हैदराबाद : यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को 10 दिन हो गए हैं. इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (president vladimir putin) ने शनिवार को कहा कि किसी तीसरे पक्ष द्वारा यूक्रेन के ऊपर 'उड़ान निषिद्ध क्षेत्र' (no-fly-zone) घोषित करने को मास्को 'युद्ध में शामिल' होना करार देगा. महिला पायलटों के साथ एक बैठक में शनिवार को पुतिन ने कहा कि इस दिशा में उठाए गए किसी भी कदम को रूस एक हस्तक्षेप मानेगा और रूस की सेना के प्रति खतरे के तौर पर देखेगा. उन्होंने कहा, 'उसी क्षण हम उन्हें सैन्य संघर्ष में शामिल मानेंगे और इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि वे किसके सदस्य हैं.'
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने नाटो से आग्रह किया है कि उनके देश के ऊपर के वायु क्षेत्र को 'उड़ान निषिद्ध क्षेत्र' घोषित किया जाए. नाटो का कहना है कि ऐसा 'उड़ान निषिद्ध क्षेत्र' घोषित करने से यूक्रेन के ऊपर सभी गैर अधिकृत विमानों पर पाबंदी लग जाएगी जिससे परमाणु अस्त्रों से लैस रूस के साथ यूरोपीय देशों की बड़े स्तर पर जंग छिड़ जाएगी.
'रूस में मार्शल लॉ लगाने की कोई जरूरत नहीं'
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शनिवार को कहा कि इस समय ऐसा कुछ नहीं है जिसके कारण रूस में मार्शल लॉ लगाना पड़े. इस तरह की अटकलें थी कि रूस में मार्शल लॉ लगाया जा सकता है. इसके बाद पुतिन ने यह बयान दिया है. पुतिन ने कहा कि मार्शल लॉ उस देश में लगाया जाता है जहां बाहरी हमला होता है. उन्होंने कहा कि वह रूस में ऐसी कोई स्थिति नहीं देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि ऐसी स्थिति उपजे नहीं.
आखिर नो फ्लाई जोन क्या है ?
जब बात नो फ्लाई जोन की आती है तो ये जानना जरूरी है कि आखिर ये होता क्या है, इसका क्या फायदा है. दरअसल नो-फ्लाई जोन का मतलब होता है कि उस इलाके के ऊपर से किसी भी तरह का कोई भी हवाई जहाज, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर उड़ने पर पाबंदी है. अक्सर सुरक्षा के मद्देनज़र संवेदनशील इलाकों को नो फ्लाई जोन घोषित किया जाता है. इसके अलावा किसी खास मौके पर किसी निश्चित इलाके को नो-फ्लाईंग जोन घोषित किया जाता है. यूक्रेनी के लोग पश्चिम से अपने आकाश की रक्षा करने के लिए बेताब हैं. यही वजह है वह नो फ्लाई जोन की मांग कर रहे हैं. हालांकि, इस मांग को अमेरिका और यूरोपीय देशों ने खारिज कर दिया है.
नाटो ने नो फ्लाई ज़ोन घोषित क्यों नहीं किया
न तो यूक्रेन और न ही रूस नाटो के सदस्य हैं. नाटो दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है, जिसे 1949 में बनाया गया था. नाटो राजनीतिक और सैन्य संसाधन के माध्यम से अपने सदस्य देशों को सुरक्षा की गारंटी देता है. उसका असल मकसद है कि कोई बाहरी देश किसी नाटो सदस्य देश पर हमला करे तो वह सुरक्षा के लिए हरसंभव सुरक्षा करेगा. बात रूस की है तो नाटो प्रतिद्वंद्वी परमाणु शक्ति के साथ यूक्रेन संघर्ष में सीधे हस्तक्षेप करने में बेहद हिचकिचाता है.
हालांकि उसने रूस के हमले को संप्रभु राष्ट्र के आक्रमण माना है. बस कुछ भी करने के लिए तैयार नहीं है. नाटो के पूर्व उप सर्वोच्च सहयोगी कमांडर जनरल सर एड्रियन ब्रैडशॉ ने एक कार्यक्रम में कहा कि 'यह इराक की तरह नहीं है; हम बहुत सक्षम वायु रक्षा संपत्तियों के साथ एक परिष्कृत दुश्मन के खिलाफ हैं.' उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से समझाया कि नाटो के 30 देश रूस के खिलाफ जा रहे हैं और नो-फ्लाई जोन लागू करना 'किसी की भाषा में तीसरा विश्व युद्ध' है.
नो-फ्लाई जोन से क्या हासिल करेगा यूक्रेन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि नो-फ्लाई ज़ोन नागरिकों की रक्षा करेगा. यूक्रेन के परमाणु प्लांट पर जिस तरह से कब्जा हो रहा है, उसका बचाव होगा. हालांकि विश्लेषकों का ये भी कहना है कि रूस की जमीनी सेनाएं भी यूक्रेन को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं. लंदन में रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के एक रिसर्च फेलो जस्टिन ब्रोंक ने कहा कि यूक्रेनियन वास्तव में एक व्यापक हस्तक्षेप चाहते हैं, जैसा कि 2011 में लीबिया में हुआ था, जब नाटो बलों ने सरकारी इमारतों पर हमले शुरू किए थे. लेकिन रूस के मामले में ऐसा दखल नजर आने की संभावना नहीं है. रक्षा सचिव बेन वालेस ने एक चैनल के साथ बात करते हुए खुलासा किया कि नो-फ्लाई ज़ोन में 'ब्रिटिश लड़ाकू जेट शामिल होंगे जो रूसी लड़ाकू जेट विमानों को मार गिराएंगे. यदि यूक्रेन पर नो-फ्लाई ज़ोन लगाया गया तो नाटो बलों के पास उस हवाई क्षेत्र में अनधिकृत सैन्य विमानों को मार गिराने का अधिकार होगा.
पहले कब नो फ्लाई जोन घोषित किया गया
पहला उदाहरण 1991 में खाड़ी युद्ध का है. ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म समाप्त होने के बाद जब संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो ने खाड़ी युद्ध के बाद इराक में नो-फ्लाई जोन लागू किया था. इसका उद्देश्य सद्दाम हुसैन के हमलों को रोकना था. यह संयुक्त राष्ट्र के समर्थन के बिना किया गया था. 1992 में बोस्निया के ऊपर हवाई क्षेत्र में सभी सैन्य उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. अक्टूबर 1992 और अप्रैल 1993 के बीच, नो-फ्लाई ज़ोन के 500 से अधिक उल्लंघन हुए, लेकिन प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र से उड़ान भरने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. 2011 में लीबिया संघर्ष के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गद्दाफी बलों द्वारा नागरिकों पर हमलों को रोकने के लिए लीबिया पर नो-फ्लाई जोन को मंजूरी दी थी.
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