बेंगलुरु : सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग जगत के वरिष्ठ एवं अनुभवी व्यक्ति वी. बालाकृष्णन ने बृहस्पतिवार को नए डिजिटल नियमों की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वे नागरिकों के निजता के अधिकार का अनुचित रूप से उल्लंघन करते प्रतीत होते हैं.
बेंगलुरु में पंजीकृत आईटी कंपनी इंफोसिस लिमिटेड के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी ने कहा कि नये आईटी नियमों में दो मुख्य खामियां हैं. पहला उपयोक्ता के निजता के अधिकार से जुड़ा हुआ है, जो मौलिक अधिकार की श्रेणी में आता है और दूसरा पूरी प्रक्रिया सरकार की कार्यकारी शाखा (नौकरशाहों) के हिस्से में है.
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उन्होंने बताया, 'भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मीडिया उपयोक्ता है और आशंका है कि इसमें हम चीन के रास्ते चल पड़े हैं.'
नये नियम सिर्फ सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाए गए हैं, सरकार के इस बयान के संबंध में बालाकृष्णन ने कहा कि 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर' द्वारा तैयार 'वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स, 2020' में 180 देशों में भारत को 142वें स्थान पर रखा गया है.
2014 के आम चुनाव में बेंगलुरु सेंट्रल सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रह चुके, बालाकृष्णन ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में हमने विभिन्न स्वतंत्र संस्थाओं की आजादी छिनते हुए देखी है.' उन्होंने आरोप लगाया, 'आज सरकार में लोगों को आम तौर पर विश्वास नहीं रह गया है.'
उन्होंने कहा, 'इस पृष्ठभूमि में नया कानून ऐसा लगता है कि वह नागरिक के निजता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है, क्योंकि इस संबंध में पूरा अधिकार सरकार की कार्यकारी शाखा (नौकरशाही) के पास है. मुझे लगता है कि इस आशंकाओं का समाधान किया जाना चाहिए.'
पुलिस के 'डराने वाले तरीकों' और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर खतरे को लेकर ट्विटर के बयान पर बालाकृष्णन ने कहा, 'मुझे लगता है कि ट्विटर की चिंताएं जायज हैं.'
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उन्होंने कहा कि निगरानी के लिए सरकार से अलग स्वतंत्र प्रणाली होनी चाहिए, जिसके पास न्यायिक निगरानी का अधिकार हो.
(पीटीआई-भाषा)