मुंबई : भारत में अंग्रेजों के शासन के समय में बनाए गई मुंबई गेटवे ऑफ इंडिया की इमारत सौ साल से भी अधिक पुरानी हो चुकी है. बताया जा रहा है कि इमारत में दरारें आ गई हैं. साथ ही इस संबंध में पुरातत्व विभाग की ओर से रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी गई है. इस संबंध में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि सरकार इस ऐतिहासिक इमारत की मरम्मत और संरक्षण करेगी और इसकी देखभाल करेगी.
बता दें कि अंग्रेजों ने व्यापार के लिए भारत आने के बाद में भारत में शासन किया. गेटवे ऑफ इंडिया को बनाने का काम 1911 में इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम के स्वागत के लिए शुरू किया गया था, जो उसी रास्ते से भारत आए थे जिस रास्ते से अंग्रेजों ने भारत में कदम रखे थे. वहीं गेटवे ऑफ इंडिया भवन का निर्माण 1924 में पूरा हो गया था. तभी से यह इमारत समुद्र की लहरों, बारिश, गर्मी और सर्दी को सहती आ रही है. ऐतिहासिक गेटवे ऑफ इंडिया के स्क्ट्रचर को लेकर ऑडिट किया गया था. ऑडिट में पाया गया कि इमारत में कई दरारें, अतिवृष्टि वाली वनस्पति, गुंबद के वॉटरप्रूफिंग और सीमेंट कंक्रीट को नुकसान पहुंचा है. साथ ही इमारत के किनारे की रिटेनिंग वॉल हाल के चक्रवात के दौरान ढह गई थी और अस्थायी रूप से मरम्मत की गई थी.
फिलहाल गेटवे ऑफ इंडिया को लेकर बनी ऑडिट रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंप दिया गया है. हालांकि महिला दिवस पर बुधवार को पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार वितरण का आयोजन गेटव ऑफ इंडिया पर किया गया था. इस दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के अलावा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई अन्य लोग मौजूद थे.
इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित विभाग इस ऐतिहासिक ढांचे की मरम्मत और संरक्षण करेंगे. उन्होंने कहा कि कि ऐतिहासिक ढांचे को संरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता होगी और इसका ध्यान रखा जाएगा.
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