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कोरोना से जंग में मददगार है ये मशीन - कोरोना से जंग

चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज (Chandigarh Engineering College) के एक प्रोफेसर ने अपने दो छात्रों के साथ मिलकर ऐसी मशीन तैयार की है, जो बिना किसी इंसानी मदद के कहीं भी मार्किंग कर सकती है. ये मशीन कोरोना काल में सोशल डिस्टेंस बनाने के लिए मार्क लगाने के काम आ सकती है.

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Published : Jul 9, 2021, 7:06 AM IST

चंडीगढ़ : कोरोना वायरस (corona virus) को दूर रखने में मास्क (mask) और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) ने एक अहम भूमिका अदा की है. सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे इसके लिए बकायदा दुकानों और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष निशान भी बनाए जाते हैं, ताकि इन निशानों पर खड़े होकर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें.

एक ऐसी मशीन जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद करेगी

ऐसे में चंडीगढ़ के एक प्रोफेसर ने अपने दो छात्रों के साथ मिलकर एक ऐसी मशीन तैयार की है, जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद-ब-खुद करेगी. इस मशीन को इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ के प्रोफेसर गुरजीत सिंह (Chandigarh Professor Gurjit Singh) और उनके दो छात्रों ने तैयार किया (two students prepared) है. इस मशीन को बनाने का उद्देश्य (purpose of making machine) ये है कि मशीन (machine) बिना इंसानी देखरेख के अपने आप सही जगह पर मार्किंग कर सके.

मशीन के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. गुरजीत सिंह ने बताया कि हम आमतौर पर देखते हैं कि दुकानों, शॉपिंग मॉल्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर निशान लगाए जाते हैं ताकि लोग उन निशानों पर खड़े होकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन (follow social distancing) कर सकें. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमनें एक ऐसी मशीन तैयार करने की है, जो बिना किसी देखरेख के अपने आप मार्किंग कर सकती है.

अलग-अलग जगहों पर जाकर इस मशीन की सिर्फ प्रोग्रामिंग सेट (programming set) करनी होगी, जिसके बाद प्रोग्रामिंग के हिसाब से ये अपने आप पूरी जगह की मार्किंग कर देगी. चाहे वो सड़क हो, स्कूल हो, कोई स्टेडियम हो या अन्य कोई जगह हो. इसमें जीपीएस की सहायता ली जाएगी. जीपीएस की सहायता से इस मशीन को ये आदेश दिया जा सकता है कि उसे कितनी जगह में मार्किंग करनी है और उस मार्किंग का डिजाइन क्या होगा. इसके बाद ये मशीन अपने आप उस जगह की मार्किंग कर देगी.

पढ़ें- जानें क्या है आटा-साटा प्रथा, शादी के नाम पर लड़कियों की अदला-बदली

इस मशीन को बनाने वाली टीम में शामिल छात्र युवराज ने बताया कि इस मशीन में एक कैमरा और एक आरडी नो लगाया गया है. आरडी नो को इस मशीन का दिमाग कहा जा सकता है, जो इस मशीन को काम करने के लिए आदेश देता है. इसमें एक कैमरा भी लगाया गया है, जिससे इस मशीन को ये पता रहता है कि मार्किंग ठीक तरीके से हो रही है या नहीं. अगर कहीं पर मार्किंग गलत होती है तो ये मशीन खुद ही रुक जाती है. हालांकि, ये मशीन अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन जब इस मशीन में सभी सिस्टम लगा दिए जाएंगे और उसका आकार भी बड़ा कर दिया जाएगा, तब ये मशीन काफी कारगर साबित हो सकती है.

इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर मार्किंग करते वक्त ट्रैफिक को रुकना नहीं पड़ेगा. ट्रैफिक चलने के साथ-साथ ये मशीन मार्किंग कर सकती है. इस मशीन से इस तरह के सभी काम तेज गति से हो पाएंगे और सटीक तरीके से भी हो पाएंगे.

चंडीगढ़ : कोरोना वायरस (corona virus) को दूर रखने में मास्क (mask) और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) ने एक अहम भूमिका अदा की है. सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे इसके लिए बकायदा दुकानों और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष निशान भी बनाए जाते हैं, ताकि इन निशानों पर खड़े होकर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें.

एक ऐसी मशीन जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद करेगी

ऐसे में चंडीगढ़ के एक प्रोफेसर ने अपने दो छात्रों के साथ मिलकर एक ऐसी मशीन तैयार की है, जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद-ब-खुद करेगी. इस मशीन को इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ के प्रोफेसर गुरजीत सिंह (Chandigarh Professor Gurjit Singh) और उनके दो छात्रों ने तैयार किया (two students prepared) है. इस मशीन को बनाने का उद्देश्य (purpose of making machine) ये है कि मशीन (machine) बिना इंसानी देखरेख के अपने आप सही जगह पर मार्किंग कर सके.

मशीन के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. गुरजीत सिंह ने बताया कि हम आमतौर पर देखते हैं कि दुकानों, शॉपिंग मॉल्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर निशान लगाए जाते हैं ताकि लोग उन निशानों पर खड़े होकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन (follow social distancing) कर सकें. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमनें एक ऐसी मशीन तैयार करने की है, जो बिना किसी देखरेख के अपने आप मार्किंग कर सकती है.

अलग-अलग जगहों पर जाकर इस मशीन की सिर्फ प्रोग्रामिंग सेट (programming set) करनी होगी, जिसके बाद प्रोग्रामिंग के हिसाब से ये अपने आप पूरी जगह की मार्किंग कर देगी. चाहे वो सड़क हो, स्कूल हो, कोई स्टेडियम हो या अन्य कोई जगह हो. इसमें जीपीएस की सहायता ली जाएगी. जीपीएस की सहायता से इस मशीन को ये आदेश दिया जा सकता है कि उसे कितनी जगह में मार्किंग करनी है और उस मार्किंग का डिजाइन क्या होगा. इसके बाद ये मशीन अपने आप उस जगह की मार्किंग कर देगी.

पढ़ें- जानें क्या है आटा-साटा प्रथा, शादी के नाम पर लड़कियों की अदला-बदली

इस मशीन को बनाने वाली टीम में शामिल छात्र युवराज ने बताया कि इस मशीन में एक कैमरा और एक आरडी नो लगाया गया है. आरडी नो को इस मशीन का दिमाग कहा जा सकता है, जो इस मशीन को काम करने के लिए आदेश देता है. इसमें एक कैमरा भी लगाया गया है, जिससे इस मशीन को ये पता रहता है कि मार्किंग ठीक तरीके से हो रही है या नहीं. अगर कहीं पर मार्किंग गलत होती है तो ये मशीन खुद ही रुक जाती है. हालांकि, ये मशीन अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन जब इस मशीन में सभी सिस्टम लगा दिए जाएंगे और उसका आकार भी बड़ा कर दिया जाएगा, तब ये मशीन काफी कारगर साबित हो सकती है.

इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर मार्किंग करते वक्त ट्रैफिक को रुकना नहीं पड़ेगा. ट्रैफिक चलने के साथ-साथ ये मशीन मार्किंग कर सकती है. इस मशीन से इस तरह के सभी काम तेज गति से हो पाएंगे और सटीक तरीके से भी हो पाएंगे.

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