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अयोध्या जमीन खरीद विवाद: कब क्या हुआ, एक क्लिक में जानिए पूरी टाइमलाइन - अयोध्या जमीन खरीद विवाद

योगी सरकार (Yogi Government) ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण (Ram Janmabhoomi Temple Construction) शुरू होने के बाद अयोध्या में अफसरों, नेताओं और उनके रिश्तेदारों द्वारा बड़े पैमाने खरीदी गई जमीन (Ayodhya land purchase dispute) की जांच के आदेश दिए हैं. इस पूरे विवाद में आरोप है कि दलितों की जमीन को महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने नियमों का उल्लंघन करते हुए खरीद और फिर अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों को बेच दी.

AYODHYA LAND SCAM
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Published : Dec 24, 2021, 3:47 PM IST

लखनऊः एक तरफ राम मंदिर का निर्माण (Ram Janmabhoomi Temple Construction) जोरों पर है, वहीं दूसरी तरफ जमीन खरीद का विवाद (Ayodhya land purchase dispute) ) जोर पकड़ता जा रहा है. विपक्ष ने अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदने का आरोप लगाया है. आरोप है कि नेताओं-अफसरों के रिश्तेदारों ने अयोध्या में नियमों का उल्लंघन करके जमीन खरीद ली है. इस पूरे मामले में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (Maharishi Ramayana Vidyapeeth Trust) का नाम सामने आ रहा है.

आरोप है कि ट्रस्ट ने दलित की जमीन अपने विश्वसनीय दलित को दिलाई फिर उसे महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (Maharishi Ramayana Vidyapeeth Trust) को दान करा दी. फिर उसी जमीन को नेताओं और अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर खरीद ली.

अयोध्या जमीन खरीद मामला

क्या है मामला

1990 से 1996 के बीच बरहटा मांझा और आस-पास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कई जमीनें महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने खरीदीं. आरोप है कि कई जमीन ऐसी हैं जिन्हें खरीदने के लिए नियमों और कानूनों को ताक पर रख दिया गया. ट्रस्ट ने पहले अपने भरोसे के दलित व्यक्ति के नाम पर दलितों से जमीन खरीदी फिर उसी जमीन को 1996 में दान पत्र के जरिए ट्रस्ट के नाम करा ली. इस तरह पूरी जमीन महर्षि रामायण विधापीठ ट्रस्ट के नाम हो गई. यहां यह जाना अवश्यक है कि उत्तर प्रदेश भू-राजस्व संहिता में उल्लेख किए गए कानूनों के तहत गैर दलित को दलित से जमीन खरीदने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होती है या दलित की तरफ से उस जमीन को आबादी की भूमि में परिवर्तित कराना होता है. आरोप है कि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने भी इसका जुगाड़ निकाल लिया था.

'महादेव' ने उजागर किया मामला

जिन दलितों की जमीन खरीदी गई उनमें से महादेव नाम के दलित ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू यानी राजस्व बोर्ड लखनऊ में शिकायत कर दी. आरोप लगाया कि अवैध तरीके से उसकी जमीन महर्षि विद्यापीठ ट्रस्ट के नाम स्थानांतरित कर दी गई है. इसी शिकायत के बाद फैजाबाद के अतिरिक्त आयुक्त और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के निर्देशन में एक जांच कमेटी का गठन किया गया. कमेटी को इस साल 2021 में अयोध्या के कमिश्नर एमपी अग्रवाल की तरफ से मंजूरी दी गई.

