गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के एक बयान से विवाद बढ़ सकता है. उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिमों से) अपील की है कि गरीबी कम करने के लिए उचित परिवार नियोजन नीति अपनाएं.
मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के 30 दिन पूरे होने के मौके पर कहा कि समुदाय में गरीबी कम करने में मदद के लिए सभी पक्षकारों को आगे आना चाहिए और सरकार का समर्थन करना चाहिए. गरीबी की वजह जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि है.
असम में 2011 की जनसंख्या के अनुसार कुल 3.12 करोड़ की आबादी में से मुस्लिम आबादी 34.22 फीसदी है और कई जिलों में यह समुदाय बहुसंख्यक है. वहीं ईसाई राज्य की कुल आबादी का 3.74 फीसदी हैं जबकि सिख, बौद्ध और जैन की आबादी एक फीसदी से भी कम है.
राज्य में तीन जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कथित तौर पर अतिक्रमित जमीन से हटाने की घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार मंदिर, सत्रों (वैष्णव संस्थाओं) और वन भूमि का अतिक्रमण नहीं करने दे सकती और समुदाय के सदस्यों ने भी सरकार को आश्वस्त किया है कि वे इन भूमि का अतिक्रमण नहीं चाहते. मुख्यमंत्री ने समुदाय के नेताओं से आत्मावलोकन करने और लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित करने का अनुरोध किया.
सरमा ने कहा कि जब बढ़ती आबादी की वजह से रहने के लिए जगह कम पड़ने लगता है तो भूमि अतिक्रमण की शुरुआत होती है. उन्होंने अतिक्रमित जमीन खाली कराने के लिए सरकार की आलोचना के बदले समुदाय के नेताओं से आत्मावलोकन करने और लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित करने का अनुरोध किया.
बारपेटा से कांग्रेस सांसद अब्दुल खलीक ने बुधवार को एक ट्वीट में कहा था कि उन्होंने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया से जमीन खाली कराने के अभियान का स्वतः सज्ञान लेने की अपील की है. उन्होंने दावा किया कि यह अदालत के आदेश का उल्लंघन है क्योंकि महामारी को देखते हुए इस तरह की किसी भी गतिविधि पर रोक है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है और वह राज्य के सभी लोगों के लिए है. उन्होंने कहा कि सरकार सभी गरीब लोगों की संरक्षक है लेकिन उसे जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे से निपटने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के सहयोग की आवश्यकता है. जनसंख्या वृद्धि गरीबी, निरक्षरता और उचित परिवार नियोजन की कमी की मुख्य वजह है.
(पीटीआई-भाषा)