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SC Armed Forces adultery judgment: व्यभिचार के लिए अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है सशस्त्र बल: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के ऐतिहासिक फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा कि सशस्त्र बल व्यभिचार के लिए अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है.

Armed forces can take action against their officers for adultery: Supreme Court
व्यभिचार के लिए अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है सशस्त्र बल: सुप्रीम कोर्ट
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Published : Feb 1, 2023, 6:41 AM IST

Updated : Feb 1, 2023, 10:59 AM IST

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत व्यभिचार को रद्द करने का उसका 2018 का फैसला व्यभिचारी आचरण के लिए सशस्त्र बलों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगा. न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सशस्त्र बलों में अनुशासन से संबंधित व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले 2018 के फैसले में स्पष्टीकरण मांगने वाले एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्टीकरण दिया.

पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि आईपीसी की धारा 497 (व्यभिचार) को रद्द करने वाले उसके फैसले का सशस्त्र बल अधिनियम के प्रावधानों से कोई संबंध नहीं था. सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण में यह साफ कर दिया कि उसका 2018 का फैसला व्यभिचारी आचरण के लिए सशस्त्र बलों की सेवा करने वाले कर्मियों के खिलाफ शुरू की गई कोर्ट मार्शल की कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि 2018 के फैसले का संबंध केवल आईपीसी की धारा 497 से था और अदालत ने व्यभिचार को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन उसने पाया था कि व्यभिचार एक आधुनिक समस्या हो सकता है और विवाह के विघटन का आधार बना रहेगा. अदालत ने कहा कि उसका स्पष्ट मत है कि उसे अवश्य ही निरीक्षण करना चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि इस न्यायालय का निर्णय अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के प्रभाव और संचालन से बिल्कुल भी संबंधित नहीं था.

ये भी पढ़ें- Budget 2023: बजट में कर रियायतों, राजकोषीय मजबूती के बीच संतुलन की होगी चुनौती

अदालत ने कहा, 'हम केवल इस स्थिति को स्पष्ट करते हैं और आवेदन का निस्तारण करते हैं.' पीठ सशस्त्र बलों में अनुशासन से संबंधित व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले 2018 के फैसले में स्पष्टीकरण मांगने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. केंद्र ने कहा है कि व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का 2018 का फैसला सशस्त्र बलों के कर्मियों को इस तरह के कृत्यों के लिए दोषी ठहराए जाने के रास्ते में आ सकता है. केंद्र ने पीठ को बताया है कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने जोसेफ शाइन के फैसले का हवाला देते हुए व्यभिचार के आरोप में सेना के जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द कर दिया है.

(एएनआई)

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत व्यभिचार को रद्द करने का उसका 2018 का फैसला व्यभिचारी आचरण के लिए सशस्त्र बलों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगा. न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सशस्त्र बलों में अनुशासन से संबंधित व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले 2018 के फैसले में स्पष्टीकरण मांगने वाले एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्टीकरण दिया.

पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि आईपीसी की धारा 497 (व्यभिचार) को रद्द करने वाले उसके फैसले का सशस्त्र बल अधिनियम के प्रावधानों से कोई संबंध नहीं था. सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण में यह साफ कर दिया कि उसका 2018 का फैसला व्यभिचारी आचरण के लिए सशस्त्र बलों की सेवा करने वाले कर्मियों के खिलाफ शुरू की गई कोर्ट मार्शल की कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि 2018 के फैसले का संबंध केवल आईपीसी की धारा 497 से था और अदालत ने व्यभिचार को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन उसने पाया था कि व्यभिचार एक आधुनिक समस्या हो सकता है और विवाह के विघटन का आधार बना रहेगा. अदालत ने कहा कि उसका स्पष्ट मत है कि उसे अवश्य ही निरीक्षण करना चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि इस न्यायालय का निर्णय अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के प्रभाव और संचालन से बिल्कुल भी संबंधित नहीं था.

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अदालत ने कहा, 'हम केवल इस स्थिति को स्पष्ट करते हैं और आवेदन का निस्तारण करते हैं.' पीठ सशस्त्र बलों में अनुशासन से संबंधित व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले 2018 के फैसले में स्पष्टीकरण मांगने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. केंद्र ने कहा है कि व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का 2018 का फैसला सशस्त्र बलों के कर्मियों को इस तरह के कृत्यों के लिए दोषी ठहराए जाने के रास्ते में आ सकता है. केंद्र ने पीठ को बताया है कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने जोसेफ शाइन के फैसले का हवाला देते हुए व्यभिचार के आरोप में सेना के जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द कर दिया है.

(एएनआई)

Last Updated : Feb 1, 2023, 10:59 AM IST
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