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विदेशी सहायता के उपयोग पर विपक्ष ने उठाए सवाल, पारदर्शिता की मांग की

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Published : May 4, 2021, 10:27 PM IST

कांग्रेस ने विदेशों से आई सहायता सामग्री उपयोग पर सवाल उठाएं है.कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि हवाई अड्डों पर अभी भी 300 टन से अधिक आपातकालीन कोविड की आपूर्ति रुकी हुई है और कस्टम क्लीयरेंस की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

मनीष
मनीष

नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद ऑक्सीजन, अस्पताल के बेड और यहां तक कि जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी देखी जा रही है, हालांकि इस बीच भारत को विदेशी सहायता लगातार मिल रही है.

सहायता सामग्री की डिलीवरी के एक सप्ताह बाद भी इसके उपयोग को लेकर कई तरह की शंकाएं उठ रही हैं, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि क्या राज्यों ने इस तरह की राहत सामग्री प्राप्त की है.

इस बीच विपक्ष ने मामले में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार के सामने गंभीर मांगें उठाईं. कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि हवाई अड्डों पर अभी भी 300 टन से अधिक आपातकालीन कोविड की आपूर्ति रुकी हुई है और कस्टम क्लीयरेंस की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि वर्ष 2004 में जब भारत एक सुनामी की चपेट में था, हमारे देश ने निर्णय लिया कि हम किसी अन्य देश से मदद नहीं लेंगे और हम किसी भी सहायता को स्वीकार नहीं करेंगे.

मनीष तिवारी का बयान

वर्ष 2021 में एनडीए सरकार ने कोविड -19 महामारी से निपटने में विफलता का सामना करते हुए, विदेशों से मदद लेने का फैसला किया है.

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि जब अन्य देशों ने आगे आकर भारत को चिकित्सा सहायता भेजी. उसके एक सप्ताह के बाद भी राहत सामाग्री कस्टम क्लीयरेंस के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर इंतजार कर रही है.

ऐसे समय में जब लोग मर रहे हैं भारत सरकार विदेशों से प्राप्त चिकित्सा सहायता को वितरित करने में सक्षम नहीं हो रही है. इससे बड़ी कोई मानवीय त्रासदी और आपराधिक लापरवाही नहीं हो सकती.

इससे पहले कांग्रेस सांसद ने ट्वीट किया करते हुए कहा था कि प्रिय पीएमओ इंडिया, देश को ऐसे पास नहीं चाहिए, जहां विदेशी सहायता स्वीकार करने पड़ी.

लेकिन यह सब कहां गया? पिछले पांच दिनों में दिल्ली में 300 टन आपातकालीन कोविड -19 आपूर्ति कहां पहुंची है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने टिप्पणी की, ये वैध चिंताएं और सवाल हैं.

यह देश के हित में है कि विदेशी सहायता के मामले में सरकार की ओर से पूरी पारदर्शिता हो.

सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि हर भारतीय की ओर से हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि यह डेमांड कहां से आई है और कहां जा रही है इस बारे में हर दिन सूचना सार्वजनिक की जाए.

हम मोदी से अनुरोध करते हैं कि वो सहायता की आपूर्ति में पारदर्शिता को सुनिश्चित करें कि सहायता कहां से आ रही है और कहां जा रही है.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा कि हमें कम से कम 300 टन अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्राप्त हुई.

पीएमओ यह नहीं बता रहा है कि इसका क्या हुआ है. नौकरशाही नाटक के कारण जीवन-रक्षक सामग्री भंडारण में कितनी फंस हुई है? यह नागरिकों के प्रति करुणा का पूर्ण अभाव है.

उन्होंने यह भी कहा कि कई देश भारत को बहुत अधिक सहायता भेज रहे हैं. यह सभी भारतीयों के लिए है, अकेले पीएमओ इंडिया के लिए नहीं, हमें नहीं पता कि कितना सामान आया और कहां गया?

आंकड़ों के अनुसार भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका से 1.25 लाख रेमेडिसविर शीशियों और 2 मई को बेल्जियम से 9,000 शीशियों को प्राप्त किया है.

अमेरिकी सहायता शिपमेंट में एक हजार ऑक्सीजन सिलेंडर शामिल थे, जिसे दिल्ली एयर पोर्ट में वितरित किया गया था. इसके अलावा, 28 टन, 8 बड़े ऑक्सीजन जनरेटर सहित चिकित्सा उपकरण 2 मई को फ्रांस से प्राप्त किए गए थे.