शुरू से लेकर जांच तक की कहानी

  • 1992 में माझा बरेटा गांव में महर्षि रामायण विद्यापीठ ने जमीन खरीदी. इस जमीन में से 21 बीघा जमीन दलितों के नाम रजिस्टर्ड थी.
  • 1996 को रोघई नामक शख्स ने एक अनरजिस्टर्ड दान पत्र के जरिए पूरी जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ को दान कर दी.
  • अगस्त 1996 में तत्कालीन सर्वे नायब तहसीलदार ने दस्तावेजों में रोघई का नाम खारिज कर महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट द्वारा प्रबंधक प्रेमचंद श्रीवास्तव के नाम पर दर्ज कर दिया गया.
  • 2019 में बरहेटा मंझा गांव के रहने वाले महादेव ने शिकायत दर्ज कराई. आरोप लगाया कि बिना डीएम की परमिशन के अनुसूचित जाति की जमीन का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.
  • अक्टूबर 2019 में कमिश्नर ने जांच कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दिए.
  • 2020 को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी.
  • अक्टूबर 2020 को तत्कालीन डीएम अयोध्या ने जांच रिपोर्ट के आधार पर महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए.
  • 2021 में कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट रेवेन्यू बोर्ड भेज दी.
  • अगस्त 2021 को इस मामले में असिस्टेंट रिकॉर्ड ऑफिसर की कोर्ट में केस फाइल हुआ और तब से यह मामला पेंडिग पड़ा है.

सरकार ने दिए जांच के आदेश

अयोध्या में अधिकारियों और नेताओं द्वारा अपने परिजनों के नाम पर राम जन्मभूमि के आस-पास जमीन खरीदने के हाईप्रोफाइल मामले की राज्य सरकार ने जांच कराने का फैसला किया है. इस पूरे मामले में राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि यह मामला गंभीर है और बड़ा मामला है. जिस प्रकार से जानकारी सामने आई है, उसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने जांच कराने की बात कही है. जांच कमेटी गठित की गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि हमारी सरकार निष्पक्ष तरीके से काम करती है. गलत चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जाता है. भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. जांच अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग मनोज सिंह के नेतृत्व में होगी. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी, जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.

विपक्ष ने लगाया था आरोप

आरोप है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के समय अयोध्या में तैनात कई अधिकारियों और नेताओं ने मिलीभगत करके जमीन की खरीद-फरोख्त की गई थी. इसको लेकर सबसे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कई सनसनीखेज दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए भाजपा सरकार पर राम के नाम पर लूट का बड़ा आरोप लगाया था.

प्रियंका गांधी ने अयोध्या जमीन विवाद पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. उन्होंने कहा, जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे और ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे. इसका मतलब है कि चंदा के जरिए जो पैसा इकट्ठा हुआ है, उसमें घोटाला हुआ है. प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया है कि दलितों की जमीन के टुकड़े, जिन्हें खरीदा नहीं जा सकता था, हड़प लिया गया. जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे और ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे. इसका मतलब है कि चंदा के जरिए जो पैसा इकट्ठा हुआ है, उसमें घोटाला है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को राजधानी लखनऊ में पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए मायावती ने कहा कि अयोध्या जमीन खरीद मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए.

इसके बाद लगातार नेताओं और अधिकारियों के परिजनों के नाम पर जमीन खरीद-फरोख्त के दस्तावेज सामने आने के चलते योगी सरकार ने यह जांच कराने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई है और 1 सप्ताह में पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई किए जाए की बात कही जा रही है.

इन पर है जमीन खरीद का आरोप

1. एमपी अग्रवाल, कमिश्नर अयोध्या

एमपी अग्रवाल नवंबर 2019 से अयोध्या के कमिश्नर हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 31 लाख रुपये में 2,530 वर्गमीटर जमीन खरीदी. उनके बहनोई आनंद वर्धन ने उसी दिन उसी गांव में MRVT से 15.50 लाख रुपये में 1,260 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. कंपनी के रिकॉर्ड बताते हैं कि कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स एंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं.

इसे भी पढ़ें- ayodhya land dispute : प्रियंका गांधी ने लगाया घोटाले का आरोप

2. दीपक कुमार, DIG अयोध्या

दीपक कुमार फिलहाल DIG अलीगढ़ हैं. वह 26 जुलाई, 2020 से 30 मार्च, 2021 के बीच अयोध्या के डीआईजी थे. इनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्गमीटर MRVT से 19.75 लाख रुपये में खरीदा था.

