नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि सरकारी पदों पर नियुक्तियां (Appointments to public posts) संविधान के अनुच्छेदों 14 एवं 16 के अनुरूप होनी चाहिए तथा अर्हता मापदंड एकसमान होनी चाहिए एवं उसमें मनमाने चयन की कोई गुजाइंश न हो.
शीर्ष अदालत ने जम्मू कश्मीर में एक प्राथमिक शिक्षक का चयन दरकिनार करते हुए यह टिप्पणी की. उम्मीदवार अर्हता मापदंड के हिसाब से ऊपरी उम्र सीमा पार कर चुका था.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, 'सरकारी पदों पर नियुक्तियां संविधान के अनुच्छेदों 14 (कानून के सामने समानता) एवं 16(सरकारी रोजगार के मामलों में अवसरों की समानता) के अनुरूप होनी चाहिए तथा अर्हता मापदंड एकसमान होनी चाहिए एवं अधिकारियों के पास मौजूद निरंकुश विवेक का इस्तेमाल करके मनमाने चयन की कोई गुजाइंश नहीं हो सकता है.'
एकल पद पर दो उम्मीदवारों की नियुक्ति का दिया था आदेश
शीर्ष अदालत जम्मू कश्मीर सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही है. जम्मू कश्मीर सरकार ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे रखी है. उच्च न्यायालय ने बुंदूक खान मोहल्ला रैनवारी में एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापन गाइड के एकल पद पर दो उम्मीदवारों की नियुक्ति का निर्देश दिया था.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बुंदूक खान मोहल्ला रैनवारी में प्राथमिक विद्यालय के लिए इस योजना के तहत चयन किया गया जिसमें 11 उम्मीदवारों ने 29 नवंबर, 2002 की अधिसूचना के तहत आवेदन दिया था. दूसरी प्रतिवादी (रूही अख्तर) को अध्यापन गाइड के रूप में नियुक्ति के लिए चुना गया और पहली प्रतिवादी (शहीना मसरत) ने इस फैसले को चुनौती दी. उसे एकल न्यायाधीश पीठ ने खरिज कर दिया.
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तब पहली प्रतिवादी ने अपील दायर की जिस पर खंडपीठ ने एक महीने में पहली प्रतिवादी की नियुक्ति करने का निर्देश दिया था. उसने दूसरी प्रतिवादी को पद पर बनाये रखने का भी निर्देश दिया था. इसी के बाद जम्मू कश्मीर सरकार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.
(पीटीआई-भाषा)