हरिद्वार (उत्तराखंड): योग गुरु स्वामी रामदेव ने एलोपैथिक डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. हरिद्वार में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए स्वामी रामदेव और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पतंजलि योगपीठ को फटकार लगाए जाने की खबरों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ और आयुर्वेद को टारगेट किया जा रहा है. कुछ मेडिकल माफिया योग और आयुर्वेद की उपलब्धियों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए पतंजलि के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है.
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#WATCH | Haridwar, Uttarakhand: Yog Guru Swami Ramdev says, "Since yesterday, on different media sites, one news story has gone viral that the Supreme Court (SC) reprimanded Patanjali. SC said that if you do false propaganda, then you will be fined... We respect SC. But we are… pic.twitter.com/goYHV337QM
— ANI (@ANI) November 22, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) November 22, 2023#WATCH | Haridwar, Uttarakhand: Yog Guru Swami Ramdev says, "Since yesterday, on different media sites, one news story has gone viral that the Supreme Court (SC) reprimanded Patanjali. SC said that if you do false propaganda, then you will be fined... We respect SC. But we are… pic.twitter.com/goYHV337QM
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एविडेंस बेस्ड रिसर्च किए: योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने आज पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए पतंजलि आयुर्वेद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर की जा रही चर्चाओं को प्रोपेगेंडा बताया. उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ की ओर से किसी भी तरह का भ्रामक प्रचार नहीं किया जा रहा है. संस्थान ने सैकड़ों करोड़ों रुपए खर्च कर एविडेंस बेस्ड रिसर्च किए हैं, जिसके आधार पर चिकित्सा की जाती है. उन्होंने कहा कि कोर्ट का निर्णय आने से पहले प्रोपेगेंडा फैलाना गलत है. कोर्ट की लड़ाई कानूनी ढंग से लड़ी जाएगी.
मीडिया के सामने पेश किए सबूत: रामदेव ने आगे कहा, वो सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. यदि हम झूठे विज्ञापन या प्रोपेगेंडा करें तो हम पर करोड़ों का जुर्माना लगाएं या हमें फांसी की सजा भी दें, तो हमें आपत्ति नहीं होगी. हम झूठा प्रचार नहीं कर रहे हैं. योग आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, पंचकर्म, षट्कर्म की सैकड़ों थेरेपी, उपवास व उपासना पद्धति के इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट से हमने लाखों लोगों को रोगमुक्त किया है. बीपी, शुगर, थायराइड, अस्थमा, अर्थराइटिस व मोटापा से लेकर लिवर, किडनी फेलियर व कैंसर जैसे प्राणघातक रोगों से हमने हजारों लोगों को मुक्त किया है. इसका एक करोड़ से अधिक लोगों का डेटा बेस, रियल वर्ल्ड एविडेंस व क्लिनिकल एविडेंस हमारे पास है. बाबा रामदेव ने इस दौरान कई मरीजों को मीडिया के सामने भी पेश किया. जिन्होंने आयुर्वेद से ठीक होने का दावा किया.
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पतंजलि, श्रेष्ठतम रिसर्च सेंटर का दावा: स्वामी रामदेव ने दावा किया कि उनके पास ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट व सनातन ज्ञान परम्परा पर शोध करने के लिए विश्व का श्रेष्ठतम रिसर्च सेंटर 'पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन' है. जहां सैकड़ों वर्ल्ड राउंड साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं. तीन हजार से अधिक रिसर्च प्रोटोकॉल फॉलो करके 500 रिसर्च पेपर वर्ल्ड के टॉप रिसर्च जनरल्स में पब्लिश हो चुके हैं.
मेडिकल साइंस का करते हैं सम्मान: उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि सिंथेटिक दवाओं से रोगों को कंट्रोल तो कर सकते हैं, लेकिन इलाज नहीं कर सकते. एलोपैथी की ये समस्या योग, आयुर्वेद के लिए समस्या नहीं है. मेडिकल साइंस में अच्छे डॉक्टर्स, लाइफ सेविंग ड्रग्स, इमरजेंसी ट्रीटमेंट और जरूरी सर्जरी का हम पहले भी सम्मान करते थे, आज भी सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा, एलोपैथी से भी एडवांस ट्रीटमेंट जो हमने वेदों, आयुर्वेद के महर्षि चरक, महर्षि सुश्रुत और महर्षि धन्वंतरि, पतंजलि से प्राप्त किया है, उसको वैज्ञानिकता व प्रमाणिकता से व्यापार के लिए नहीं, उपचार व उपकार की भावना से आगे बढ़ा रहे हैं और बढ़ाते रहेंगे.
जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा: 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पीठ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव द्वारा सह-स्थापित कंपनी को कड़ी चेतावनी जारी की. कोर्ट ने कहा पतंजलि, आयुर्वेद के सभी भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा. वह इस मुद्दे को 'एलोपैथी बनाम आयुर्वेद' की बहस बनाने की इच्छुक नहीं है. बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढ़ना चाहती है. कोर्ट इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है और वह एक करोड़ रुपये की सीमा तक जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है.