3. इंद्र प्रताप तिवारी, विधायक

आरोप है कि इन्होंने 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर MRVT से 30 लाख रुपये में जमीन खरीदी. 16 मार्च 2021को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरज दास से बरहटा माझा में 6320 वर्ग मीटर 47.40 लाख रुपये में जमीन ली.

4. पुरुषोत्तम दास गुप्ता , मुख्य राजस्व अधिकारी

पुरुषोत्तम दास गुप्ता 20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 के बीच अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे हैं. अब गोरखपुर में एडीएम (ई) हैं. उनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमरजीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर MRVT से 21.88 लाख रुपये में जमीन खरीदी.

5. वेद प्रकाश गुप्ता, विधायक

आरोप है कि विधायक के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपये में खरीदा था. 29 दिसंबर 2020 को उन्होंने जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर, सरयू नदी के पार अगले दरवाजे महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्गमीटर जमीन खरीदी.

इसे भी पढ़ें- योगी सरकार के अधिकारी नहीं कर सकते अयोध्या जमीन घोटाले की जांच : संजय सिंह

6. उमाधर द्विवेदी, पूर्व आईएएस अधिकारी

यूपी कैडर के सेवानिवृत्त IAS अधिकारी उमाधर ने बरहटा मांझा में 23 अक्टूबर 2021 को MRVT से 39.04 लाख रुपये में 1,680 वर्ग मीटर खरीदा.

7. ऋषिकेश उपाध्याय, मेयर

मेयर ने अयोध्या फैसले से दो महीने पहले 18 सितंबर 2019 को हरीश कुमार से 30 लाख रुपये में 1,480 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. 9 जुलाई, 2018 को, परमहंस शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रबंधक के रूप में उन्होंने रमेश से दान के रूप में अयोध्या के काजीपुर चितवन में 2,530 वर्ग मीटर का अधिग्रहण किया. सरकारी रिकॉर्ड में जमीन की कीमत 1.01 करोड़ रुपये है.

8. आयुष चौधरी, एसडीएम

आयुष चौधरी अब कानपुर में तैनात हैं. इनकी चचेरी बहन शोभिता रानी ने अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर जमीन को 17.66 लाख रुपए में आशाराम से खरीदा था. यह डील 28 मई, 2020 को हुई. 28 नवंबर, 2019 को शोभिता रानी की संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने दिनेश कुमार से 7.24 लाख रुपये में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर जमीन और खरीदी.

9. अरविंद चौरसिया, पीपीएस अधिकारी

21 जून 2021 को उनके ससुर संतोष कुमार चौरसिया ने भूपेश कुमार से अयोध्या के रामपुर हलवारा उपरहार गांव में 126.48 वर्ग मीटर 4 लाख रुपये में खरीदी. 21 सितंबर 2021 को उनकी सास रंजना चौरसिया ने कारखाना में 279.73 वर्ग मीटर जमीन भागीरथी से 20 लाख रुपये में खरीदी.

10. हर्षवर्धन शाही, राज्य सूचना आयुक्त

18 नवंबर, 2021 को उनकी पत्नी संगीता शाही और उनके बेटे सहर्ष कुमार शाही ने अयोध्या के सरायरासी मांझा में 929.85 वर्ग मीटर जमीन इंद्र प्रकाश सिंह से 15.82 लाख रुपये में खरीदी.

11. बलराम मौर्य, सदस्य, राज्य ओबीसी आयोग

इन्होंने 28 फरवरी, 2020 को गोंडा के महेशपुर में जगदंबा और त्रिवेणी सिंह से 50 लाख रुपये में 9,375 वर्ग मीटर जमीन खरीदी.

12. बद्री उपाध्याय, गांजा गांव के लेखपाल

8 मार्च, 2021 को उनके पिता वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने श्याम सुंदर से गांजा में 116 वर्ग मीटर 3.50 लाख रुपये में जमीन खरीदा.

13. सुधांशु रंजन, गांजा गांव के कानूनगो

कानूनगो सुधांशु रंजन की पत्नी अदित श्रीवास्तव ने 8 मार्च 2021 को गांजा में 270 वर्ग मीटर जमीन 7.50 लाख रुपये में जमीन खरीदी.

