रायपुर: बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा का रायपुर में आज अंतिम दिन है. कथा वाचन पर जाने के पहले धीरेंद्र शास्त्री ने ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता प्रवीण कुमार सिंह से खास बातचीत की. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि चुनौती देने वालों को रायपुर में 20 और 21 जनवरी को दिव्य दरबार में बुलाया गया था. लेकिन इस दिव्य दरबार में नागपुर की समिति के लोग नहीं पहुंचे. धीरेंद्र शास्त्री ने नागपुर में चुनौती देने वालों के रायपुर ना पहुंचने पर उन्हें भगोड़ा करार दिया. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि "एक भी नहीं आया है, भगोड़े निकले."
सीएम भूपेश के बयान पर साधी चुप्पी: बागेश्वर सरकार के दावों को नागपुर की समिति की चुनौती के बाद से ही पंडित धीरेंद्र शास्त्री लगातार चर्चा में हैं. नागपुर की समिति के बाद रायपुर पहुंचने पर पहले आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बागेश्वर सरकार को चुनौती दी. इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती देने और उनका समर्थन करने का भी सिलसिला चल पड़ा.
रविवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री पर सवाल उठाए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि "सिद्ध पुरुष होते हैं, लेकिन चमत्कार दिखाना, जादूगर का काम है." इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि "मैं किसी भी राजनीतिक विषय पर बयान नहीं दूंगा." धीरेंद्र शास्त्री ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
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कैसे शुरू हुआ विवाद: दरअसल रायपुर से पहले महाराष्ट्र के नागपुर में बागेश्वर महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने कथा की थी. इस दौरान नागपुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया. समिति ने उन्हें अपने चमत्कार को नागपुर आकर सिद्ध करने की चुनौती दी थी.
बागेश्वर महाराज ने 17 जनवरी को रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर समिति की चुनौती स्वीकार की. उन्होंने समिति के संचालक श्याम मानव और उनके लोगों को रायपुर बुलाया, लेकिन समिति ने रायपुर आने से इनकार कर दिया. इसके बाद पूरे देश में इस मामले ने तूल पकड़ लिया. अब नेताओं से लेकर शंकराचार्य तक ने धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कार को चैलेंज किया है तो कई बीजेपी नेता उनके समर्थन में भी कूद पड़े हैं.