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एशिया की पहली महिला ट्रक ड्राइवर पार्वती आर्य का निधन, राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित

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Published : Nov 18, 2021, 5:07 PM IST

एशिया की पहली ट्रक ड्राइवर पार्वती आर्य का बुधवार शाम बीमारी के चलते 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्हें 1978 में ड्राइविंग लाइसेंस मिला था. इसके बाद वह ट्रक चलाने वाली भारत ही नहीं, एशिया की पहली महिला ट्रक ड्राइवर बनीं थीं.

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मंदसौर : एशिया की पहली महिला ट्रक चालक (asia first female truck driver) व राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पार्वती आर्य (parvati arya passes away) का 75 वर्ष की आयु में बुधवार शाम को निधन हो गया. पार्वती मंदसौर से विधायक पद के लिए चुनाव भी लड़ी थीं, हालांकि वह हार गईं. बताया जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों से वे अस्वस्थ थीं. उनका घर पर ही उपचार चल रहा था. अचानक तबीयत बिगड़ने से उनका निधन हो गया.

आर्थिक तंगी के चलते चलाया ट्रक
पार्वती आर्य के पिता मंदसौर में एक ठेकेदार थे. उनकी मौत के बाद बहुत कम उम्र में ही उन्हें आठ बहनों और तीन भाइयों का ख्याल रखना पड़ा. परिवार में आर्थिक तंगी के हालात बन गये थे. 11 भाई-बहनों की परवरिश अब उनके लिए पहली प्राथमिकता बन गई थी. अपने सभी भाई-बहनों की परवरिश के चलते उन्होंने ट्रक चलाना सीखा.

1978 में मिला लाइसेंस
उस समय महिलाओं द्वारा लाइसेंस के लिए आरटीओ पर अधिकारियों को समझाना ड्राइविंग सीखने से अधिक मुश्किल था. तब उन्होंने कहा था कि (pravati arya statement) अगर इंदिरा गांधी (indra gandhi) देश को चला सकती हैं, तो मैं क्या एक ट्रक ड्राइव नहीं कर सकती. इसके बाद 1978 में उन्हें ड्राइविंग का लाइसेंस मिला. इस तरह वे एशिया की पहली महिला ट्रक चालक बनीं. एक इंटरव्यू में पार्वती आर्य ने कहा था कि बचपन में उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वह स्त्री द्वारा किये जाने वाले कार्यों के विमुख थी. 20 वर्ष की आयु में ही उनकी शादी हो गई थी.

कांग्रेस में लंबे समय तक दीं सेवाएं
पार्वती आर्य लंबे समय तक कांग्रेस की राजनीति से भी जुड़ी रहीं और संगठन के अनेक पदों पर अपनी सेवाएं दीं. 1990 में सुवासरा विधानसभा चुनाव से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गईं थीं. बाद में वे जिला पंचायत उपाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुई.

राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित
एशिया की प्रथम महिला ट्रक ड्राइवर होने की उपलब्धि के चलते गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (guinness book of world records) में उनका नाम दर्ज है. यही नहीं उनकी इस उपलब्धि के चलते राष्ट्रपति पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के हाथों उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ था. अंतिम यात्रा आज 18 नवंबर को दोपहर मे सम्राट मार्केट स्थित कालका माता मंदिर के सामने उनके निवास स्थान से निकलेगी.

पढ़ेंः DGP-IGP Conference : पीएम मोदी लेंगे भाग, लखनऊ में आयोजन

मंदसौर : एशिया की पहली महिला ट्रक चालक (asia first female truck driver) व राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पार्वती आर्य (parvati arya passes away) का 75 वर्ष की आयु में बुधवार शाम को निधन हो गया. पार्वती मंदसौर से विधायक पद के लिए चुनाव भी लड़ी थीं, हालांकि वह हार गईं. बताया जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों से वे अस्वस्थ थीं. उनका घर पर ही उपचार चल रहा था. अचानक तबीयत बिगड़ने से उनका निधन हो गया.

आर्थिक तंगी के चलते चलाया ट्रक
पार्वती आर्य के पिता मंदसौर में एक ठेकेदार थे. उनकी मौत के बाद बहुत कम उम्र में ही उन्हें आठ बहनों और तीन भाइयों का ख्याल रखना पड़ा. परिवार में आर्थिक तंगी के हालात बन गये थे. 11 भाई-बहनों की परवरिश अब उनके लिए पहली प्राथमिकता बन गई थी. अपने सभी भाई-बहनों की परवरिश के चलते उन्होंने ट्रक चलाना सीखा.

1978 में मिला लाइसेंस
उस समय महिलाओं द्वारा लाइसेंस के लिए आरटीओ पर अधिकारियों को समझाना ड्राइविंग सीखने से अधिक मुश्किल था. तब उन्होंने कहा था कि (pravati arya statement) अगर इंदिरा गांधी (indra gandhi) देश को चला सकती हैं, तो मैं क्या एक ट्रक ड्राइव नहीं कर सकती. इसके बाद 1978 में उन्हें ड्राइविंग का लाइसेंस मिला. इस तरह वे एशिया की पहली महिला ट्रक चालक बनीं. एक इंटरव्यू में पार्वती आर्य ने कहा था कि बचपन में उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वह स्त्री द्वारा किये जाने वाले कार्यों के विमुख थी. 20 वर्ष की आयु में ही उनकी शादी हो गई थी.

कांग्रेस में लंबे समय तक दीं सेवाएं
पार्वती आर्य लंबे समय तक कांग्रेस की राजनीति से भी जुड़ी रहीं और संगठन के अनेक पदों पर अपनी सेवाएं दीं. 1990 में सुवासरा विधानसभा चुनाव से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गईं थीं. बाद में वे जिला पंचायत उपाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुई.

राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित
एशिया की प्रथम महिला ट्रक ड्राइवर होने की उपलब्धि के चलते गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (guinness book of world records) में उनका नाम दर्ज है. यही नहीं उनकी इस उपलब्धि के चलते राष्ट्रपति पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के हाथों उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ था. अंतिम यात्रा आज 18 नवंबर को दोपहर मे सम्राट मार्केट स्थित कालका माता मंदिर के सामने उनके निवास स्थान से निकलेगी.

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