14. दिनेश ओझा ,पेशकार

15 मार्च, 2021 को, इनकी बेटी श्वेता ओझा ने तिहुरा मांझा में 2542 वर्ग मीटर जमीन महराजदीन से 5 लाख रुपये में खरीदी.

ये भी पढ़ें: अयोध्या जमीन खरीद विवाद : जमीन खरीद से लेकर कार्रवाई के आदेश तक जानिए क्या-क्या हुआ

लखनऊः एक तरफ राम मंदिर का निर्माण (Ram Janmabhoomi Temple Construction) जोरों पर है, वहीं दूसरी तरफ जमीन खरीद का विवाद (Ayodhya land purchase dispute) ) जोर पकड़ता जा रहा है. विपक्ष ने अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदने का आरोप लगाया है. आरोप है कि नेताओं-अफसरों के रिश्तेदारों ने अयोध्या में नियमों का उल्लंघन करके जमीन खरीद ली है. इस पूरे मामले में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (Maharishi Ramayana Vidyapeeth Trust) का नाम सामने आ रहा है.

आरोप है कि ट्रस्ट ने दलित की जमीन अपने विश्वसनीय दलित को दिलाई फिर उसे महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (Maharishi Ramayana Vidyapeeth Trust) को दान करा दी. फिर उसी जमीन को नेताओं और अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर खरीद ली.

अयोध्या जमीन खरीद मामला

क्या है मामला

1990 से 1996 के बीच बरहटा मांझा और आस-पास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कई जमीनें महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने खरीदीं. आरोप है कि कई जमीन ऐसी हैं जिन्हें खरीदने के लिए नियमों और कानूनों को ताक पर रख दिया गया. ट्रस्ट ने पहले अपने भरोसे के दलित व्यक्ति के नाम पर दलितों से जमीन खरीदी फिर उसी जमीन को 1996 में दान पत्र के जरिए ट्रस्ट के नाम करा ली. इस तरह पूरी जमीन महर्षि रामायण विधापीठ ट्रस्ट के नाम हो गई. यहां यह जाना अवश्यक है कि उत्तर प्रदेश भू-राजस्व संहिता में उल्लेख किए गए कानूनों के तहत गैर दलित को दलित से जमीन खरीदने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होती है या दलित की तरफ से उस जमीन को आबादी की भूमि में परिवर्तित कराना होता है. आरोप है कि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने भी इसका जुगाड़ निकाल लिया था.

'महादेव' ने उजागर किया मामला

जिन दलितों की जमीन खरीदी गई उनमें से महादेव नाम के दलित ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू यानी राजस्व बोर्ड लखनऊ में शिकायत कर दी. आरोप लगाया कि अवैध तरीके से उसकी जमीन महर्षि विद्यापीठ ट्रस्ट के नाम स्थानांतरित कर दी गई है. इसी शिकायत के बाद फैजाबाद के अतिरिक्त आयुक्त और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के निर्देशन में एक जांच कमेटी का गठन किया गया. कमेटी को इस साल 2021 में अयोध्या के कमिश्नर एमपी अग्रवाल की तरफ से मंजूरी दी गई.

शुरू से लेकर जांच तक की कहानी

  • 1992 में माझा बरेटा गांव में महर्षि रामायण विद्यापीठ ने जमीन खरीदी. इस जमीन में से 21 बीघा जमीन दलितों के नाम रजिस्टर्ड थी.
  • 1996 को रोघई नामक शख्स ने एक अनरजिस्टर्ड दान पत्र के जरिए पूरी जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ को दान कर दी.
  • अगस्त 1996 में तत्कालीन सर्वे नायब तहसीलदार ने दस्तावेजों में रोघई का नाम खारिज कर महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट द्वारा प्रबंधक प्रेमचंद श्रीवास्तव के नाम पर दर्ज कर दिया गया.
  • 2019 में बरहेटा मंझा गांव के रहने वाले महादेव ने शिकायत दर्ज कराई. आरोप लगाया कि बिना डीएम की परमिशन के अनुसूचित जाति की जमीन का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.
  • अक्टूबर 2019 में कमिश्नर ने जांच कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दिए.
  • 2020 को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी.
  • अक्टूबर 2020 को तत्कालीन डीएम अयोध्या ने जांच रिपोर्ट के आधार पर महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए.
  • 2021 में कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट रेवेन्यू बोर्ड भेज दी.
  • अगस्त 2021 को इस मामले में असिस्टेंट रिकॉर्ड ऑफिसर की कोर्ट में केस फाइल हुआ और तब से यह मामला पेंडिग पड़ा है.

