जोधपुर. नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में 10 साल पहले आज ही के दिन जोधपुर पुलिस ने इंदौर से कथावाचक आसाराम को गिरफ्तार किया था. इन 10 सालों में आरोपी आसाराम पर लगे आरोपों की सुनवाई हुई और उन्हें कोर्ट से सजा सुनाई गई, लेकिन एक दशक में एक दिन के लिए भी आसाराम को राहत नहीं मिली. इस समयावधि में दर्जनों बार जमानत और पैरोल के प्रार्थना पत्र दायर हुए. उनके अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट भी गए, बावजूद इसके उन्हें जमानत नहीं मिली. वहीं, गुरुवार को आसाराम के समर्थकों ने काले दिवस के रूप में मनाया. साथ ही आरोप लगाया कि एक निर्दोष संत को साजिशन जेल में डाला गया है और उनका जेल में समुचित उपचार भी नहीं हो रहा है. इसके चलते वो कई बीमारियों से ग्रसित हो चुके हैं. हाल ही में जेल में गिरने के बाद भी उन्हें उपचार के लिए बाहर नहीं लाया गया.
पीड़ित परिवार को खतरा - हिंदू सेना के राष्ट्रीय सचिव बमबम ठाकुर ने बताया कि एक निर्दोष संत को ऐसे बयानों के आधार पर आजीवन कारावास दिया गया है, जो कई बार बदले जा चुके हैं. आरोप लगाया कि पैरोल लगाने पर भी बार-बार कोई न कोई अड़चन डालकर उसे रुकवा दिया गया. उन्होंने कहा कि हाल ही में जोधपुर पुलिस कमिश्नर ने पैरोल को लेकर पत्र लिखा था कि अगर आसाराम बाहर आए तो पीड़ित परिवार को खतरा हो सकता है.
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इतना ही नहीं मुलजिम फरार भी हो सकता है और समाज की शांति व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है. पूरे देश से आसाराम के अनुयायी जोधपुर आते हैं, इससे भी कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है. यह पत्र जोधपुर पुलिस के उपायुक्त पश्चिम कार्यालय की ओर से बीते 1 अगस्त को जिला कलेक्टर को भेजा गया था. कलेक्टर ने उपायुक्त से पैरोल को लेकर राय मांगी थी. वहीं, इस मसले पर हिंदू सेना के सचिव बमबम ठाकुर ने कहा कि भला 86 साल का एक बुजुर्ग अब कहां फरार होगा?
जानें पूरा मामला - 15 अगस्त, 2013 को आसाराम की एक नाबालिग शिष्या ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. शिष्या की ओर से दर्ज शिकायत में बताया गया था कि आरोपी आसाराम ने जोधपुर के मथानियां क्षेत्र के मणाई ग्राम स्थिति आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. ये रिपोर्ट दिल्ली में दर्ज हुई थी, जिसे बाद में जोधपुर ट्रांसफर कर दिया गया था. इसके बाद 31 अगस्त की रात को जोधपुर पुलिस ने इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार किया था और अगले दिन एक सितंबर को जोधपुर लाई थी.
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इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद साल 2018 में कोर्ट ने जेल में ही अदालत लगाकर आसाराम को प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ आसाराम ने ऊपरी अदालत में अपनी याचिकाएं लगाई. जमानत और पैरोल के लिए भी प्रयास किए गए, लेकिन कहीं से भी उन्हें राहत नहीं मिली.