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अरुणाचल प्रदेश: वायुसेना ने पूर्वोत्तर में किया हवाई अभ्यास, 36 राफेल विमानों में से आखिरी विमान भी मिला - Air Force conducts aerial exercises in Northeast

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के साथ हुई झड़प के बाद अब भारतीय वायु सेना ने दो दिवसीय युद्धाभ्यास की आज से शुरुआत की है. हालांकि एयरफोर्स का कहना है कि इसका झड़प से कोई लेना-देना नहीं है.

Rafale aircraft
राफेल विमान
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Published : Dec 15, 2022, 10:26 PM IST

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव के बीच वायुसेना ने गुरुवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक बड़ा अभ्यास शुरू किया. इस अभ्यास में राफेल लड़ाकू विमानों को भी शामिल किया गया है. इस अभ्यास के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि बड़े पैमाने पर किये जा रहे इस दो दिवसीय अभ्यास में लगभग सभी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान एवं क्षेत्र में तैनात अन्य परिसंपत्तियां शामिल की गई हैं.

वायुसेना ने एक ट्वीट में कहा कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से अंतिम विमान भी बल में शामिल हो गया है. वायुसेना ने पिछले साल जुलाई में हासीमारा में पूर्वी वायु कमान के अपने 101 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल किया था. लगभग 18 लड़ाकू विमान वाला पहला राफेल स्क्वाड्रन अंबाला एयर बेस में स्थित है. आईएएफ ने कहा, 'वायुसेना के 36 राफेल विमानों में से आखिरी विमान रास्ते में यूएई वायुसेना के टैंकर से तेल भराने के बाद भारत में उतरा.'

सूत्रों ने कहा कि फ्रांस निर्मित लड़ाकू विमान हासीमारा में दूसरे राफेल स्क्वाड्रन में शामिल हुआ, जिससे इसमें विमानों की कुल संख्या बढ़कर 18 हो गई. उन्होंने कहा कि राफेल जेट के दूसरे स्क्वाड्रन को सुखोई-30 एमकेआई विमान जैसी अन्य प्रमुख परिसंपत्तियों के साथ पूर्वी वायु कमान के तहत इस वायु अभ्यास का हिस्सा बनना था. भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि इस अभ्यास की योजना काफी पहले बनाई गई थी और इसका तवांग क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं है.

भारतीय थलसेना ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'पीएलए के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई. हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता के साथ सामना किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं.' यह आमना-सामना पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से सीमा गतिरोध के बीच हुआ. एक सूत्र ने कहा कि पूर्वोत्तर में सभी फ्रंटलाइन एयर बेस और कुछ प्रमुख उन्नत लैंडिंग ग्राउंड अभ्यास में शामिल होने के लिए तैयार हैं.

थलसेना और वायुसेना पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद दो वर्षों से अधिक समय से अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम क्षेत्र में एलएसी पर परिचालन तैयारी बनाए हुए है. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी के अपनी ओर हवाई गतिविधि बढ़ाये जाने के बाद वायुसेना ने लड़ाकू विमानों को पिछले सप्ताह रवाना किया था. सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र में चीन द्वारा ड्रोन सहित कुछ हवाई प्लेटफार्म की तैनाती तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने के लिए 9 दिसंबर को चीन के प्रयास से पहले हुई थी.

उन्होंने कहा कि कई चीनी ड्रोन ने एलएसी के करीब उड़ान भरी, जिसके बाद वायुसेना को जेट विमानों को रवाना करने और समग्र युद्धक तैयारी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया कि चीन के सैनिकों ने नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास किया जिसका भारत के जवानों ने दृढ़ता से जवाब दिया और उन्हें लौटने के लिए मजबूर किया.

पढ़ें: अग्नि-5 परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का रात्रि परीक्षण, 5,000 किमी से ज्यादा दूर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम

रक्षा मंत्री ने बताया कि इस झड़प में किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है और इस तरह की कार्रवाई के लिये मना किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव के बीच वायुसेना ने गुरुवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक बड़ा अभ्यास शुरू किया. इस अभ्यास में राफेल लड़ाकू विमानों को भी शामिल किया गया है. इस अभ्यास के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि बड़े पैमाने पर किये जा रहे इस दो दिवसीय अभ्यास में लगभग सभी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान एवं क्षेत्र में तैनात अन्य परिसंपत्तियां शामिल की गई हैं.

वायुसेना ने एक ट्वीट में कहा कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से अंतिम विमान भी बल में शामिल हो गया है. वायुसेना ने पिछले साल जुलाई में हासीमारा में पूर्वी वायु कमान के अपने 101 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल किया था. लगभग 18 लड़ाकू विमान वाला पहला राफेल स्क्वाड्रन अंबाला एयर बेस में स्थित है. आईएएफ ने कहा, 'वायुसेना के 36 राफेल विमानों में से आखिरी विमान रास्ते में यूएई वायुसेना के टैंकर से तेल भराने के बाद भारत में उतरा.'

सूत्रों ने कहा कि फ्रांस निर्मित लड़ाकू विमान हासीमारा में दूसरे राफेल स्क्वाड्रन में शामिल हुआ, जिससे इसमें विमानों की कुल संख्या बढ़कर 18 हो गई. उन्होंने कहा कि राफेल जेट के दूसरे स्क्वाड्रन को सुखोई-30 एमकेआई विमान जैसी अन्य प्रमुख परिसंपत्तियों के साथ पूर्वी वायु कमान के तहत इस वायु अभ्यास का हिस्सा बनना था. भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि इस अभ्यास की योजना काफी पहले बनाई गई थी और इसका तवांग क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं है.

भारतीय थलसेना ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'पीएलए के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई. हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता के साथ सामना किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं.' यह आमना-सामना पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से सीमा गतिरोध के बीच हुआ. एक सूत्र ने कहा कि पूर्वोत्तर में सभी फ्रंटलाइन एयर बेस और कुछ प्रमुख उन्नत लैंडिंग ग्राउंड अभ्यास में शामिल होने के लिए तैयार हैं.

थलसेना और वायुसेना पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद दो वर्षों से अधिक समय से अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम क्षेत्र में एलएसी पर परिचालन तैयारी बनाए हुए है. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी के अपनी ओर हवाई गतिविधि बढ़ाये जाने के बाद वायुसेना ने लड़ाकू विमानों को पिछले सप्ताह रवाना किया था. सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र में चीन द्वारा ड्रोन सहित कुछ हवाई प्लेटफार्म की तैनाती तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने के लिए 9 दिसंबर को चीन के प्रयास से पहले हुई थी.

उन्होंने कहा कि कई चीनी ड्रोन ने एलएसी के करीब उड़ान भरी, जिसके बाद वायुसेना को जेट विमानों को रवाना करने और समग्र युद्धक तैयारी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया कि चीन के सैनिकों ने नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास किया जिसका भारत के जवानों ने दृढ़ता से जवाब दिया और उन्हें लौटने के लिए मजबूर किया.

पढ़ें: अग्नि-5 परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का रात्रि परीक्षण, 5,000 किमी से ज्यादा दूर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम

रक्षा मंत्री ने बताया कि इस झड़प में किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है और इस तरह की कार्रवाई के लिये मना किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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