सरकार ने दिए जांच के आदेश

अयोध्या में अधिकारियों और नेताओं द्वारा अपने परिजनों के नाम पर राम जन्मभूमि के आस-पास जमीन खरीदने के हाईप्रोफाइल मामले की राज्य सरकार ने जांच कराने का फैसला किया है. इस पूरे मामले में राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि यह मामला गंभीर है और बड़ा मामला है. जिस प्रकार से जानकारी सामने आई है, उसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने जांच कराने की बात कही है. जांच कमेटी गठित की गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि हमारी सरकार निष्पक्ष तरीके से काम करती है. गलत चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जाता है. भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. जांच अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग मनोज सिंह के नेतृत्व में होगी. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी, जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.

विपक्ष ने लगाया था आरोप

आरोप है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के समय अयोध्या में तैनात कई अधिकारियों और नेताओं ने मिलीभगत करके जमीन की खरीद-फरोख्त की गई थी. इसको लेकर सबसे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कई सनसनीखेज दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए भाजपा सरकार पर राम के नाम पर लूट का बड़ा आरोप लगाया था.

प्रियंका गांधी ने अयोध्या जमीन विवाद पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. उन्होंने कहा, जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे और ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे. इसका मतलब है कि चंदा के जरिए जो पैसा इकट्ठा हुआ है, उसमें घोटाला हुआ है. प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया है कि दलितों की जमीन के टुकड़े, जिन्हें खरीदा नहीं जा सकता था, हड़प लिया गया. जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे और ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे. इसका मतलब है कि चंदा के जरिए जो पैसा इकट्ठा हुआ है, उसमें घोटाला है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को राजधानी लखनऊ में पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए मायावती ने कहा कि अयोध्या जमीन खरीद मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए.

इसके बाद लगातार नेताओं और अधिकारियों के परिजनों के नाम पर जमीन खरीद-फरोख्त के दस्तावेज सामने आने के चलते योगी सरकार ने यह जांच कराने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई है और 1 सप्ताह में पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई किए जाए की बात कही जा रही है.

इन पर है जमीन खरीद का आरोप

1. एमपी अग्रवाल, कमिश्नर अयोध्या

एमपी अग्रवाल नवंबर 2019 से अयोध्या के कमिश्नर हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 31 लाख रुपये में 2,530 वर्गमीटर जमीन खरीदी. उनके बहनोई आनंद वर्धन ने उसी दिन उसी गांव में MRVT से 15.50 लाख रुपये में 1,260 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. कंपनी के रिकॉर्ड बताते हैं कि कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स एंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं.

इसे भी पढ़ें- ayodhya land dispute : प्रियंका गांधी ने लगाया घोटाले का आरोप

2. दीपक कुमार, DIG अयोध्या

दीपक कुमार फिलहाल DIG अलीगढ़ हैं. वह 26 जुलाई, 2020 से 30 मार्च, 2021 के बीच अयोध्या के डीआईजी थे. इनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्गमीटर MRVT से 19.75 लाख रुपये में खरीदा था.

3. इंद्र प्रताप तिवारी, विधायक

आरोप है कि इन्होंने 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर MRVT से 30 लाख रुपये में जमीन खरीदी. 16 मार्च 2021को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरज दास से बरहटा माझा में 6320 वर्ग मीटर 47.40 लाख रुपये में जमीन ली.

