नई दिल्ली : दक्षिण जापान के नारा शहर में पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या ने एक साथ कई सारे सवालों को जन्म दिया है. हत्यारे का नाम तेत्सुया यामागमी बताया जा रहा है. वह नारा शहर का वासी है. उसने 2005 में जापान के समुद्री आत्म रक्षा बल की सेवा छोड़ दी थी. अब पूछा ये जा रहा है कि आखिर यह व्यक्ति आबे के इतना करीब कैसे पहुंच गया. और वह भी बंदूक के साथ. इतना ही नहीं, उसे वह स्पेस कैसे मिल गया जहां से वह दो गोली चला सका. सुरक्षा एजेंसियों के लिए तो यह किसी दुःस्वपन से कम नहीं है.
इसका मतलब साफ है या तो हत्यारा बेहतर प्लानिंग के साथ आया था या फिर उसका निशाना अचूक था, वह भी देसी हथियार के साथ. हालांकि, हथियार को लेकर पुलिस भी स्पष्ट नहीं है. इस हत्यारे की कुछ तस्वीरें सामने आईं हैं. वह घटना से पहले ग्रे-टी-शर्ट, खाकी कार्गो और एक क्रॉस-शोल्डर ब्लैक बैग रखे हुए हैं. उसने संभवतः अपने बैग में हथियार छिपा रखा था. वह मिडिल हाईट का व्यक्ति है.
पूर्व पीएम आबे ने 2020 में स्वास्थ्य के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, अपने करीबी सहयोगी योशीहिदे सुगा के लिए रास्ता साफ कर दिया. इसके बावजूद उन्हें जापान में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली नेताओं में से एक माना जाता था. लिहाजा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके पास कई लेयर की सिक्योरिटी होनी चाहिए थी.
हालांकि जापान में बहुत ही सख्त बंदूक नियंत्रण कानून है, फिर भी यहां पर एक शख्स हथियार का इंतजाम कर लेता है या लाइसेंस प्राप्त कर लेता है और किसी को कानों-कान खबर नहीं होती है. वह भी वैसे देश में जहां कानून एवं व्यवस्था दुनिया की सबसे अच्छी व्यवस्थाओं में से एक है. जापान का समाज तो क्राइम फ्री माना जाता है.
यह एक सावधानीपूर्वक सुनियोजित हमला जैसा लगता है. यह इस तथ्य इससे भी स्पष्ट है कि पुलिस ने नारा में यामागामी के ठहरने के स्थान की तलाशी के दौरान कथित तौर पर कई संभावित विस्फोटक उपकरण बरामद किए हैं.
कंजर्वेटिव लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के आबे को जापान की परंपरागत रूप से वामपंथी केंद्र वाली नीतियों को राइट मोड़ देने का श्रेय जाता है. उन्होंने देश को लंबे समय से चली आ रही शांतिवादी नीति से मिलिट्रिस्टिक प़ॉलिसी की ओर मोड़ा.
उनके विरोधी उन पर तेजी से बढ़ते चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाते हैं. उनका कहना है कि अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया था. साढ़े तीन लाख लोग मारे गए थे. फिर भी वह यूएसए के साथ जा रहे हैं. उनका ये भी आरोप है कि आबे जापान को फिर से सैन्यीकरण की ओर ले जा रहे हैं.
लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हत्यारे ने भागने या भागने का कोई प्रयास नहीं किया और बताया जाता है कि उसने पुलिस को बताया कि आबे की राजनीतिक विचारधारा और नीतियां उसके लिए बहुत मायने नहीं रखती थीं. उसका यह बयान हत्या की पहेली को और अधिक उलझा देता है.
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