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तेलंगाना की गवर्नर तमिलिसाईं बोलीं, राजभवन के प्रति शत्रुता रखती है तेलंगाना सरकार

तेलंगाना की गवर्नर तमिलिसाईं सुंदरराजन ने राजभवन के साथ प्रदेश सरकार के संबंधों की आलोचना की है. चेन्नै के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि राजभवन और निर्वाचित राज्य सरकार के बीच सामंजस्यपूर्ण कामकाजी संबंध होने चाहिए, मगर तेलंगाना में ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि पुडुचेरी के उपराज्यपाल के कार्यकाल के दौरान सरकार का रवैया सौहार्दपूर्ण था, जबकि तेलंगाना में यह शत्रुतापूर्ण है. डॉ तमिलिसाई ने स्पष्ट किया कि उनके प्रयास के बावजूद, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) आगे नहीं आ रहे हैं.

Telangana Governor tamilisai
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Published : Apr 19, 2022, 11:15 PM IST

चेन्नै: तेलंगाना के सीएम और राजभवन के बीच खराब हो रहे रिश्ते पर गवर्नर तमिलिसाईं सुंदरराजन ने बड़ा बयान दिया है. चेन्नै में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल तमिलिसाईं ने कहा कि मुख्यमंत्रियों की निरंकुश कार्यप्रणाली लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद बैठने के कारण आप यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि राज्यपाल रबड़ स्टैंप जैसे काम करे. आश्चर्य यह है कि एक चीफ मिनिस्टर यह चाहते हैं कि राज्यपाल उनकी इच्छा के मुताबिक काम करे. राज्यपाल और राज्य सरकार के संबंधों पर चर्चा करते हुए गवर्नर तमिलिसाईं ने अपने पुडुचेरी के कार्यकाल के बारे में बताया. अपना अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि राजभवन और निर्वाचित राज्य सरकार के बीच सामंजस्यपूर्ण कामकाजी संबंध होने चाहिए, मगर तेलंगाना में ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि पुडुचेरी के उपराज्यपाल के कार्यकाल के दौरान वहां की सरकार का रवैया सौहार्दपूर्ण था, जबकि तेलंगाना में यह शत्रुतापूर्ण है.

केसीआर सरकार के साथ टकराव के मुद्दे पर उन्होंने अपना पक्ष रखा. तेलंगाना की गवर्नर ने कहा कि राज्य सरकार ने उनका विरोध तब शुरू किया, जब उन्होंने एमएलसी के केसीआर की ओर से भेजे गए नाम को नॉमिनेट करने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया. उनका कहना था कि उस एमएलसी कैंडिडेट के खिलाफ कुछ मुद्दे थे, जिसे दरकिनार नहीं किया जा सकता था. इसके बाद से राजभवन और सरकार के बीच रिश्तों में खटास आ गई. मैंने गर्मजोशी लाने के प्रयास किए हैं और सीएम के साथ टेलीफोन पर बातचीत की . लेकिन, वह आगे बढ़ने के इच्छुक नहीं थे.

तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के रूप में साढ़े पांच साल के कार्यकाल में तमिलिसाई द्रविड़ राजनीति में बड़ा चेहरा बन गई थी. उनका कहना है कि उन्होंने आलोचना को स्वीकार करना सीख लिया है. तमिलिसाईं ने कहा कि जब मैं तमिलनाडु की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष थी तब आलोचना होती थी और अब भी मैं राज्यपाल के रूप में उनका सामना करती हूं. अपनी हालिया दिल्ली यात्रा के बाद उठी सियासी किस्सों पर भी तमिलिसाईं ने खुलकर राय रखी. उन्होंने कहा कि मेरी दिल्ली यात्रा के बाद यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि मुझे तेलंगाना से बाहर किया जा सकता है, क्योंकि वहां एक मजबूत राज्यपाल की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जो लोग महिलाओं की मजबूती पर सवाल उठाते हैं, उन्हें मैं चुनौती देती हूं, मुझसे ज्यादा मजबूत राज्यपाल कौन हो सकता है? यह मत सोचिए कि महिलाएं इतनी मजबूत नहीं हैं कि चुनौतियों का सामना कर सके.

पढ़ें : झूठ की बुनियाद पर खड़ी है 'आप', दंगों की राजनीति करती है कांग्रेस : तरुण चुग

चेन्नै: तेलंगाना के सीएम और राजभवन के बीच खराब हो रहे रिश्ते पर गवर्नर तमिलिसाईं सुंदरराजन ने बड़ा बयान दिया है. चेन्नै में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल तमिलिसाईं ने कहा कि मुख्यमंत्रियों की निरंकुश कार्यप्रणाली लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद बैठने के कारण आप यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि राज्यपाल रबड़ स्टैंप जैसे काम करे. आश्चर्य यह है कि एक चीफ मिनिस्टर यह चाहते हैं कि राज्यपाल उनकी इच्छा के मुताबिक काम करे. राज्यपाल और राज्य सरकार के संबंधों पर चर्चा करते हुए गवर्नर तमिलिसाईं ने अपने पुडुचेरी के कार्यकाल के बारे में बताया. अपना अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि राजभवन और निर्वाचित राज्य सरकार के बीच सामंजस्यपूर्ण कामकाजी संबंध होने चाहिए, मगर तेलंगाना में ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि पुडुचेरी के उपराज्यपाल के कार्यकाल के दौरान वहां की सरकार का रवैया सौहार्दपूर्ण था, जबकि तेलंगाना में यह शत्रुतापूर्ण है.

केसीआर सरकार के साथ टकराव के मुद्दे पर उन्होंने अपना पक्ष रखा. तेलंगाना की गवर्नर ने कहा कि राज्य सरकार ने उनका विरोध तब शुरू किया, जब उन्होंने एमएलसी के केसीआर की ओर से भेजे गए नाम को नॉमिनेट करने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया. उनका कहना था कि उस एमएलसी कैंडिडेट के खिलाफ कुछ मुद्दे थे, जिसे दरकिनार नहीं किया जा सकता था. इसके बाद से राजभवन और सरकार के बीच रिश्तों में खटास आ गई. मैंने गर्मजोशी लाने के प्रयास किए हैं और सीएम के साथ टेलीफोन पर बातचीत की . लेकिन, वह आगे बढ़ने के इच्छुक नहीं थे.

तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के रूप में साढ़े पांच साल के कार्यकाल में तमिलिसाई द्रविड़ राजनीति में बड़ा चेहरा बन गई थी. उनका कहना है कि उन्होंने आलोचना को स्वीकार करना सीख लिया है. तमिलिसाईं ने कहा कि जब मैं तमिलनाडु की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष थी तब आलोचना होती थी और अब भी मैं राज्यपाल के रूप में उनका सामना करती हूं. अपनी हालिया दिल्ली यात्रा के बाद उठी सियासी किस्सों पर भी तमिलिसाईं ने खुलकर राय रखी. उन्होंने कहा कि मेरी दिल्ली यात्रा के बाद यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि मुझे तेलंगाना से बाहर किया जा सकता है, क्योंकि वहां एक मजबूत राज्यपाल की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जो लोग महिलाओं की मजबूती पर सवाल उठाते हैं, उन्हें मैं चुनौती देती हूं, मुझसे ज्यादा मजबूत राज्यपाल कौन हो सकता है? यह मत सोचिए कि महिलाएं इतनी मजबूत नहीं हैं कि चुनौतियों का सामना कर सके.

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