गुवाहाटी : गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार करने के बाद गुरुवार को असम लाया गया. यहां स्थानीय कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर उन्हें तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. उनके खिलाफ कोकराझार थाने में 19 अप्रैल को अरूप कुमार डे नाम के व्यक्ति की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई. हालांकि असम लाए जाने पर उन्हें मीडियाकर्मियों से दूर रखा गया. असम पुलिस मीडियाकर्मियों से बचाते हुए उन्हें हवाई अड्डे के पिछले दरवाजे से ले गई, जहां बाद में उन्हें अदालत में पेश किया गया.
दरअसल डे ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि मेवानी ने ट्वीट किया था कि 'भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'गोडसे' की पूजा करते हैं और भगवान के रूप में मानते हैं. उन्होंने अपील की कि पीएम 20 अप्रैल को गुजरात की यात्रा के दौरान शांति और सद्भाव के लिए जनता से माफी मांगें.' दरअसल गुजरात के हिम्मत नगर, खंभात और बेरावल इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी.
कांग्रेस ने दी कड़ी प्रतिक्रिया : डे ने आरोप लगाया था कि ये ट्वीट सार्वजनिक शांति भंग करने वाला है, लोगों के एक निश्चित वर्ग के बीच सद्भाव बनाए रखने के प्रतिकूल है. इससे निश्चित रूप से एक वर्ग को अपराध करने के लिए उकसाने की अधिक संभावना है. ये देश के इस हिस्से में दूसरे समुदाय के खिलाफ है.' इस बीच, असम पुलिस द्वारा मेवानी की गिरफ्तारी पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
एपीसीसी अध्यक्ष भूपेन बोरा (APCC president Bhupen Bora) ने कहा कि 'पुलिस का यह कदम भाजपा के शासन में असम और पूरे देश में 'पुलिस राज' साबित करता है. असम की राजधानी में पिछले 12 दिनों में 13 शव बरामद हुए हैं. असम पुलिस इन अपराधों को सुलझाने में विफल रही है. वहींं, उनके पास गुजरात जाने और एक सार्वजनिक जिम्मेदार प्रतिनिधि को गिरफ्तार करने का समय है. मेवानी को गिरफ्तार करके सरकार दिल्ली और दिसपुर में विपक्ष को डराना चाहती है.' बोरा ने कहा कि पार्टी ने मेवानी की रिहाई के लिए तीन वरिष्ठ अधिवक्ताओं को कोकराझार भेज दिया है.
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