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Assam tea industry पर मंडराये संकट के बादल, जानें वजह

देश में चाय की खेती के लिए प्रसिद्ध असम चाय उद्योग फिलहाल अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. दैनिक मजदूरी में बढ़ाेत्तरी समेत अन्य कई कारणाें से असम चाय उद्याेग काे संकटाें का सामना करना पड़ रहा है, पढ़ें पूरी खबर....

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Published : Aug 6, 2021, 7:57 PM IST

अस्तित्व
अस्तित्व

गुवाहाटीः असम में चाय उद्योग अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. उत्पादन लागत में वृद्धि की वजह से चाय उद्याेग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए नॉर्थ ईस्ट टी एसोसिएशन (North East Tea Association) ने सरकार से बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है, उनका कहना है कि ऐसा नहीं हाेने पर चाय उद्योग विशेष रूप से छोटे चाय उत्पादकों का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा.

NETA के सलाहकार बिद्यानंद बोरकाकोटी (Bidyananda Borkakoty) ने कहा कि चाय की कीमत 44.19 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 18 प्रतिशत कम है. दूसरी ओर मजदूरी और समेत इसके लिए अन्य खर्चाें में आई तेजी के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है. दैनिक मजदूरी 167 से बढ़कर 205 रुपये हाेने की वजह से चाय की उत्पादन लागत 25 रुपये प्रति किलाें में बढ़ गई है.

उन्होंने कहा, 'इसके अलावा उर्वरक, कीटनाशक, डीजल,, कोयला आदि लागत में बढ़ोतरी का असर भी उत्पादन लागत पर देखने काे मिला है.

वहीं NETA के अध्यक्ष सुनील जालान ने कहा कि इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र (जीटीएसी) में सीटीसी चाय की औसत कीमत 208.02 प्रति किग्रा थी जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 252.21 प्रति किग्रा थी.

जालान ने कहा कि जीटीएसी में पिछले साल की तुलना में दाेगुनी मात्रा में चाय बिना बिके रह गई. उन्होंने कहा कि पिछले साल बिना बिक्री की चाय की मात्रा 16.367 प्रतिशत थी, इस वर्ष यह बढ़कर 35.16 प्रतिशत हो गई है.

इसे भी पढ़ें : लॉकडाउन में चाय उद्योग पर मंदी, पर बढ़ी डिमांड

उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार ने चाय उद्योग को विशेष प्रोत्साहन की घोषणा करने और तीन साल के लिए हरी पत्ती उपकर से छूट देने जैसे कदम उठाए हैं लेकिन इसे बेहतर ढंग से लागू करने की आवश्यकता है.

गुवाहाटीः असम में चाय उद्योग अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. उत्पादन लागत में वृद्धि की वजह से चाय उद्याेग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए नॉर्थ ईस्ट टी एसोसिएशन (North East Tea Association) ने सरकार से बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है, उनका कहना है कि ऐसा नहीं हाेने पर चाय उद्योग विशेष रूप से छोटे चाय उत्पादकों का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा.

NETA के सलाहकार बिद्यानंद बोरकाकोटी (Bidyananda Borkakoty) ने कहा कि चाय की कीमत 44.19 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 18 प्रतिशत कम है. दूसरी ओर मजदूरी और समेत इसके लिए अन्य खर्चाें में आई तेजी के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है. दैनिक मजदूरी 167 से बढ़कर 205 रुपये हाेने की वजह से चाय की उत्पादन लागत 25 रुपये प्रति किलाें में बढ़ गई है.

उन्होंने कहा, 'इसके अलावा उर्वरक, कीटनाशक, डीजल,, कोयला आदि लागत में बढ़ोतरी का असर भी उत्पादन लागत पर देखने काे मिला है.

वहीं NETA के अध्यक्ष सुनील जालान ने कहा कि इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र (जीटीएसी) में सीटीसी चाय की औसत कीमत 208.02 प्रति किग्रा थी जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 252.21 प्रति किग्रा थी.

जालान ने कहा कि जीटीएसी में पिछले साल की तुलना में दाेगुनी मात्रा में चाय बिना बिके रह गई. उन्होंने कहा कि पिछले साल बिना बिक्री की चाय की मात्रा 16.367 प्रतिशत थी, इस वर्ष यह बढ़कर 35.16 प्रतिशत हो गई है.

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उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार ने चाय उद्योग को विशेष प्रोत्साहन की घोषणा करने और तीन साल के लिए हरी पत्ती उपकर से छूट देने जैसे कदम उठाए हैं लेकिन इसे बेहतर ढंग से लागू करने की आवश्यकता है.

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