नई दिल्ली: महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में आरोपित भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर पर आरोप तय करने को लेकर शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल के कोर्ट में महिला पहलवानों की वकील रेबेका जॉन ने कहा कि एक एफआईआर एनसाइक्लोपीडिया नहीं होती.
एफआईआर एक घटना या कई घटनाओं पर भी हो सकती है. सभी शिकायतों से साफ दिखता है कि बृज भूषण ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर पहलवानों को प्रभावित करने की कोशिश की. बृज भूषण डॉक्टर नहीं थे और न ही कोच थे तो फिर सांस क्यों चेक करते थे ?
वकील ने आगे कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता की इजाजत के बिना उसकी शर्ट के अंदर हाथ डालना क्या यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता है ? रेबेका जॉन ने आगे कहा कि बृज भूषण की हरकतों से महिला पहलवान असहज महसूस करती थीं. इसलिए चार्जशीट में लगाए गए आरोपों के आधार पर बृज भूषण पर आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत आरोप तय होने चाहिए.
साथ ही इनके खिलाफ 354ए (यौन उत्पीड़न) का भी आरोप बनता है. महिला पहलवानों के वकील की इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई एक सितंबर को तय कर दी. अगली तारीख पर भी महिला पहलवानों की वकील की तरफ से आरोप तय करने को लेकर बहस जारी रहेगी. साथ ही कोर्ट क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार पर दलीलें भी सुनेगा. इससे पहले 19 अगस्त को जज के छुट्टी पर रहने के चलते आरोप तय करने को लेकर महिला पहलवानों के वकील की ओर से होने वाली बहस को टालना पड़ा था.
बृज भूषण के वकील की ओर से पूरी हो चुकी है बहस
बता दें कि इससे पहले नौ से लेकर 11 अगस्त तक लगातार तीन दिन तक पुलिस और बृज भूषण शरण सिंह के वकील राजीव मोहन के बीच आरोप तय करने को लेकर बहस हुई थी. तब दिल्ली पुलिस की ओर से सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने कोर्ट में कहा था कि चार्जशीट में पेश तथ्यों के आधार पर आरोपित और सह आरोपित दोनों पर प्रथम दृष्टया मामला बनता है.
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आरोपी व्यक्तियों पर उन अपराधों के लिए आरोप तय किए जाने चाहिए जिनके लिए उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है. सरकारी वकील ने को कोर्ट को बताया कि सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 354-ए (यौन उत्पीड़न) और 354-डी (पीछा करना) सहित आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.
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