बेंगलुरु : 'किसी चीज को दिल से पाने की कोशिश करो, तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में जुट जाती है'. ये लाइन भले ही किसी हिंदी फिल्म की हो, लेकिन कर्नाटक के शिवामोग्गा जिले के होशाहल्ली की रहने वाली मीना के जीवन पर बिलकुल सटीक बैठती है.
कर्नाटक की रहने वाली मीना को जन्म से ही पेशीय दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्रोफी) है. उन्होंने बचपन में ही अपने दोनों पैर खो दिए थे, लेकिन उनके हौसले की उड़ान में उनकी बीमारी रोड़ा नहीं बन सकी. मीना काफी सुंदर कलाकारी करती हैं. मीना दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा हैं.
मीना सो कर ही काफी सुंदर चित्रण करती हैं. मीना के इस हुनर की चर्चा देश में ही नहीं, बल्कि विदेश तक है.
मीना ने शौक के लिए कला और शिल्प सीखा था. लेकिन अब यह उसका करियर बन गया है. उन्होंने बांबे आर्ट एंड क्राफ्ट कंपनी के जरिए होम डेकोर का कोर्स भी किया है.
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मीना सूफसु वर्क, ड्यूक पेज, मिक्स्ड मीडिया, एमडीएफ, पॉट, सिरेमिक ग्लास तकनीक का उपयोग करके घर की सजावट और आर्ट एंड क्राफ्ट बनाती हैं. इतना ही नहीं, वह फर्नीचर पर कलाकारी करती हैं.
इसके अलावा, मीना ने की होल्डर, फोटो होल्डर, वॉल होल्डर, की बंच हैंगर, वॉच बॉक्स, बॉटल वर्क और अन्य सैकड़ों शिल्प बनाए हैं.
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इसमें वह अपने दोस्तों की मदद भी लेती हैं. वह कला और शिल्प तैयार करने के लिए विदेश से रंग मंगवाती हैं.
मीना हमारे बीच इस बात का उदाहरण है कि कुछ भी असंभव नहीं है.