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Uttarakhand: बदरीनाथ मंदिर में कैसे पड़ी दरारें? सामने आई बड़ी वजह, जल्द करना होगा ये काम

बदरीनाथ मंदिर की दीवार पर दरारें आई हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सालाना सर्वे में इसका पता चला है. मंदिर की दीवार पर दरारों की खबरों के बाद मंदिर समिति से लेकर सरकार की टेंशन बढ़ गई है. दोनों ने अपने-अपने स्तर पर इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है. एएसआई भी इसे लेकर एक्टिव हो गई है.

Crack in the wall of Badrinath temple
बदरीनाथ मंदिर की दीवार में दरार
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Published : Jul 9, 2022, 7:59 PM IST

देहरादून: चारधामों में से एक बदरीनाथ धाम के मंदिर में बीते दिनों आई दरारों ने सरकार से लेकर मंदिर समिति और एएसआई (Archaeological Survey of India) को टेंशन में डाल दिया है. मंदिर के मुख्य द्वार के दाहिने ओर आई दरारों को भरने के लिए अब एएसआई अपनी तैयारी शुरू कर दी है. मगर सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिरकार बदरीनाथ मंदिर में यह दरारें आई तो आई कैसे? फिलहाल सरकार ने इस पूरे मामले पर एक सर्वे रिपोर्ट मांगी है, ताकि जल्द से जल्द इन दरारों की मरम्मत करवाई जा सके.

दरारों से बढ़ी टेंशन: बदरीनाथ मंदिर में दरारों के पड़ने का पता तब लगा जब सालाना मंदिर के सर्वे के लिए टीमें मंदिर में पहुंची. इस बार भी टीम मंदिर का मुआयना कर रही थी जब सर्वे कर रहे कर्मचारियों ने मुख्य द्वार के पास सिंह द्वार के नीचे पिलर में दरारों को देखा. जब इसकी जांच की गई तो मालूम हुआ कि यह दरार एक पिलर से होते हुए ऊपर मुख्य द्वार तक जा रही है. बदरीनाथ धाम में दरारें आने की जानकारी जैसे ही मंदिर समिति को मिली वैसे ही वो भी हरकत में आ गई. मंदिर समिति का कहना है फिलहाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने जो जांच की है, उसमें मंदिर को किसी तरह का खतरा न होने की बात कही गई है. मामले में एएसआई को जल्द से जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

बदरीनाथ मंदिर में कैसे पड़ी दरारें?
पढ़ें-
खराब मौसम की वजह से केदारनाथ यात्रा पर लगा ब्रेक, सोनप्रयाग में रोके गए श्रद्धालु

ये हो सकती है दरार की वजह: उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस बात पर भी गौर किया जा रहा है कि कहीं उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली के आसपास इलाकों में आए भूकंप तो इस दरार की वजह नहीं हैं. प्रथम दृष्टया जो जांच में निकल कर सामने आया है वह यह बताता है कि जिस जगह दरारें आई हैं उस जगह पर जमीन बेहिसाब है. ऐसे में उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में बने मंदिर हो या बड़ी इमारतें अमूमन नीचे की तरफ धंसती हैं तो दरारें आ जाती हैं. लिहाजा अब इन पूरी दरारों को भरने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है.

5 करोड़ से होगी मरम्मत: एएसआई ने अपना अध्ययन करने के बाद जो रिपोर्ट दी है उसमें कहा गया है कि इन दरारों को भरने और मरम्मत के लिए लगभग 5 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, लिहाजा शासन जल्द ही 5 करोड़ रुपए रिलीज कर इन दरारों को भरने का काम शुरू करवाने जा रहा है. इसके साथ ही मंदिर को भविष्य में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए भी प्लानिंग अलग से की जा रही है. एएसआई के 5 सदस्यों की टीम इस पूरे मामले को देख रही है. जल्द ही एक्सपर्ट्स की टीम पहुंचकर बदरीनाथ मंदिर में आई दरारों को भरने का काम करेगी.
पढ़ें- कोटद्वार में डरा रही उफनती नदियों की आवाज, लैंडस्लाइड से कोटद्वार-आमसौड़ NH बंद