रूस से, 1.5 लाख स्पुतनिक टीके और 22 टन चिकित्सा आपूर्ति हुई है, जिसमें 20 ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयां, 75 वेंटिलेटर और 200 हजार शामिल हैं.

साथ ही 30 बड़े ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स हमें थाईलैंड से मिले हैं. सिंगापुर से 8 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक और 250 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त हुए.

रोमानिया ने 80 ऑक्सीजन कॉन्सेट्रेटर और 75 ऑक्सीजन सिलेंडर युक्त खेप भेजी. ब्रिटेन ने 485 ऑक्सीजन कॉन्सेट्रेटर और 200 वेंटिलेटर भेजे हैं.

शुक्रवार को आयरलैंड से 700 यूनिट ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स और 365 वेंटिलेटर पहुंचे. जर्मनी से शनिवार देर रात 120 वेंटिलेटर पहुंचे और मॉरीशस से 200 बड़े ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स प्राप्त हुए.

मंगलवार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बारे में बताते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि भारत द्वारा प्राप्त समर्थन आपूर्ति के आवंटन के लिए एक सुव्यवस्थित और व्यवस्थित तंत्र को रखा गया है.

पढ़ें - असम में बीजेपी की जीत ने भाजपा विरोधी लहर को अफवाह साबित किया

इसमें आगे कहा गया है कि भारतीय सीमा शुल्क ऑक्सीजन और ऑक्सीजन से संबंधित उपकरणों आदि सहित कोरोना संबंधित आयातों की उपलब्धता की आवश्यकता के प्रति संवेदनशील है, और 24 x 7 को फास्ट ट्रैक काम करने और माल को साफ करने और शीघ्र निकासी के लिए नेतृत्व करने के लिए काम कर रहे हैं.

मंत्रालय ने बताया कि सामाग्री को 24 विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है. इसमें BiPAP मशीन , ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स , ऑक्सीजन सिलेंडर, PSA ऑक्सीजन प्लाटंस, प्लस ऑक्सीमीटर, ड्रग्स , पीपीई N-95 मास्क और गाउन, शामिल है और इनकी संख्या लगभग 40 लाख हैं. मंत्रालय ने कहा कि इस सामाग्री को विभिन्न राज्यों के 38 संस्थानों को वितरित किया गया है.

इस सामाग्री को राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा या तो रिसीव कर लिया गया है या फिर वहां के लिए डिस्पैच हो गए हैं. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, डी एंड एन हवेली, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल हैं , लद्दाख, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद ऑक्सीजन, अस्पताल के बेड और यहां तक कि जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी देखी जा रही है, हालांकि इस बीच भारत को विदेशी सहायता लगातार मिल रही है.

सहायता सामग्री की डिलीवरी के एक सप्ताह बाद भी इसके उपयोग को लेकर कई तरह की शंकाएं उठ रही हैं, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि क्या राज्यों ने इस तरह की राहत सामग्री प्राप्त की है.

इस बीच विपक्ष ने मामले में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार के सामने गंभीर मांगें उठाईं. कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि हवाई अड्डों पर अभी भी 300 टन से अधिक आपातकालीन कोविड की आपूर्ति रुकी हुई है और कस्टम क्लीयरेंस की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि वर्ष 2004 में जब भारत एक सुनामी की चपेट में था, हमारे देश ने निर्णय लिया कि हम किसी अन्य देश से मदद नहीं लेंगे और हम किसी भी सहायता को स्वीकार नहीं करेंगे.

मनीष तिवारी का बयान

वर्ष 2021 में एनडीए सरकार ने कोविड -19 महामारी से निपटने में विफलता का सामना करते हुए, विदेशों से मदद लेने का फैसला किया है.

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि जब अन्य देशों ने आगे आकर भारत को चिकित्सा सहायता भेजी. उसके एक सप्ताह के बाद भी राहत सामाग्री कस्टम क्लीयरेंस के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर इंतजार कर रही है.

ऐसे समय में जब लोग मर रहे हैं भारत सरकार विदेशों से प्राप्त चिकित्सा सहायता को वितरित करने में सक्षम नहीं हो रही है. इससे बड़ी कोई मानवीय त्रासदी और आपराधिक लापरवाही नहीं हो सकती.

इससे पहले कांग्रेस सांसद ने ट्वीट किया करते हुए कहा था कि प्रिय पीएमओ इंडिया, देश को ऐसे पास नहीं चाहिए, जहां विदेशी सहायता स्वीकार करने पड़ी.

