कोटा (राजस्थान) : राजस्थान के शाही परिवार की संपत्ति (The property of the royal family of Rajasthan) मामले में पूर्व मंत्री व दो अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. पुलिस ने बताया कि जितेंद्र सिंह, उनके ससुर बिजेंद्र सिंह और बूंदी के पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाडा के खिलाफ 18 नवंबर को गिरफ्तारी वारंट जारी (Arrest warrant issued) किया गया.
अदालत ने पुलिस को तीनों को गिरफ्तार कर छह जनवरी 2022 को पेश करने का आदेश दिया है. बूंदी नगर पुलिस ने दिसंबर 2017 में जितेंद्र और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था.
यह मामला पूर्व राजपरिवार के आखिरी राजा बहादुर सिंह के बेटे रंजीत सिंह (Ranjit Singh, son of the last Raja Bahadur Singh) के मित्र होने का दावा करने वाले अविनाश कुमार चांदना की शिकायत पर दर्ज किया गया है. जितेंद्र सिंह, रंजीत सिंह के भतीजे हैं. चांदना का आरोप है कि तीनों आरोपियों ने रंजीत सिंह की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए षड्यंत्र रचा और मई 2008 की पिछली तारीख का न्यास दस्तावेज तैयार कर उस पर उनके जाली हस्ताक्षर किए.
रंजीत की कोई संतान नहीं थी. चांदना ने दावा किया कि रंजीत उनके दोस्त थे और वह 2010 में आखिरी सांस लेने तक दिल्ली स्थित उनके आवास में उनके साथ ही रहे थे. उन्होंने दावा किया कि शाही परिवार के वंशज ने 2009 में सारी संपत्ति उन्हें हस्तांतरित कर दी थी.
चांदना का आरोप है कि जितेंद्र ने कुल देवी आशापुरा माताजी न्यास (Kul Devi Ashapura Mataji Trust) की स्थापना की और इसके माध्यम से रंजीत की सारी संपत्ति धोखे से अपने नाम कर ली. अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी (Court issues arrest warrant) करते हुए कहा कि जितेंद्र और दो अन्य आरोपियों ने अनुचित लाभ लेने के लिए फर्जी न्यास दस्तावेज जमा कराके अदालत को धोखा देने की कोशिश की.
यह भी पढ़ें- किसानों की बैठक में बड़ा फैसला, स्थगित किया 29 नवंबर का ट्रैक्टर से संसद मार्च
अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि जितेंद्र ने जांच अधिकारी को दस्तावेज की मूल प्रति मुहैया नहीं कराई, बल्कि अधिकारी को एक निजी फोरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा जारी एक फर्जी रिपोर्ट दी गई. जितेंद्र द्वारा जमा कराई गई रिपोर्ट के आधार पर बूंदी पुलिस ने मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की थी. चांदना ने अदालत में इसे चुनौती दी है.