ETV Bharat / bharat

नहीं रहे अस्सी घाट पर बंदरिया संग शतरंज की बाजी लगाने वाले बाबा, हरिश्चंद्र घाट पर हुआ अंतिम संस्कार

वाराणसी के अस्सी घाट पर अपनी बंदरिया के साथ शतरंज की बाजी लगाने वाले बंदरिया बाबा ने अब इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है. सोमवार की शाम को उनका निधन हो गया, जिसके बाद स्थानीयों की मदद से उनका प्रसिद्ध हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया.

etv bharat
बंदरिया बाबा
author img

By

Published : May 17, 2022, 3:05 PM IST

वाराणसी: वाराणसी के अस्सी घाट पर अपनी बंदरिया के साथ शतरंज की बाजी लगाने वाले बंदरिया बाबा ने अब इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है. सोमवार की शाम को उनका निधन हो गया, जिसके बाद पुलिस उन्हें अज्ञात दर्ज कर पंचनामा की कानूनी कार्रवाई कर शव को अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया. स्थानीयों की मदद से बंदरिया बाबा का प्रसिद्ध हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया.

वहीं, उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर जमकर उनकी तस्वीरें वायरल हो रही है और उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तांता लगा है. आपको बताते चलें कि बाबा खुद का और अपनी बंदरिया का पेट पालने को भिक्षाटन करते थे और अक्सर देशी व विदेशी पर्यटक उनके साथ तस्वीरें लेते नजर आते थे.

इसे भी पढ़ें - ज्ञानवापी विवाद: सिविल कोर्ट में आज पेश नहीं होगी कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट, ये है कारण

घाट पुरोहित बलराम मिश्र ने बताया कि बंदरिया बाबा 1971 की लड़ाई के बाद बचपन में ही बंगलादेश से यहां आ गए थे. यहीं घाट किनारे घूमते रहते थे. केदार घाट से रविदास घाट तक उनका भ्रमण क्षेत्र था. कहा जाता है कि उनका परिवार भी था, लेकिन परिवार का कोई भी सदस्य दिखाई नहीं पड़ा. वे अपने साथ हमेशा एक बंदरिया रखे रहते थे. उससे उनका लगाव इस कदर था कि उसी संग खाना-नहाना, घूमना यहां तक कि शतरंज की बाजी भी चलती थी.

बंदरिया घाट भ्रमण के समय उनके कंधे, सिर पर जब बैठी रहती तो घाट घूमने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती थी. बाबा उसकी आंखों में काजल लगाकर उसे और भी सुंदर रूप देने का प्रयास करते थे. उनके इस पशु-प्रेम से सभी बहुत प्रसन्न रहते और उन्हें बंदरिया बाबा कहकर संबोधित करते थे.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

वाराणसी: वाराणसी के अस्सी घाट पर अपनी बंदरिया के साथ शतरंज की बाजी लगाने वाले बंदरिया बाबा ने अब इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है. सोमवार की शाम को उनका निधन हो गया, जिसके बाद पुलिस उन्हें अज्ञात दर्ज कर पंचनामा की कानूनी कार्रवाई कर शव को अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया. स्थानीयों की मदद से बंदरिया बाबा का प्रसिद्ध हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया.

वहीं, उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर जमकर उनकी तस्वीरें वायरल हो रही है और उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तांता लगा है. आपको बताते चलें कि बाबा खुद का और अपनी बंदरिया का पेट पालने को भिक्षाटन करते थे और अक्सर देशी व विदेशी पर्यटक उनके साथ तस्वीरें लेते नजर आते थे.

इसे भी पढ़ें - ज्ञानवापी विवाद: सिविल कोर्ट में आज पेश नहीं होगी कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट, ये है कारण

घाट पुरोहित बलराम मिश्र ने बताया कि बंदरिया बाबा 1971 की लड़ाई के बाद बचपन में ही बंगलादेश से यहां आ गए थे. यहीं घाट किनारे घूमते रहते थे. केदार घाट से रविदास घाट तक उनका भ्रमण क्षेत्र था. कहा जाता है कि उनका परिवार भी था, लेकिन परिवार का कोई भी सदस्य दिखाई नहीं पड़ा. वे अपने साथ हमेशा एक बंदरिया रखे रहते थे. उससे उनका लगाव इस कदर था कि उसी संग खाना-नहाना, घूमना यहां तक कि शतरंज की बाजी भी चलती थी.

बंदरिया घाट भ्रमण के समय उनके कंधे, सिर पर जब बैठी रहती तो घाट घूमने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती थी. बाबा उसकी आंखों में काजल लगाकर उसे और भी सुंदर रूप देने का प्रयास करते थे. उनके इस पशु-प्रेम से सभी बहुत प्रसन्न रहते और उन्हें बंदरिया बाबा कहकर संबोधित करते थे.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.