लेकिन यह सब कहां गया? पिछले पांच दिनों में दिल्ली में 300 टन आपातकालीन कोविड -19 आपूर्ति कहां पहुंची है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने टिप्पणी की, ये वैध चिंताएं और सवाल हैं.

यह देश के हित में है कि विदेशी सहायता के मामले में सरकार की ओर से पूरी पारदर्शिता हो.

सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि हर भारतीय की ओर से हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि यह डेमांड कहां से आई है और कहां जा रही है इस बारे में हर दिन सूचना सार्वजनिक की जाए.

हम मोदी से अनुरोध करते हैं कि वो सहायता की आपूर्ति में पारदर्शिता को सुनिश्चित करें कि सहायता कहां से आ रही है और कहां जा रही है.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा कि हमें कम से कम 300 टन अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्राप्त हुई.

पीएमओ यह नहीं बता रहा है कि इसका क्या हुआ है. नौकरशाही नाटक के कारण जीवन-रक्षक सामग्री भंडारण में कितनी फंस हुई है? यह नागरिकों के प्रति करुणा का पूर्ण अभाव है.

उन्होंने यह भी कहा कि कई देश भारत को बहुत अधिक सहायता भेज रहे हैं. यह सभी भारतीयों के लिए है, अकेले पीएमओ इंडिया के लिए नहीं, हमें नहीं पता कि कितना सामान आया और कहां गया?

आंकड़ों के अनुसार भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका से 1.25 लाख रेमेडिसविर शीशियों और 2 मई को बेल्जियम से 9,000 शीशियों को प्राप्त किया है.

अमेरिकी सहायता शिपमेंट में एक हजार ऑक्सीजन सिलेंडर शामिल थे, जिसे दिल्ली एयर पोर्ट में वितरित किया गया था. इसके अलावा, 28 टन, 8 बड़े ऑक्सीजन जनरेटर सहित चिकित्सा उपकरण 2 मई को फ्रांस से प्राप्त किए गए थे.

रूस से, 1.5 लाख स्पुतनिक टीके और 22 टन चिकित्सा आपूर्ति हुई है, जिसमें 20 ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयां, 75 वेंटिलेटर और 200 हजार शामिल हैं.

साथ ही 30 बड़े ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स हमें थाईलैंड से मिले हैं. सिंगापुर से 8 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक और 250 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त हुए.

रोमानिया ने 80 ऑक्सीजन कॉन्सेट्रेटर और 75 ऑक्सीजन सिलेंडर युक्त खेप भेजी. ब्रिटेन ने 485 ऑक्सीजन कॉन्सेट्रेटर और 200 वेंटिलेटर भेजे हैं.

शुक्रवार को आयरलैंड से 700 यूनिट ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स और 365 वेंटिलेटर पहुंचे. जर्मनी से शनिवार देर रात 120 वेंटिलेटर पहुंचे और मॉरीशस से 200 बड़े ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स प्राप्त हुए.

मंगलवार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बारे में बताते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि भारत द्वारा प्राप्त समर्थन आपूर्ति के आवंटन के लिए एक सुव्यवस्थित और व्यवस्थित तंत्र को रखा गया है.

पढ़ें - असम में बीजेपी की जीत ने भाजपा विरोधी लहर को अफवाह साबित किया

इसमें आगे कहा गया है कि भारतीय सीमा शुल्क ऑक्सीजन और ऑक्सीजन से संबंधित उपकरणों आदि सहित कोरोना संबंधित आयातों की उपलब्धता की आवश्यकता के प्रति संवेदनशील है, और 24 x 7 को फास्ट ट्रैक काम करने और माल को साफ करने और शीघ्र निकासी के लिए नेतृत्व करने के लिए काम कर रहे हैं.

मंत्रालय ने बताया कि सामाग्री को 24 विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है. इसमें BiPAP मशीन , ऑक्सीजन कांसंट्रेटर्स , ऑक्सीजन सिलेंडर, PSA ऑक्सीजन प्लाटंस, प्लस ऑक्सीमीटर, ड्रग्स , पीपीई N-95 मास्क और गाउन, शामिल है और इनकी संख्या लगभग 40 लाख हैं. मंत्रालय ने कहा कि इस सामाग्री को विभिन्न राज्यों के 38 संस्थानों को वितरित किया गया है.

इस सामाग्री को राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा या तो रिसीव कर लिया गया है या फिर वहां के लिए डिस्पैच हो गए हैं. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, डी एंड एन हवेली, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल हैं , लद्दाख, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

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