाल किया है, तो सावधान हो जाइये, क्योंकि साइबर क्रिमिनल्स ने अब जालसाजी का नया तरीका इजाद कर लिया है. कैसे मोबाइल से आपके संवेदनशील की डेटा हो सकती है चोरी, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

ऑक्सीमिटर एप से सावधान
ऑक्सीमिटर एप से सावधान

बेंगलुरु : शरीर में ऑक्सीजन लेवल की जांच के लिए अगर आपने अपने स्मार्टफोन में ऑक्सीजन-टेस्टिंग एप इंस्टाल किया है, तो सावधान हो जाइये, क्योंकि साइबर क्रिमिनल्स ने अब जालसाजी का नया तरीका इजाद कर लिया है. साइबर क्रिमिनल्स अब ऑक्सीमीटर एप के जरिये ऑक्सीजन लेवल चेक करने के नाम पर लूटने लगे हैं.

हाल ही में, कुछ ऐप्स में पीपीजी टेक्नॉलॉजी के जरिये एक व्यक्ति के शरीर का ऑक्सीजन मात्रा केवल 40 सेकेंड्स में पता लगाया गया था.

पढ़ेंः जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से मुलाकात की, वैश्विक टीका समाधान तलाशने पर दिया जोर

लेकिन एथिकल हैकर रघोथामा के मुताबिक, यह डेटा की चोरी करने का सबसे आसान तरीका है. आज के स्मार्टफोन गूगल पे और फोन पे जैसी यूपीआई एप पर आधारित हैं, जिसमें फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल होता है. अब अगर हमारा फिंगरप्रिंट साइबर क्रिमिनल्स तक पहुंच जाए, तो जोखिम की संभावना बढ़ जाती है.

उन्होंने बताया कि कुछ स्टार्ट-अप ने ऑक्सीजन लेवल मुफ्त में मापने के लिए एप्स तैयार किये हैं. हम ऐसे ऐप का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देते हैं. अगर किसी अस्पताल या सरकार की ओर से इस तरह के एप बनाए जाते हैं, तो वह विश्वसनीय होते हैं.

उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने संवेदनशील डेटा बंद आंखों से सौंप देना सही नहीं है.

बेंगलुरु : शरीर में ऑक्सीजन लेवल की जांच के लिए अगर आपने अपने स्मार्टफोन में ऑक्सीजन-टेस्टिंग एप इंस्टाल किया है, तो सावधान हो जाइये, क्योंकि साइबर क्रिमिनल्स ने अब जालसाजी का नया तरीका इजाद कर लिया है. साइबर क्रिमिनल्स अब ऑक्सीमीटर एप के जरिये ऑक्सीजन लेवल चेक करने के नाम पर लूटने लगे हैं.

हाल ही में, कुछ ऐप्स में पीपीजी टेक्नॉलॉजी के जरिये एक व्यक्ति के शरीर का ऑक्सीजन मात्रा केवल 40 सेकेंड्स में पता लगाया गया था.

पढ़ेंः जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से मुलाकात की, वैश्विक टीका समाधान तलाशने पर दिया जोर

लेकिन एथिकल हैकर रघोथामा के मुताबिक, यह डेटा की चोरी करने का सबसे आसान तरीका है. आज के स्मार्टफोन गूगल पे और फोन पे जैसी यूपीआई एप पर आधारित हैं, जिसमें फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल होता है. अब अगर हमारा फिंगरप्रिंट साइबर क्रिमिनल्स तक पहुंच जाए, तो जोखिम की संभावना बढ़ जाती है.

उन्होंने बताया कि कुछ स्टार्ट-अप ने ऑक्सीजन लेवल मुफ्त में मापने के लिए एप्स तैयार किये हैं. हम ऐसे ऐप का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देते हैं. अगर किसी अस्पताल या सरकार की ओर से इस तरह के एप बनाए जाते हैं, तो वह विश्वसनीय होते हैं.

उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने संवेदनशील डेटा बंद आंखों से सौंप देना सही नहीं है.

Last Updated : May 26, 2021, 3:40 PM IST
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