केदारनाथ के बाद बदरीनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण तेजी से हो रहा है. बदरीनाथ मंदिर के आसपास बनी इमारतों को ध्वस्त करके दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बदरीनाथ मास्टर प्लान को लेकर बेहद गंभीर हैं. यही कारण है कि लगातार पीएम मोदी बदरीनाथ मंदिर में हो रहे पुनर्निर्माण के कामों की जांच कराते रहते हैं. लिहाजा, दरार आने के बाद पीएमओ ने भी इस बात का संज्ञान लिया है.

बताया जा रहा है कि बदरीनाथ के पुनर्निर्माण के काम के साथ ही एक महत्वपूर्ण काम बदरीनाथ में और होने जा रहा है, ताकि भविष्य में बदरीनाथ मंदिर को किसी भी तरह की आपदा का शिकार ना होना पड़े. बदरीनाथ मंदिर के ठीक पीछे ग्लेशियरों और पहाड़ों से कोई नुकसान न हो इसके लिए एक बड़ी सेफ्टी वॉल भी तैयार की जा रही है. इस सेफ्टी वॉल का काम जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा. जिस वक्त उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था उस वक्त बदरीनाथ मंदिर को ग्लेशियरों से बचाने के लिए बदरीनाथ मंदिर के ठीक पीछे पहाड़ी नुमा टीले बनाए गए थे, ताकि बर्फबारी के दौरान मंदिर को किसी से कोई नुकसान न हो.
पढ़ें- डरा रही उफनती नदियों की आवाज, लैंडस्लाइड से कोटद्वार आमसौड़ HN हुआ बंद, यात्रा में जोखिम

मंदिर समिति ने दरारों को बताया गंभीर: मंदिर समिति के अध्यक्ष अजय अजेंद्र का कहना है कि मंदिर में आई दरारों की बात जैसे ही संज्ञान में आई वैसे ही सरकार और एक्सपर्ट की टीम ने गंभीरता दिखाते हुए शासन स्तर पर एक रिपोर्ट भेजी. जिसके बाद सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया. जल्द ही इन दरारों को भरने का काम शुरू कर दिया जाएगा. मंदिर समिति के अध्यक्ष की माने तो फिलहाल इन दरारों से मंदिर को कोई खतरा नहीं है. भविष्य में यह दरारें मंदिर के लिए खतरा ना हो जाए इसलिए भी समय रहते काम किया जाएगा.

देहरादून: चारधामों में से एक बदरीनाथ धाम के मंदिर में बीते दिनों आई दरारों ने सरकार से लेकर मंदिर समिति और एएसआई (Archaeological Survey of India) को टेंशन में डाल दिया है. मंदिर के मुख्य द्वार के दाहिने ओर आई दरारों को भरने के लिए अब एएसआई अपनी तैयारी शुरू कर दी है. मगर सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिरकार बदरीनाथ मंदिर में यह दरारें आई तो आई कैसे? फिलहाल सरकार ने इस पूरे मामले पर एक सर्वे रिपोर्ट मांगी है, ताकि जल्द से जल्द इन दरारों की मरम्मत करवाई जा सके.

दरारों से बढ़ी टेंशन: बदरीनाथ मंदिर में दरारों के पड़ने का पता तब लगा जब सालाना मंदिर के सर्वे के लिए टीमें मंदिर में पहुंची. इस बार भी टीम मंदिर का मुआयना कर रही थी जब सर्वे कर रहे कर्मचारियों ने मुख्य द्वार के पास सिंह द्वार के नीचे पिलर में दरारों को देखा. जब इसकी जांच की गई तो मालूम हुआ कि यह दरार एक पिलर से होते हुए ऊपर मुख्य द्वार तक जा रही है. बदरीनाथ धाम में दरारें आने की जानकारी जैसे ही मंदिर समिति को मिली वैसे ही वो भी हरकत में आ गई. मंदिर समिति का कहना है फिलहाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने जो जांच की है, उसमें मंदिर को किसी तरह का खतरा न होने की बात कही गई है. मामले में एएसआई को जल्द से जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

