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कृत्रिम बारिश से केवल सीमित सफलता मिलेगी, पर्यावरण और नागरिकों पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव : एक्सपर्ट - दिल्ली में कृत्रिम बारिश खबर

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच बारिश ने थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में बनी है. जहां तक बात कृत्रिम बारिश की है तो एक्सपर्ट का मानना है कि इससे पर्यावरण और नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट. Artificial Rains, Delhi reducing the pollution level, chemical powders, IIT Kanpur, air quality of Delhi.

Delhi weather
कृत्रिम बारिश से केवल सीमित सफलता मिलेगी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 11, 2023, 3:09 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में ठंडी बारिश के एक दिन बाद प्रदूषण का स्तर कम होने से दिल्लीवासियों को बड़ी राहत मिली, लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता शनिवार को भी 'खराब' श्रेणी में बनी रही. हालांकि, कृत्रिम बारिश पर चर्चा जोरों पर है लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कृत्रिम बारिश केवल 'सीमित सफलता' है और यह 'पर्यावरण को प्रभावित' और 'नागरिकों के स्वास्थ्य' को भी प्रभावित कर सकती है.

ईटीवी भारत से बातचीत में आईसीएआर-सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट, उत्तर प्रदेश के निदेशक डॉ. ए. अरुणाचलम ने कहा कि 'इस कृत्रिम बारिश के लिए हम जिन रासायनिक पाउडरों का उपयोग करेंगे, वे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं. आख़िरकार, ये सभी मानव निर्मित रसायन हैं. यह किसी रासायनिक संयोजन या प्रतिक्रिया में परिणत हो सकता है जिससे अम्लीय वर्षा हो सकती है. और साथ ही इसका असर लोगों पर भी पड़ सकता है साथ ही इससे त्वचा रोग होने की भी संभावना है. आख़िरकार, ये वे रसायन हैं जिनका हम उपयोग कर रहे हैं.'

जब उनसे पूछा गया कि दिल्ली में बारिश के बावजूद वायु प्रदूषण क्यों बना हुआ है, तो उन्होंने कहा कि 'यह सब हवा की दिशा और हवा की गति से संबंधित है. जब भी पश्चिमी विक्षोभ या अफगानिस्तान से हवाएं आती हैं. और ऐसा आमतौर पर मानसून के बाद होता है और उस दौरान ही पराली जलाने की ज्यादातर घटनाएं सामने आती हैं.'

उन्होंने कहा कि 'जब भी हवा की गति कम होती है, तो पराली जलाने से निकलने वाले कण हमारे वातावरण में ही रह जाते हैं क्योंकि वे नीचे नहीं बैठ पाते हैं. तो अगले 10-15 दिनों में आपको हवा की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा.'

इसी तरह, कृत्रिम बारिश के उपयोग पर आईआईटी-दिल्ली के डॉ. अविनाश चंद्र (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 'इसमें सीमित सफलता ही मिलेगी. इस पर काफी जोर दिया जा रहा है लेकिन कृत्रिम बारिश का असर सिर्फ 1-2 दिन के लिए ही होगा. और, दूसरी बात अगर बारिश पर्याप्त नहीं होगी तो कण लोड होकर भारी हो जाएंगे और ये कण बारिश खत्म होने के बाद भी वायुमंडल में तैरते रहेंगे.'

यहां यह ध्यान रखना उचित है कि 20-21 नवंबर को दिल्ली सरकार क्लाउड-सीडिंग नामक एक प्रक्रिया को लागू करके कृत्रिम वर्षा (यदि आसमान में बादल हैं) कराने के लिए पूरी तरह तैयार है.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को आईआईटी कानपुर की एक टीम से मुलाकात की जो 2018 से इस परियोजना को विकसित कर रही है. टीम ने इसके लिए जुलाई 2023 में परीक्षण भी किया था और डीजीसीए सहित सरकार से इसके लिए सभी अनुमतियां प्राप्त की थीं.

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Watch : दिल्ली में बारिश के बाद AQI 100 तक पहुंचा, जानिए IMD के वैज्ञानिक ने क्या की भविष्यवाणी

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ईटीवी भारत से बातचीत में आईसीएआर-सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट, उत्तर प्रदेश के निदेशक डॉ. ए. अरुणाचलम ने कहा कि 'इस कृत्रिम बारिश के लिए हम जिन रासायनिक पाउडरों का उपयोग करेंगे, वे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं. आख़िरकार, ये सभी मानव निर्मित रसायन हैं. यह किसी रासायनिक संयोजन या प्रतिक्रिया में परिणत हो सकता है जिससे अम्लीय वर्षा हो सकती है. और साथ ही इसका असर लोगों पर भी पड़ सकता है साथ ही इससे त्वचा रोग होने की भी संभावना है. आख़िरकार, ये वे रसायन हैं जिनका हम उपयोग कर रहे हैं.'

जब उनसे पूछा गया कि दिल्ली में बारिश के बावजूद वायु प्रदूषण क्यों बना हुआ है, तो उन्होंने कहा कि 'यह सब हवा की दिशा और हवा की गति से संबंधित है. जब भी पश्चिमी विक्षोभ या अफगानिस्तान से हवाएं आती हैं. और ऐसा आमतौर पर मानसून के बाद होता है और उस दौरान ही पराली जलाने की ज्यादातर घटनाएं सामने आती हैं.'

उन्होंने कहा कि 'जब भी हवा की गति कम होती है, तो पराली जलाने से निकलने वाले कण हमारे वातावरण में ही रह जाते हैं क्योंकि वे नीचे नहीं बैठ पाते हैं. तो अगले 10-15 दिनों में आपको हवा की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा.'

इसी तरह, कृत्रिम बारिश के उपयोग पर आईआईटी-दिल्ली के डॉ. अविनाश चंद्र (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 'इसमें सीमित सफलता ही मिलेगी. इस पर काफी जोर दिया जा रहा है लेकिन कृत्रिम बारिश का असर सिर्फ 1-2 दिन के लिए ही होगा. और, दूसरी बात अगर बारिश पर्याप्त नहीं होगी तो कण लोड होकर भारी हो जाएंगे और ये कण बारिश खत्म होने के बाद भी वायुमंडल में तैरते रहेंगे.'

यहां यह ध्यान रखना उचित है कि 20-21 नवंबर को दिल्ली सरकार क्लाउड-सीडिंग नामक एक प्रक्रिया को लागू करके कृत्रिम वर्षा (यदि आसमान में बादल हैं) कराने के लिए पूरी तरह तैयार है.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को आईआईटी कानपुर की एक टीम से मुलाकात की जो 2018 से इस परियोजना को विकसित कर रही है. टीम ने इसके लिए जुलाई 2023 में परीक्षण भी किया था और डीजीसीए सहित सरकार से इसके लिए सभी अनुमतियां प्राप्त की थीं.

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