4. पुरुषोत्तम दास गुप्ता , मुख्य राजस्व अधिकारी

पुरुषोत्तम दास गुप्ता 20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 के बीच अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे हैं. अब गोरखपुर में एडीएम (ई) हैं. उनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमरजीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर MRVT से 21.88 लाख रुपये में जमीन खरीदी.

5. वेद प्रकाश गुप्ता, विधायक

आरोप है कि विधायक के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपये में खरीदा था. 29 दिसंबर 2020 को उन्होंने जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर, सरयू नदी के पार अगले दरवाजे महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्गमीटर जमीन खरीदी.

इसे भी पढ़ें- योगी सरकार के अधिकारी नहीं कर सकते अयोध्या जमीन घोटाले की जांच : संजय सिंह

6. उमाधर द्विवेदी, पूर्व आईएएस अधिकारी

यूपी कैडर के सेवानिवृत्त IAS अधिकारी उमाधर ने बरहटा मांझा में 23 अक्टूबर 2021 को MRVT से 39.04 लाख रुपये में 1,680 वर्ग मीटर खरीदा.

7. ऋषिकेश उपाध्याय, मेयर

मेयर ने अयोध्या फैसले से दो महीने पहले 18 सितंबर 2019 को हरीश कुमार से 30 लाख रुपये में 1,480 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. 9 जुलाई, 2018 को, परमहंस शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रबंधक के रूप में उन्होंने रमेश से दान के रूप में अयोध्या के काजीपुर चितवन में 2,530 वर्ग मीटर का अधिग्रहण किया. सरकारी रिकॉर्ड में जमीन की कीमत 1.01 करोड़ रुपये है.

8. आयुष चौधरी, एसडीएम

आयुष चौधरी अब कानपुर में तैनात हैं. इनकी चचेरी बहन शोभिता रानी ने अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर जमीन को 17.66 लाख रुपए में आशाराम से खरीदा था. यह डील 28 मई, 2020 को हुई. 28 नवंबर, 2019 को शोभिता रानी की संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने दिनेश कुमार से 7.24 लाख रुपये में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर जमीन और खरीदी.

9. अरविंद चौरसिया, पीपीएस अधिकारी

21 जून 2021 को उनके ससुर संतोष कुमार चौरसिया ने भूपेश कुमार से अयोध्या के रामपुर हलवारा उपरहार गांव में 126.48 वर्ग मीटर 4 लाख रुपये में खरीदी. 21 सितंबर 2021 को उनकी सास रंजना चौरसिया ने कारखाना में 279.73 वर्ग मीटर जमीन भागीरथी से 20 लाख रुपये में खरीदी.

10. हर्षवर्धन शाही, राज्य सूचना आयुक्त

18 नवंबर, 2021 को उनकी पत्नी संगीता शाही और उनके बेटे सहर्ष कुमार शाही ने अयोध्या के सरायरासी मांझा में 929.85 वर्ग मीटर जमीन इंद्र प्रकाश सिंह से 15.82 लाख रुपये में खरीदी.

11. बलराम मौर्य, सदस्य, राज्य ओबीसी आयोग

इन्होंने 28 फरवरी, 2020 को गोंडा के महेशपुर में जगदंबा और त्रिवेणी सिंह से 50 लाख रुपये में 9,375 वर्ग मीटर जमीन खरीदी.

12. बद्री उपाध्याय, गांजा गांव के लेखपाल

8 मार्च, 2021 को उनके पिता वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने श्याम सुंदर से गांजा में 116 वर्ग मीटर 3.50 लाख रुपये में जमीन खरीदा.

13. सुधांशु रंजन, गांजा गांव के कानूनगो

कानूनगो सुधांशु रंजन की पत्नी अदित श्रीवास्तव ने 8 मार्च 2021 को गांजा में 270 वर्ग मीटर जमीन 7.50 लाख रुपये में जमीन खरीदी.

14. दिनेश ओझा ,पेशकार

15 मार्च, 2021 को, इनकी बेटी श्वेता ओझा ने तिहुरा मांझा में 2542 वर्ग मीटर जमीन महराजदीन से 5 लाख रुपये में खरीदी.

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