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देश में मातृ मृत्यु दर में आई कमी, लेकिन असम, एमपी और यूपी में MMR सबसे ज्यादा

भारत में मातृ मृत्यु दर (maternal mortality rate) में 2014-16 के मुकाबले 2018-20 में भारी कमी देखने को मिली है. लेकिन असम, एमपी और यूपी के आंकड़े चिंताजनक हैं. असम में एमएमआर (MMR) सबसे ज्यादा है. सबसे कम एमएमआर वाला राज्य केरल है. वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

maternal mortality rate
देश में मातृ मृत्यु दर
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Published : Nov 29, 2022, 9:45 PM IST

नई दिल्ली: असम में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) सबसे ज्यादा है. यहां प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर 197 मौतें होती हैं. भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) द्वारा मंगलवार को भारत में मातृ मृत्यु दर 2018-20 पर जारी एक विशेष बुलेटिन के अनुसार, असम के बाद मध्य प्रदेश मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर है. यहां एमएमआर 173 है, जबकि उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है. यहां प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर एमएमआर 167 है.

हालांकि, भारत का समग्र MMR 2014 में 130 से 25 प्रतिशत घटकर 2020 में 97 हो गया है. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, '2014-16 में मातृ मृत्यु दर 130 थी, जिसमें 2018-20 में गिरावट आई है. प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर मातृ मृत्यु 97 रह गई है. ऐसा गुणवत्तापूर्ण मातृ और प्रजनन देखभाल सुनिश्चित करने के कारण हुआ है. नरेंद्र मोदी की सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल पहलों ने एमएमआर को नीचे लाने में जबरदस्त मदद की है.'

कम मौतों वाले ये राज्य : केरल में एमएमआर काफी कम है. यहां प्रति एक लाख बच्चों की जन्म पर एमएमआर केवल 19 है. इसके बाद महाराष्ट्र में 33 मौतों की सूचना दी गई. तेलंगाना 43 मौतों के साथ तीसरे और आंध्र प्रदेश 45 मौतों के साथ चौथे स्थान पर रहा.

क्या है एमएमआर : किसी क्षेत्र में मातृ मृत्यु दर उस क्षेत्र की महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का पैमाना है. प्रजनन आयु-अवधि में कई महिलाएं गर्भावस्था और प्रसव या गर्भपात के दौरान जटिलताओं के कारण मर जाती हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 'मातृ मृत्यु एक महिला की गर्भावस्था के दौरान या गर्भावस्था की समाप्ति के 42 दिनों के भीतर मृत्यु है, चाहे गर्भावस्था की अवधि और स्थान कोई भी हो. लेकिन मौत का कारण गर्भावस्था या इसके प्रबंधन से संबंधित हो, आकस्मिक कारणों से नहीं.'

मातृ मृत्यु दर के प्रमुख संकेतकों में से एक मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) है जिसे एक निश्चित समय अवधि के दौरान प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर एक ही समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के टारगेट 3.1 का उद्देश्य वैश्विक मातृ मृत्यु दर को प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 70 से कम करना है.

पढ़ें- भारत के 70 प्रतिशत जिलों में मातृ मृत्यु दर संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य से अधिक

नई दिल्ली: असम में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) सबसे ज्यादा है. यहां प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर 197 मौतें होती हैं. भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) द्वारा मंगलवार को भारत में मातृ मृत्यु दर 2018-20 पर जारी एक विशेष बुलेटिन के अनुसार, असम के बाद मध्य प्रदेश मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर है. यहां एमएमआर 173 है, जबकि उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है. यहां प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर एमएमआर 167 है.

हालांकि, भारत का समग्र MMR 2014 में 130 से 25 प्रतिशत घटकर 2020 में 97 हो गया है. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, '2014-16 में मातृ मृत्यु दर 130 थी, जिसमें 2018-20 में गिरावट आई है. प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर मातृ मृत्यु 97 रह गई है. ऐसा गुणवत्तापूर्ण मातृ और प्रजनन देखभाल सुनिश्चित करने के कारण हुआ है. नरेंद्र मोदी की सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल पहलों ने एमएमआर को नीचे लाने में जबरदस्त मदद की है.'

कम मौतों वाले ये राज्य : केरल में एमएमआर काफी कम है. यहां प्रति एक लाख बच्चों की जन्म पर एमएमआर केवल 19 है. इसके बाद महाराष्ट्र में 33 मौतों की सूचना दी गई. तेलंगाना 43 मौतों के साथ तीसरे और आंध्र प्रदेश 45 मौतों के साथ चौथे स्थान पर रहा.

क्या है एमएमआर : किसी क्षेत्र में मातृ मृत्यु दर उस क्षेत्र की महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का पैमाना है. प्रजनन आयु-अवधि में कई महिलाएं गर्भावस्था और प्रसव या गर्भपात के दौरान जटिलताओं के कारण मर जाती हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 'मातृ मृत्यु एक महिला की गर्भावस्था के दौरान या गर्भावस्था की समाप्ति के 42 दिनों के भीतर मृत्यु है, चाहे गर्भावस्था की अवधि और स्थान कोई भी हो. लेकिन मौत का कारण गर्भावस्था या इसके प्रबंधन से संबंधित हो, आकस्मिक कारणों से नहीं.'

मातृ मृत्यु दर के प्रमुख संकेतकों में से एक मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) है जिसे एक निश्चित समय अवधि के दौरान प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर एक ही समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के टारगेट 3.1 का उद्देश्य वैश्विक मातृ मृत्यु दर को प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 70 से कम करना है.

पढ़ें- भारत के 70 प्रतिशत जिलों में मातृ मृत्यु दर संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य से अधिक

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