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असमिया भाषा की होर्डिंग को काली स्याही से रंगा, संगठनों ने की निंदा

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Published : Oct 18, 2021, 10:50 PM IST

असम के बराक घाटी क्षेत्र में असमिया भाषा में लिखे गए राज्य सरकार के एक होर्डिंग को काली स्याही से रंग दिया गया है. घटना को लेकर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन समेत अन्य ने निंदा की है.

असमिया भाषा की होर्डिंग को काली स्याही से रंगा
असमिया भाषा की होर्डिंग को काली स्याही से रंगा

सिलचर/गुवाहाटी : असम के बंगाली-बहुल बराक घाटी क्षेत्र में असमिया भाषा में लिखे गए राज्य सरकार के एक होर्डिंग को काली स्याही से रंग दिया गया है, जिसपर कुछ दलों ने आलोचना की है.

रविवार को कछार जिले के सिलचर में हुई इस घटना को कथित तौर पर दो संगठनों के सदस्यों ने अंजाम दिया जो बराक घाटी क्षेत्र में असमिया के स्थान पर बांग्ला भाषा के इस्तेमाल की मांग कर रहे हैं. दो संगठनों बराक डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट और ऑल बंगाली यूथ स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने रविवार को सिलचर रेलवे स्टेशन पर असमिया भाषाओं में लिखे 'जल जीवन मिशन' के बड़े पोस्टर लगाने के सरकार के कदम का विरोध किया है. बाद में संगठनों के सदस्यों ने इस बहाने काली स्याही से पोस्टरों को काला कर दिया है कि बराक घाटी में केवल बांग्ला भाषा में लिखे साइनेज लगाने की अनुमति होगी.

घटना के दृश्यों में कथित कार्यकर्ता सिलचर रेलवे स्टेशन के सामने एक सीढ़ी चढ़ते और होर्डिंग को बदलते दिखे हैं. उन्होंने 'बांग्ला लिखूं' और उसके नीचे दो संगठनों के नाम भी लिखे.

सिलचर में एक अधिकारी ने बताया कि घटना के संबंध में पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है, हालांकि कानून लागू करने वाले अधिकारी मामले को देख रहे हैं. असम राजभाषा अधिनियम, 1960 के तहत असमिया को राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया है, हालांकि इसमें राज्य की बंगाली बहुल बराक घाटी जिसमें कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिले शामिल हैं, में सभी प्रशासनिक और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए बांग्ला भाषा के उपयोग के प्रावधान शामिल हैं.

असम में विभिन्न संगठनों ने सोमवार को बराक घाटी में दो भाषाई संगठनों के कदम का कड़ा विरोध किया. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएसएसयू) और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) ने सरकारी होर्डिंग पर स्याही पोत कर राज्य की आधिकारिक भाषा की निंदा करने के क्षेत्रीय संगठनों के कदम की आलोचना की है. बराक डेमोक्रेटिक युवा फ्रंट (बीडीवाईएफ) और ऑल बंगाली स्टूडेंट्स यूथ ऑर्गनाइजेशन (एबीएसवाईओ) ने कथित तौर पर होर्डिंग के पास विरोध प्रदर्शन किया था.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि संगठन असम में असमिया भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा.असम साहित्य सभा के अध्यक्ष कुल सैकिया ने भी राज्य सरकार से आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया.

पढ़ें- युवक का दावा, 'असम के सीएम को मारने के लिए उकसा रहे थे'

एजेवाईसीपी के पलाश चांगमई ने कहा कि यह निंदनीय है. कोई संगठन असम में असमिया भाषा में लिखे गए पोस्टर का विरोध कैसे कर सकता है. असम की आधिकारिक भाषा असमिया है और असम में रहने वाले किसी भी व्यक्ति में असमिया भाषा में लिखे गए पोस्टर को काला करने का साहस नहीं होना चाहिए.'

सिलचर/गुवाहाटी : असम के बंगाली-बहुल बराक घाटी क्षेत्र में असमिया भाषा में लिखे गए राज्य सरकार के एक होर्डिंग को काली स्याही से रंग दिया गया है, जिसपर कुछ दलों ने आलोचना की है.

रविवार को कछार जिले के सिलचर में हुई इस घटना को कथित तौर पर दो संगठनों के सदस्यों ने अंजाम दिया जो बराक घाटी क्षेत्र में असमिया के स्थान पर बांग्ला भाषा के इस्तेमाल की मांग कर रहे हैं. दो संगठनों बराक डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट और ऑल बंगाली यूथ स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने रविवार को सिलचर रेलवे स्टेशन पर असमिया भाषाओं में लिखे 'जल जीवन मिशन' के बड़े पोस्टर लगाने के सरकार के कदम का विरोध किया है. बाद में संगठनों के सदस्यों ने इस बहाने काली स्याही से पोस्टरों को काला कर दिया है कि बराक घाटी में केवल बांग्ला भाषा में लिखे साइनेज लगाने की अनुमति होगी.

घटना के दृश्यों में कथित कार्यकर्ता सिलचर रेलवे स्टेशन के सामने एक सीढ़ी चढ़ते और होर्डिंग को बदलते दिखे हैं. उन्होंने 'बांग्ला लिखूं' और उसके नीचे दो संगठनों के नाम भी लिखे.

सिलचर में एक अधिकारी ने बताया कि घटना के संबंध में पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है, हालांकि कानून लागू करने वाले अधिकारी मामले को देख रहे हैं. असम राजभाषा अधिनियम, 1960 के तहत असमिया को राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया है, हालांकि इसमें राज्य की बंगाली बहुल बराक घाटी जिसमें कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिले शामिल हैं, में सभी प्रशासनिक और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए बांग्ला भाषा के उपयोग के प्रावधान शामिल हैं.

असम में विभिन्न संगठनों ने सोमवार को बराक घाटी में दो भाषाई संगठनों के कदम का कड़ा विरोध किया. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएसएसयू) और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) ने सरकारी होर्डिंग पर स्याही पोत कर राज्य की आधिकारिक भाषा की निंदा करने के क्षेत्रीय संगठनों के कदम की आलोचना की है. बराक डेमोक्रेटिक युवा फ्रंट (बीडीवाईएफ) और ऑल बंगाली स्टूडेंट्स यूथ ऑर्गनाइजेशन (एबीएसवाईओ) ने कथित तौर पर होर्डिंग के पास विरोध प्रदर्शन किया था.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि संगठन असम में असमिया भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा.असम साहित्य सभा के अध्यक्ष कुल सैकिया ने भी राज्य सरकार से आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया.

पढ़ें- युवक का दावा, 'असम के सीएम को मारने के लिए उकसा रहे थे'

एजेवाईसीपी के पलाश चांगमई ने कहा कि यह निंदनीय है. कोई संगठन असम में असमिया भाषा में लिखे गए पोस्टर का विरोध कैसे कर सकता है. असम की आधिकारिक भाषा असमिया है और असम में रहने वाले किसी भी व्यक्ति में असमिया भाषा में लिखे गए पोस्टर को काला करने का साहस नहीं होना चाहिए.'

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