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Bastar Dussehra Dairy Gadhai: धूमधाम से निभाई गई बस्तर दशहरे की दूसरी रस्म डेरी गढ़ई, रथ बनाने का काम होगा शुरू

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 27, 2023, 5:22 PM IST

Updated : Sep 27, 2023, 6:22 PM IST

Bastar Dussehra Dairy Gadhai: बस्तर के सबसे बड़े पर्व बस्तर दशहरा की दूसरी सबसे बड़ी रस्म डेरी गड़ाई बड़े धूमधाम से मनाई गई. अब दशहरे के लिए रथ बनाने का काम शुरू होगा. ये परम्परा 700 सालों से चली आ रही है. बस्तरवासियों के लिए ये दिन बेहद शुभ होता है.

Bastar Dussehra Dairy Gadhai
बस्तर दशहरा में डेरी गढ़ई रस्म पूरी
बस्तर दशहरे की दूसरी रस्म डेरी गढ़ई

बस्तर: बस्तर वासियों ने बुधवार को बस्तर दशहरे की दूसरी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण रस्म डेरी गड़ाई को पूरा किया. सिरहासार भवन में विधि-विधान से इस रस्म को निभाया गया. करीब 700 सालों से यह परंपरा चली आ रही है. इस दौरान बिरनपाल के लोगों ने सरई पेड़ की टहनियों को एक खास जगह पर स्थापित किया है. विधि विधान सहित पूजा-अर्चना की गई. बड़े-बड़े नगाड़े को इस अवसर पर बजाया गया.

डेरी गड़ाई रस्म के बाद शुरू होता है रथ बनाने के काम: डेरी गड़ाई रस्म की अदायगी के साथ ही रथ निर्माण के लिए दंतेश्वरी देवी से आज्ञा ली गई. इस मौके पर जनप्रतिनिधियों, मांझी, चालकी, जिला प्रशासन सहित स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे. इस रस्म के साथ ही विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के रथ के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है. दशहरा के लिए लकड़ियों को लाने का सिलसिला शुरू हो जाता है.

बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष व बस्तर दशहरे के प्रमुख मांझी, चालकी, मेम्बर, मेम्बरीन की उपस्थिति में आज डेरी गड़ाई की रस्म निभाई गई. अब 25 गांव से लकड़ी लाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. हर साल की तरह इस साल भी बस्तर दशहरे को हर्षोल्लास के साथ मनाने की तैयारी जिला प्रशासन की ओर से की जाएगी. -विजय दयाराम, बस्तर कलेक्टर

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बस्तर में बलि प्रथा की परम्परा: हेमंत कश्यप ने बताया कि "डेरी गड़ाई के मौके पर घर में कोई भी बड़ा काम शुरू किया जाता है. इससे पहले शुभ मुहूर्त में पूजा पाठ किया जाता है. ताकि सभी काम निर्विघ्न रूप से पूरा हो सके. बस्तर को तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है. बस्तर में जितने भी पूजा होते हैं, उसमें बलिप्रथा की परंपरा है. यही कारण है बस्तर दशहरा में मछली और बकरे का बलि दी जाती है. डेरी गड़ाई के लिए परघना की ओर से बिरनपाल गांव के जंगल से साल की 2 लकड़ियां लाई जाती है. उसे पहले कंकालिन माता मंदिर में रखा जाता है. उसके बाद उसे जगदलपुर के सिरहासार भवन में लाकर गड़ाया जाता है. इसी रस्म को डेरी गड़ाई कहते हैं."

