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आयुष-64 दवा कोविड-19 के हल्के से मध्यम मामलों के उपचार में उपयोगी : आयुष मंत्रालय - निदेशक अरविंद चोपड़ा ने

मलेरिया के उपचार के लिए 1980 में विकसित दवा आयुष-64, कोविड-19 के हल्के एवं मध्यम संक्रमण के मामलों में उपचार के लिए उपयोगी है. सेंटर फॉर रियूमैटिक डिजीज, पुणे के निदेशक अरविंद चोपड़ा ने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आयुष-64 से उपचार में काफी सुधार दिखा और इसमें कम समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा.

आयुष मंत्रालय
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Published : Apr 29, 2021, 7:46 PM IST

नई दिल्ली : मलेरिया के उपचार के लिए 1980 में विकसित दवा आयुष-64, कोविड-19 के हल्के एवं मध्यम संक्रमण के मामलों में उपचार के लिए उपयोगी है. यह जानकारी बृहस्पतिवार को आयुष मंत्रालय ने दी.

सेंटर फॉर रियूमैटिक डिजीज, पुणे के निदेशक अरविंद चोपड़ा ने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस सिलसिले में दवा का परीक्षण तीन केंद्रों पर किया गया.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ; दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा और बीएमसी कोविड केंद्र, मुंबई में 70- 70 रोगियों पर इस दवा का परीक्षण किया गया.

चोपड़ा ने कहा कि आयुष-64 से उपचार में काफी सुधार दिखा और इसमें कम समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा.

उन्होंने कहा कि दवा का सामान्य स्वास्थ्य, थकान, चिंता, तनाव, भूख, खुशी और नींद पर लाभकारी प्रभाव देखा गया.

उन्होंने कहा, 'दवा के परीक्षण में पाया गया कि आयुष-64 से कोविड-19 के मामूली से मध्यम स्तर का उपचार प्रभावी एवं सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है.'

पढ़ें - मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच बस सेवा 7 मई तक के लिए स्थगित

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् के पूर्व महानिदेशक वी एम कटोच ने कहा कि आयुष-64 के परिणाम पर एक समिति ने सावधानीपूर्वक समीक्षा की है और मामूली से मध्यम स्तर के कोविड-19 मामलों में दवा के इस्तेमाल की अनुशंसा की है.

आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान के केंद्रीय परिषद् के महानिदेशक एन. श्रीकांत ने कहा कि दवा पर अतिरिक्त अध्ययन प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में जारी है.

नई दिल्ली : मलेरिया के उपचार के लिए 1980 में विकसित दवा आयुष-64, कोविड-19 के हल्के एवं मध्यम संक्रमण के मामलों में उपचार के लिए उपयोगी है. यह जानकारी बृहस्पतिवार को आयुष मंत्रालय ने दी.

सेंटर फॉर रियूमैटिक डिजीज, पुणे के निदेशक अरविंद चोपड़ा ने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस सिलसिले में दवा का परीक्षण तीन केंद्रों पर किया गया.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ; दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा और बीएमसी कोविड केंद्र, मुंबई में 70- 70 रोगियों पर इस दवा का परीक्षण किया गया.

चोपड़ा ने कहा कि आयुष-64 से उपचार में काफी सुधार दिखा और इसमें कम समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा.

उन्होंने कहा कि दवा का सामान्य स्वास्थ्य, थकान, चिंता, तनाव, भूख, खुशी और नींद पर लाभकारी प्रभाव देखा गया.

उन्होंने कहा, 'दवा के परीक्षण में पाया गया कि आयुष-64 से कोविड-19 के मामूली से मध्यम स्तर का उपचार प्रभावी एवं सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है.'

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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् के पूर्व महानिदेशक वी एम कटोच ने कहा कि आयुष-64 के परिणाम पर एक समिति ने सावधानीपूर्वक समीक्षा की है और मामूली से मध्यम स्तर के कोविड-19 मामलों में दवा के इस्तेमाल की अनुशंसा की है.

आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान के केंद्रीय परिषद् के महानिदेशक एन. श्रीकांत ने कहा कि दवा पर अतिरिक्त अध्ययन प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में जारी है.

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