अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि परिसर में जनवरी 2024 के मध्य होने वाले 'रामलला प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव' में देशभर से चार हजार संतों को आमंत्रित किया जा रहा है. इसी के साथ ही कला, साहित्य, कवि और लेखन क्षेत्र के मर्मज्ञों, पद्म पुरस्कार जैसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किए गए विशिष्ट जनों, उच्च पदों पर रहे अवकाश प्राप्त अधिकारी, उद्योगपति, प्रतिष्ठित अधिवक्ता और न्यायाधीश आदि को आमंत्रित करने के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के महासचिव चंपत राय ने बताया कि समाज के हर वर्ग की उपस्थिति भी प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और घुमंतू जातियों से भी समाज में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विशिष्ट जनों को आमंत्रित किया जा रहा है.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ऐसे परिवारों को भी सूचीबद्ध किया जा रहा है, जिनके परिवार का व्यक्ति राम जन्मभूमि मंदिर को प्राप्त करने में अपना बलिदान दे चुका है. उन्होंने बताया कि 4000 साधु-संत और 2000 विशिष्ट जनों को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आमंत्रित किया जा रहा है. साथ ही राम मंदिर निर्माण में लगे मजदूर और सुपरवाइजर भी कार्यक्रम में शामिल हों, ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है. इस पर गंभीर चिंतन किया जा रहा है. चंपत राय श्रीराम मंदिर निर्माण समिति की 2 दिन की बैठक के बाद लिए गए निर्णय की जानकारी दे रहे थे. बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने की थी. बैठक में ट्रस्ट के सभी सदस्य और कार्यदायी संस्था के अधिकारी भी शामिल हुए थे.
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री महामंडलेश्वर स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस समारोह में शामिल होने के लिए प्रमुख रूप से लगभग 4000 संतों की सूची बनाई गई है. हालांकि, अयोध्या आने वाले संत महात्माओं की संख्या असीमित होगी. बहुत से संत महात्मा ऐसे हैं जो अपनी स्वेक्षा से अयोध्या पहुंचेंगे. ऐसे 127 संप्रदाय हैं, जिनके वरिष्ठ संत धर्माचार्य जगतगुरु, महामंडलेश्वर, आचार्य जैसी उपाधियों को धारण किए हुए संत महानुभाव भगवान राम लला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की शोभा बढ़ाएंगे. इन सभी संतों के मार्गदर्शन में भगवान राम का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव भव्य रूप से मनाया जाएगा.
महामंडलेश्वर जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि दशकों से धर्मनगरी अयोध्या उपेक्षा का शिकार रही है. अब अयोध्या सज रही है, संवर रही है. इसलिए, अयोध्या आने की प्रबल इच्छा देश ही नहीं पूरी दुनिया भर के संत महात्माओं में और राम भक्तों में है. इस आयोजन की कोई सीमा नहीं तय की जा सकती. उन्होंने कहा कि उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है कि प्रमुख संत और महात्माओं को सूचीबद्ध कर उन्हें पूरी योजना के साथ अयोध्या लाया जाए, जिससे वह इस आयोजन में शामिल हो सकें. उनके रहने-खाने और आने-जाने की सारी व्यवस्था की रूपरेखा अखिल भारतीय संत समिति के माध्यम से ट्रस्ट के निर्देशन में तय की जा रही है. यह सभी संत आयोजन से तीन से चार दिन पूर्व अयोध्या पहुंचेंगे और तीन से चार दिन अयोध्या में प्रवास करेंगे.
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