हरिद्वार: कभी राजनीति मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखने वाले योग गुरु बाबा रामदेव ने अब राजनीतिक बयानबाजियों से किनारा करने लगे हैं. रामदेव का मानना है कि राजनीति में बहुत ओछापन होता है, इसलिए उन्होंने राजधर्म के ऊपर बोलना कम कर दिया है.
दरअसल, गुरुवार 30 मार्च को हरिद्वार में पत्रकारों ने रामदेव से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने और उस पर कांग्रेस के हंगामा करने को लेकर सवाल किया था, जिसका रामदेव ने कुछ अलग ही अंदाज में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि राजनीति में अब बहुत ओछापन होता है, इसलिए उन्होंने राजधर्म के ऊपर बोलना कम कर दिया है.
उनका मानना है कि योग धर्म, वेद धर्म, ऋषि धर्म और सनातन धर्म से ही दुनिया को सही दिशा मिलेगी. राजनेताओं में बहुत ओछी सोच आ गई है, जो देश के लिए अच्छी नहीं है. रामदेव ने कहा इसके लिए वो किसी व्यक्ति पर दोषारोपण नहीं कर रहे है.
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रामदेव ने राजनेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि सभी को एक बार महर्षि वाल्मीकि की रामायण, रामचरितमानस और एक बार महर्षि वेदव्यास का महाभारत नहीं तो कम से कम श्रीमद्भागवत गीता जरूर पढ़ लेनी चाहिए. क्योंकि जिनका मानस ठीक नहीं है, उनको रामचरितमानस में भी दोष नजर आते है. लोगों में बौद्धिक दिवालियापन हो गया है, जो ठीक नहीं है.
बता दें कि गुरुवार का योगपीठ पतंजलि हरिद्वार में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत बीजेपी के कई बडे़ नेता शामिल हुए थे. उस कार्यक्रम के बाद योग गुरु रामदेव ने राजनीति पर ये बयान दिया.