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'टीके की दो खुराक के बीच 12-16 हफ्ते का अंतराल सही कदम, ब्रिटेन से तुलना गलत'

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Published : Jun 18, 2021, 10:06 PM IST

क्या कोविशील्ड की दो डोज के बीच 12 से 16 हफ्ते का गैप आवश्यक है. इस वैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षण में शामिल मुख्य जांचकर्ता ने सही कदम बताया है. उन्होंने कहा कि हम ब्रिटेन से भारत की तुलना नहीं कर सकते हैं.

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कोविशील्ड

नई दिल्ली : देश में कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 12-16 सप्ताह के अंतराल का समर्थन करते हुए एस्ट्राजेनेका टीके के क्लीनिकल परीक्षण के मुख्य जांचकर्ता ने शुक्रवार को कहा कि एक खुराक द्वारा उपलब्ध कराई गई सुरक्षा का स्तर टीका लगवाने के बाद दूसरे और तीसरे महीने में काफी बढ़ जाता है.

एक ऑनलाइन पोर्टल को दिये एक साक्षात्कार में, प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि दोनों देशों में अलग-अलग परिस्थितियों के कारण ब्रिटेन और भारत में टीकाकरण नीति की तुलना नहीं की जानी चाहिए. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन समूह के निदेशक पोलार्ड ने कहा, 'एक टीकाकरण नीति का लक्ष्य जल्द से जल्द अधिक संख्या में लोगों को टीके की कम से कम एक खुराक देना होता है, जो भारत में वर्तमान परिस्थितियों में समझ में आता है.'

भारत में अब तक 26,89,60,399 (26.89 करोड़) कोविड-19 टीके की खुराकें दी जा चुकी हैं.

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा संक्रमण और प्रतिरक्षा के प्रोफेसर पोलार्ड ने कहा कि एस्ट्राजेनेका एक खुराक वाले टीके पर काम नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि उनका समूह बूस्टर या तीसरे टीके की योजना पर काम नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि टीके की कमी की स्थिति में कम संख्या में लोगों के लिए बेहतर स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के बजाय अधिक से अधिक लोगों के लिए सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करना समझ में आता है.

उन्होंने इस बात को यह कहते हुए समझाया कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से 70 प्रतिशत से अधिक सुरक्षा प्रदान करती है. उन्होंने कहा, 'इस तथ्य से विचलित नहीं होना चाहिए कि एक खुराक लक्षण वाली (सिप्टोमैटिक) बीमारी के खिलाफ केवल 30 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है.'

(भाषा)

ये भी पढ़ें : क्या टीके के बाद भी हो रहा है कोरोना, जानें

नई दिल्ली : देश में कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 12-16 सप्ताह के अंतराल का समर्थन करते हुए एस्ट्राजेनेका टीके के क्लीनिकल परीक्षण के मुख्य जांचकर्ता ने शुक्रवार को कहा कि एक खुराक द्वारा उपलब्ध कराई गई सुरक्षा का स्तर टीका लगवाने के बाद दूसरे और तीसरे महीने में काफी बढ़ जाता है.

एक ऑनलाइन पोर्टल को दिये एक साक्षात्कार में, प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि दोनों देशों में अलग-अलग परिस्थितियों के कारण ब्रिटेन और भारत में टीकाकरण नीति की तुलना नहीं की जानी चाहिए. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन समूह के निदेशक पोलार्ड ने कहा, 'एक टीकाकरण नीति का लक्ष्य जल्द से जल्द अधिक संख्या में लोगों को टीके की कम से कम एक खुराक देना होता है, जो भारत में वर्तमान परिस्थितियों में समझ में आता है.'

भारत में अब तक 26,89,60,399 (26.89 करोड़) कोविड-19 टीके की खुराकें दी जा चुकी हैं.

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा संक्रमण और प्रतिरक्षा के प्रोफेसर पोलार्ड ने कहा कि एस्ट्राजेनेका एक खुराक वाले टीके पर काम नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि उनका समूह बूस्टर या तीसरे टीके की योजना पर काम नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि टीके की कमी की स्थिति में कम संख्या में लोगों के लिए बेहतर स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के बजाय अधिक से अधिक लोगों के लिए सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करना समझ में आता है.

उन्होंने इस बात को यह कहते हुए समझाया कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से 70 प्रतिशत से अधिक सुरक्षा प्रदान करती है. उन्होंने कहा, 'इस तथ्य से विचलित नहीं होना चाहिए कि एक खुराक लक्षण वाली (सिप्टोमैटिक) बीमारी के खिलाफ केवल 30 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है.'

(भाषा)

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