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Assembly Elections: चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पूर्वोत्तर राज्यों में राजनीतिक गतिविधियां तेज

चुनाव आयोग द्वारा बुधवार को एक प्रेस कॉफ्रेंस के जरिए मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. जहां त्रिपुरा में 16 फरवरी को मतदान होंगे, वहीं मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान होगा. वहीं राजनीतिक पार्टियों ने इन चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं.

Assembly Elections
विधानसभा चुनाव
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Published : Jan 18, 2023, 11:00 PM IST

अगरतला/शिलांग/कोहिमा: निर्वाचन आयोग द्वारा बुधवार को चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा किए जाने के साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में राजनीतिक गतिविधि तेज हो गई हैं. निर्वाचन आयोग ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए 16 फरवरी और नगालैंड तथा मेघालय विधानसभा चुनावों के लिए 27 फरवरी की तारीख तय की है जबकि मतगणना दो मार्च को होगी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मेघालय के गारो हिल्स जिले में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह दोहरे चेहरों वाली पार्टी है, जो चुनाव के दौरान कहती कुछ है और चुनाव के बाद करती कुछ और है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने कहा, 'हम चुनाव पूर्व गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे और आराम से 10-15 सीटें जीतेंगे.'

नगा शांति वार्ता को अंतिम रूप दिए जाने तक नगा नागरिक समाज द्वारा चुनावों को रोकने की अपनी मांगों को छोड़ने के लिए नगालैंड में गहन बातचीत चल रही है. त्रिपुरा में भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी है. पार्टी ने यहां पिछले साल मई में मुख्यमंत्री बदल दिया था. भाजपा दो अन्य राज्यों में भी अपनी सत्ता का विस्तार करना चाहेगी. कांग्रेस और वामपंथी त्रिपुरा में अपना खोया हुआ प्रभाव फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने हाल ही में चुनावी राज्यों का दौरा किया था. त्रिपुरा में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सरकार है. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के पास सर्वदलीय सरकार में नगालैंड में सबसे अधिक विधायक हैं. मेघालय में सरकार का नेतृत्व करने वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), पूर्वोत्तर की एकमात्र राजनीतिक पार्टी है, जिसे राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता प्राप्त है.

पेशे से डॉक्टर माणिक साहा को पिछले साल मई में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिप्लब देब के अचानक इस्तीफे के बाद त्रिपुरा का मुख्यमंत्री बनाया गया था. भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने 2018 में एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ा और माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे से सत्ता छीन ली थी. सदन की वर्तमान संख्या 53 है, जिसमें भाजपा के 33, आईपीएफटी के चार, माकपा के 15 और कांग्रेस का एक विधायक है.

माकपा और कांग्रेस ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने की घोषणा की है, जबकि तृणमूल कांग्रेस और तिपरा मोथा ने अभी तक अन्य दलों के साथ गठबंधन की घोषणा नहीं की है. तिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने 13 जनवरी को एक खुले पत्र में भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी से दोनों आदिवासी-आधारित पार्टियों के एकीकरण की अपील की थी.

राज्य भाजपा महासचिव पापिया दत्ता ने हालांकि कहा कि भाजपा आईपीएफटी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार है. तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पीयूष कांति बिस्वास ने बुधवार को कहा कि पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने को तैयार है और उपयुक्त दलों के साथ गठजोड़ के लिए बातचीत चल रही है. मेघालय विधानसभा में विधायकों की संख्या वर्तमान में मुख्य रूप से चुनाव से पहले विधायकों के इस्तीफे के कारण 42 है.

एनपीपी अध्यक्ष कोनराड संगमा राज्य के मुख्यमंत्री हैं जहां पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा और कई अन्य कांग्रेस विधायकों के दलबदल के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी. नगालैंड विधानसभा की विधायकों की संख्या वर्तमान में 59 है. यहां एनडीपीपी के 41 विधायक और भाजपा के 12 विधायक हैं. एनडीपीपी-भाजपा अब तक घोषित एकमात्र चुनाव पूर्व गठबंधन है.

यह पूछे जाने पर कि अगर लंबे समय से चले आ रहे नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान नहीं होने पर अगर नागरिक समाज संगठन चुनाव में हिस्सा नहीं लेने पर अड़े रहे तो क्या होगा, मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने मंगलवार को कहा, 'हम किसी भी संवैधानिक संकट की अनुमति नहीं दे सकते हैं और न ही कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होने दे सकते हैं. सही सोच वाले लोगों को नियम से मुद्दे को आगे बढ़ाना चाहिए.'

पढ़ें: Assembly Elections : त्रिपुरा में 16, मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को मतदान, 2 मार्च को काउंटिंग

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोई संवैधानिक संकट पैदा नहीं होने दे सकती. नगालैंड कांग्रेस के अध्यक्ष के. थेरी ने कहा, 'चुनाव कार्यक्रम की घोषणा ने लोगों की आकांक्षाओं के साथ विश्वासघात किया है क्योंकि नगा राजनीतिक मुद्दा अभी भी अनसुलझा है.'