बदरीनाथ मंदिर में कैसे पड़ी दरारें?
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ये हो सकती है दरार की वजह: उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस बात पर भी गौर किया जा रहा है कि कहीं उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली के आसपास इलाकों में आए भूकंप तो इस दरार की वजह नहीं हैं. प्रथम दृष्टया जो जांच में निकल कर सामने आया है वह यह बताता है कि जिस जगह दरारें आई हैं उस जगह पर जमीन बेहिसाब है. ऐसे में उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में बने मंदिर हो या बड़ी इमारतें अमूमन नीचे की तरफ धंसती हैं तो दरारें आ जाती हैं. लिहाजा अब इन पूरी दरारों को भरने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है.

5 करोड़ से होगी मरम्मत: एएसआई ने अपना अध्ययन करने के बाद जो रिपोर्ट दी है उसमें कहा गया है कि इन दरारों को भरने और मरम्मत के लिए लगभग 5 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, लिहाजा शासन जल्द ही 5 करोड़ रुपए रिलीज कर इन दरारों को भरने का काम शुरू करवाने जा रहा है. इसके साथ ही मंदिर को भविष्य में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए भी प्लानिंग अलग से की जा रही है. एएसआई के 5 सदस्यों की टीम इस पूरे मामले को देख रही है. जल्द ही एक्सपर्ट्स की टीम पहुंचकर बदरीनाथ मंदिर में आई दरारों को भरने का काम करेगी.
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केदारनाथ के बाद बदरीनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण तेजी से हो रहा है. बदरीनाथ मंदिर के आसपास बनी इमारतों को ध्वस्त करके दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बदरीनाथ मास्टर प्लान को लेकर बेहद गंभीर हैं. यही कारण है कि लगातार पीएम मोदी बदरीनाथ मंदिर में हो रहे पुनर्निर्माण के कामों की जांच कराते रहते हैं. लिहाजा, दरार आने के बाद पीएमओ ने भी इस बात का संज्ञान लिया है.

बताया जा रहा है कि बदरीनाथ के पुनर्निर्माण के काम के साथ ही एक महत्वपूर्ण काम बदरीनाथ में और होने जा रहा है, ताकि भविष्य में बदरीनाथ मंदिर को किसी भी तरह की आपदा का शिकार ना होना पड़े. बदरीनाथ मंदिर के ठीक पीछे ग्लेशियरों और पहाड़ों से कोई नुकसान न हो इसके लिए एक बड़ी सेफ्टी वॉल भी तैयार की जा रही है. इस सेफ्टी वॉल का काम जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा. जिस वक्त उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था उस वक्त बदरीनाथ मंदिर को ग्लेशियरों से बचाने के लिए बदरीनाथ मंदिर के ठीक पीछे पहाड़ी नुमा टीले बनाए गए थे, ताकि बर्फबारी के दौरान मंदिर को किसी से कोई नुकसान न हो.
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मंदिर समिति ने दरारों को बताया गंभीर: मंदिर समिति के अध्यक्ष अजय अजेंद्र का कहना है कि मंदिर में आई दरारों की बात जैसे ही संज्ञान में आई वैसे ही सरकार और एक्सपर्ट की टीम ने गंभीरता दिखाते हुए शासन स्तर पर एक रिपोर्ट भेजी. जिसके बाद सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया. जल्द ही इन दरारों को भरने का काम शुरू कर दिया जाएगा. मंदिर समिति के अध्यक्ष की माने तो फिलहाल इन दरारों से मंदिर को कोई खतरा नहीं है. भविष्य में यह दरारें मंदिर के लिए खतरा ना हो जाए इसलिए भी समय रहते काम किया जाएगा.

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