नयाखानी का त्यौहार बस्तर में मनाने के बाद डेरी गढ़ई रस्म निभाई जाती है. इस रस्म के बाद झाड़ उमरगांव व बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण रथ कारीगर जगदलपुर पहुंचेंगे. सिरहासार भवन में रहकर रथ निर्माण का काम किया जाएगा. -बलराम मांझी, सदस्य, दशहरा समिति

शुभ मुहूर्त में निभाई जाती है डेरी गढ़ई रस्म : इस पूरे रस्म को लेकर मुख्य पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी ने बताया कि, "डेरी गढ़ई की रस्म शुभ मुहूर्त में निभाई जाती है. इस रस्म के बाद रथ बनाने के लिए लकड़ी लाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. बस्तर के अलग-अलग गांव के ग्रामीण जंगल जाते हैं. जंगल से साल की लकड़ियों को काटकर सिरासर भवन के सामने पहुंचाया जाता है. इसके बाद ग्रामीण रथ कारीगरों की ओर से रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है."

बता दें कि बस्तर दशहरे पर बनने वाले काठ के रथ में केवल साल और तिनसा प्रजाति की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है.डेरी गड़ाई रस्म के बाद ही तिनसा प्रजाति की लकड़ियों से पहिए का एक्सल और साल की लकड़ियों से रथ को बनाया जाता है.

बस्तर दशहरे की दूसरी रस्म डेरी गढ़ई

बस्तर: बस्तर वासियों ने बुधवार को बस्तर दशहरे की दूसरी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण रस्म डेरी गड़ाई को पूरा किया. सिरहासार भवन में विधि-विधान से इस रस्म को निभाया गया. करीब 700 सालों से यह परंपरा चली आ रही है. इस दौरान बिरनपाल के लोगों ने सरई पेड़ की टहनियों को एक खास जगह पर स्थापित किया है. विधि विधान सहित पूजा-अर्चना की गई. बड़े-बड़े नगाड़े को इस अवसर पर बजाया गया.

डेरी गड़ाई रस्म के बाद शुरू होता है रथ बनाने के काम: डेरी गड़ाई रस्म की अदायगी के साथ ही रथ निर्माण के लिए दंतेश्वरी देवी से आज्ञा ली गई. इस मौके पर जनप्रतिनिधियों, मांझी, चालकी, जिला प्रशासन सहित स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे. इस रस्म के साथ ही विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के रथ के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है. दशहरा के लिए लकड़ियों को लाने का सिलसिला शुरू हो जाता है.

बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष व बस्तर दशहरे के प्रमुख मांझी, चालकी, मेम्बर, मेम्बरीन की उपस्थिति में आज डेरी गड़ाई की रस्म निभाई गई. अब 25 गांव से लकड़ी लाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. हर साल की तरह इस साल भी बस्तर दशहरे को हर्षोल्लास के साथ मनाने की तैयारी जिला प्रशासन की ओर से की जाएगी. -विजय दयाराम, बस्तर कलेक्टर

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नयाखानी का त्यौहार बस्तर में मनाने के बाद डेरी गढ़ई रस्म निभाई जाती है. इस रस्म के बाद झाड़ उमरगांव व बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण रथ कारीगर जगदलपुर पहुंचेंगे. सिरहासार भवन में रहकर रथ निर्माण का काम किया जाएगा. -बलराम मांझी, सदस्य, दशहरा समिति

शुभ मुहूर्त में निभाई जाती है डेरी गढ़ई रस्म : इस पूरे रस्म को लेकर मुख्य पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी ने बताया कि, "डेरी गढ़ई की रस्म शुभ मुहूर्त में निभाई जाती है. इस रस्म के बाद रथ बनाने के लिए लकड़ी लाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. बस्तर के अलग-अलग गांव के ग्रामीण जंगल जाते हैं. जंगल से साल की लकड़ियों को काटकर सिरासर भवन के सामने पहुंचाया जाता है. इसके बाद ग्रामीण रथ कारीगरों की ओर से रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है."

बता दें कि बस्तर दशहरे पर बनने वाले काठ के रथ में केवल साल और तिनसा प्रजाति की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है.डेरी गड़ाई रस्म के बाद ही तिनसा प्रजाति की लकड़ियों से पहिए का एक्सल और साल की लकड़ियों से रथ को बनाया जाता है.

Last Updated : Sep 27, 2023, 6:22 PM IST
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