(पीटीआई-भाषा)

अगरतला/शिलांग/कोहिमा: निर्वाचन आयोग द्वारा बुधवार को चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा किए जाने के साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में राजनीतिक गतिविधि तेज हो गई हैं. निर्वाचन आयोग ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए 16 फरवरी और नगालैंड तथा मेघालय विधानसभा चुनावों के लिए 27 फरवरी की तारीख तय की है जबकि मतगणना दो मार्च को होगी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मेघालय के गारो हिल्स जिले में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह दोहरे चेहरों वाली पार्टी है, जो चुनाव के दौरान कहती कुछ है और चुनाव के बाद करती कुछ और है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने कहा, 'हम चुनाव पूर्व गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे और आराम से 10-15 सीटें जीतेंगे.'

नगा शांति वार्ता को अंतिम रूप दिए जाने तक नगा नागरिक समाज द्वारा चुनावों को रोकने की अपनी मांगों को छोड़ने के लिए नगालैंड में गहन बातचीत चल रही है. त्रिपुरा में भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी है. पार्टी ने यहां पिछले साल मई में मुख्यमंत्री बदल दिया था. भाजपा दो अन्य राज्यों में भी अपनी सत्ता का विस्तार करना चाहेगी. कांग्रेस और वामपंथी त्रिपुरा में अपना खोया हुआ प्रभाव फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने हाल ही में चुनावी राज्यों का दौरा किया था. त्रिपुरा में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सरकार है. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के पास सर्वदलीय सरकार में नगालैंड में सबसे अधिक विधायक हैं. मेघालय में सरकार का नेतृत्व करने वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), पूर्वोत्तर की एकमात्र राजनीतिक पार्टी है, जिसे राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता प्राप्त है.

पेशे से डॉक्टर माणिक साहा को पिछले साल मई में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिप्लब देब के अचानक इस्तीफे के बाद त्रिपुरा का मुख्यमंत्री बनाया गया था. भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने 2018 में एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ा और माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे से सत्ता छीन ली थी. सदन की वर्तमान संख्या 53 है, जिसमें भाजपा के 33, आईपीएफटी के चार, माकपा के 15 और कांग्रेस का एक विधायक है.

माकपा और कांग्रेस ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने की घोषणा की है, जबकि तृणमूल कांग्रेस और तिपरा मोथा ने अभी तक अन्य दलों के साथ गठबंधन की घोषणा नहीं की है. तिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने 13 जनवरी को एक खुले पत्र में भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी से दोनों आदिवासी-आधारित पार्टियों के एकीकरण की अपील की थी.

राज्य भाजपा महासचिव पापिया दत्ता ने हालांकि कहा कि भाजपा आईपीएफटी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार है. तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पीयूष कांति बिस्वास ने बुधवार को कहा कि पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने को तैयार है और उपयुक्त दलों के साथ गठजोड़ के लिए बातचीत चल रही है. मेघालय विधानसभा में विधायकों की संख्या वर्तमान में मुख्य रूप से चुनाव से पहले विधायकों के इस्तीफे के कारण 42 है.

एनपीपी अध्यक्ष कोनराड संगमा राज्य के मुख्यमंत्री हैं जहां पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा और कई अन्य कांग्रेस विधायकों के दलबदल के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी. नगालैंड विधानसभा की विधायकों की संख्या वर्तमान में 59 है. यहां एनडीपीपी के 41 विधायक और भाजपा के 12 विधायक हैं. एनडीपीपी-भाजपा अब तक घोषित एकमात्र चुनाव पूर्व गठबंधन है.

यह पूछे जाने पर कि अगर लंबे समय से चले आ रहे नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान नहीं होने पर अगर नागरिक समाज संगठन चुनाव में हिस्सा नहीं लेने पर अड़े रहे तो क्या होगा, मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने मंगलवार को कहा, 'हम किसी भी संवैधानिक संकट की अनुमति नहीं दे सकते हैं और न ही कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होने दे सकते हैं. सही सोच वाले लोगों को नियम से मुद्दे को आगे बढ़ाना चाहिए.'

पढ़ें: Assembly Elections : त्रिपुरा में 16, मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को मतदान, 2 मार्च को काउंटिंग

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोई संवैधानिक संकट पैदा नहीं होने दे सकती. नगालैंड कांग्रेस के अध्यक्ष के. थेरी ने कहा, 'चुनाव कार्यक्रम की घोषणा ने लोगों की आकांक्षाओं के साथ विश्वासघात किया है क्योंकि नगा राजनीतिक मुद्दा अभी भी अनसुलझा है.'

(पीटीआई-भाषा)

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