रांची : आदिवासी राज्य झारखंड में बढ़ती लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार अपने आगामी विधानसभा सत्र में एंटी-लिंचिंग बिल पेश कर सकती है. लिंचिंग करने वालों के लिए मौत तक की सजा का प्रस्ताव है. ये बिल 16 से 22 दिसंबर तक आने की संभावना है.
पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों में विधानसभाओं ने पहले ही एंटी-लिंचिंग कानून पारित कर दिया है. झारखंड मॉब लिंचिंग के मामलों के लिए चर्चा में रहा है. 2019 में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में चोरी के संदेह में 24 वर्षीय तबरेज़ अंसारी को कथित तौर पर बांधकर डंडों से पीटा गया था. ये मामला संसद में भी उठाया गया था.
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एक अधिकारी ने बताया कि कमजोर व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और लिंचिंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे. प्रस्तावित विधेयक में पीड़ित की मृत्यु के मामले में मौत की सजा या आजीवन कारावास और दस लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है. पीड़ित को चोट पहुंचाने पर तीन साल की सजा और कम से कम एक लाख रुपये जुर्माना हो सकता है. प्रस्तावित विधेयक में लिंचिंग की रोकथाम की निगरानी और समन्वय के लिए नोडल अधिकारी कहे जाने वाले राज्य समन्वयक की नियुक्ति का प्रावधान है जो पुलिस महानिरीक्षक के पद से नीचे का नहीं होगा.
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नोडल अधिकारी की नियुक्ति पुलिस महानिदेशक द्वारा की जाएगी. नोडल अधिकारी को कानून बनाने पर महीने में कम से कम एक बार, जिलों में स्थानीय खुफिया इकाइयों के साथ नियमित बैठकें करने होंगी ताकि सतर्कता से ऐसे मामलों को रोका जा सके. ये किसी क्षेत्र में भीड़ द्वारा हिंसा या लिंचिंग करना और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या किसी अन्य माध्यम से आक्रामक सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाएंगे.
(पीटीआई)