नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 10 देशों के प्रभावशाली समूह के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में गुरुवार को कहा कि भारत एक मजबूत, एकजुट, समृद्ध आसियान का समर्थन करता है, जिसकी हिंद-प्रशांत में केंद्रीयता को पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है. जयशंकर ने दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बेहतर तरीके से एक-दूसरे से जुड़े भारत और आसियान विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण, लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिए अच्छी स्थिति में होंगे.
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दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और अन्य देशों के विदेश मंत्री स्पेशल ASEAN-भारत विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए इकट्ठा हुए और ग्रुप फोटो खिंचवाई। pic.twitter.com/7P4USJeNhy
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दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है तथा भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत कई अन्य देश इसके संवाद साझेदार हैं. कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और जब हम महामारी के बाद बहाली की बात करते हैं तो काफी कुछ किया जाना बाकी है. उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिकूलताओं के कारण यह रास्ता और भी कठिन हो गया है, जिसका सामना हमें यूक्रेन के घटनाक्रम और इसके खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर पड़े प्रभाव के रूप में देखने को मिला है. इसके कारण उर्वरकों, सामान की कीमतों पर असर पड़ा तथा साजोसामान तथा आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आई है.
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यह खुशी की बात है कि हम दिल्ली में ASEAN-भारत के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के लिए व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं जबकि अभी पूरी तरह से कोरोना का प्रभाव कम नहीं हुआ है: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर,दिल्ली https://t.co/8NrMLA8vzY pic.twitter.com/ENRb1Di0lW
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पढ़ें: भारत अगले सप्ताह आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा
जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत पर आसियान के नजरिए और भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल के बीच मजबूत संयोजन है तथा यह क्षेत्र के लिए दोनों पक्षों के साझा दृष्टिकोण का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि जिसका हम सामना करते हैं, उस पर भारत-आसियान संबंधों को प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आसियान हमेशा क्षेत्रवाद, बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण के प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा रहा है. उन्होंने कहा कि आसियान ने अपने लिए सफलतापूर्वक एक जगह बना ली है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक एवं आर्थिक संरचना के लिए नींव तैयार की है.
विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के समक्ष भू-राजनीतिक चुनौतियों व अनिश्चितताओं को देखते हुए आसियान की भूमिका पहले के मुकाबले आज संभवत: कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. जयशंकर ने कहा कि भारत और आसियान द्वारा मौजूदा पहलों को जल्द पूरा करते हुए नई प्राथमिकताओं की पहचान करना महत्वपूर्ण है. वर्ष 2022 को आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में नामित किया गया है. भारत गुरुवार और शुक्रवार को दक्षिण एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी कर रहा है.
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आसियान 10 राष्ट्रों का समूह है, जिसके साथ संबंधों की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह बैठक हो रही है. इससे पहले, विदेश मंत्रालय के अनुसार बुधवार को शीर्ष अधिकारियों ने आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी और इसकी भविष्य की दिशा की समीक्षा की. बताया गया कि भारत-आसियान विदेश मंत्रियों की वार्ता के दौरान वैश्विक राजनीतिक घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में आपसी संबंधों को और विस्तार देने पर जोर दिया जाएगा. इस बैठक में दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर भी चर्चा हो सकती है.
इस बीच बुधवार को ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को सिंगापुर के अपने समकक्ष विवियन बालकृष्णन के साथ अर्थव्यवस्था, कनेक्टिविटी और सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की. इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर जोर दिया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को ही स्पेन के अपने समकक्ष जोस मैनुअल अल्बरेस ब्यूनो के साथ रक्षा, व्यापार और संस्कृति के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक बातचीत की. जयशंकर ने ट्वीट किया कि स्पेन के विदेश मंत्री के साथ गर्मजोशी भरी और सार्थक चर्चा. राजनीतिक, रक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में हमारी बढ़ती भागीदारी पर चर्चा की। आत्मनिर्भरता और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का समर्थन करने के लिए सहयोग बढ़ाने की परिकल्पना.