चंडीगढ़ : ऐसे सेनानियों को श्रद्धांजलि देने और उनका आजादी में योगदान क्या है यह सब बताने के लिए आर्टिस्ट वरुण टंडन ने दीए के धुएं से पोर्ट्रेट (portrait) तैयार किए हैं. आर्टिस्ट वरुण टंडन बताते हैं एक कलाकार अपनी सोच को अपने काम में दर्शाता है इस बार स्वतंत्रता दिवस पर मैंने पहले से ही सोचा था कि स्वतंत्रता सेनानियों को अलग ही तरह से श्रद्धांजलि दी जाएगी. जिसको देखते हुए नाम के धुएं से मैंने भी स्वतंत्रता सेनानियों के पोर्ट्रेट (portrait) तैयार किए जिन्हें बनाने में मुझे 15 से 20 दिन लगे.
उन्होंने कहा कि मेरा काम पोर्ट्रेट (portrait) बनाने का था लेकिन उसके बाद उनकी जानकारी देने के लिए मैंने हर पोट्रेट पर एक बार कोड लगाया है जिस पर उनके बारे में पूरी जानकारी आ जाएगी जैसे आजादी की लड़ाई में क्या भूमिका रही है.
उन्होंने कहा कि इन सभी फ्रीडम फाइटर्स में एक बात समान है कि वे कभी भी अंग्रेजों के हाथ में नहीं आए. उन्होंने अंग्रेजों के हाथों में आने से पहले ही अपनी जान ले ली लेकिन देश को झुकने नहीं दिया. इन्होंने जो सपना देखा था उसको आज हम लोग जी रहे हैं ऐसे में आजादी के सही मायने समझने बेहद जरूरी है.
आर्टिस्ट वरुण धवन ने कहा कि वैसे तो आजादी के लिए कई फ्रीडम फाइटर्स ने अपनी जान गंवाई है. अक्सर हम पुरुषों के बारे में बातें करते हैं लेकिन महिलाओं का भी उतना ही योगदान रहा है और इसमें मैंने ऐसी फ्रीडम फाइटर को शामिल किया है जो किसी मायने में पुरुषों से कम नहीं थी. इनमें शहीद प्रीति लता वाद्देदार का नाम भी अमर है.
उन्होंने महज 21 साल की उम्र में देश के लिए कुर्बानी दी. उन्होंने कम उम्र में ही झांसी की रानी का रास्ता अपनाया और उन्हीं की तरह अंतिम समय तक अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुईं.
दरअसल, यूरोपीय क्लब जहां पर लिखा था कि डॉग इंडियन आर नॉट अलाउड वहां पर बम लगाया और क्लब की इमारत बम के फटने और पिस्तौल की आवाज से इमारत गूंज उठा.
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उस समय इस क्लब के अंदर अंग्रेज मौजूद थे जिनमें 13 अंग्रेज जख्मी हो गए और बाकी भाग निकले. प्रीति लता के शरीर में गोली लगने से घायल हाे गईं. इसी अवस्था में उन्हाेंने भागने की काेशिश की लेकिन सफल नहीं हाे सकीं और उनके अपना जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दे दी.