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अग्निपथ योजना को लेकर कांग्रेस का विरोध राजनीति से प्रेरित : वी. के. सिंह

'अग्निपथ' भर्ती योजना का विरोध करने को लेकर केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने कहा कि यह सब राजनीति से प्रेरित है. आप कांग्रेस की ओर से जारी किए गए बयानों को देखें. जब मैं इस तरह बोलता हूं, तो आप (मीडिया) इसे ट्विटर पर पोस्ट करते हैं, तो मुझे कांग्रेस के लोग ट्रोल करते हैं. योजना का इस तरह विरोध केवल राजनीतिक विरोधियों द्वारा ही किया जाता है.

वी के सिंह
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Published : Jun 21, 2022, 6:02 PM IST

एर्नाकुलम : केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने मंगलवार को केंद्र की 'अग्निपथ' भर्ती योजना का विरोध करने को लेकर कांग्रेस पर हमला किया और उनके विरोध को राजनीति से प्रेरित और युवाओं को गुमराह करने वाला बताया. यहां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम से इतर सिंह ने कहा कि विपक्षी दल देश में पेश किए सभी सुधारों का विरोध करने लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के सुधार का विचार करगिल समीक्षा समिति के समय से चल रहा था और भारत का 'टूथ-टू-टेल अनुपात' कई देशों की तुलना में अधिक है. 'टूथ-टू-टेल अनुपात' सेना में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द है, जिसका मतलब होता है कि सीमा पर तैनात सिपाही के लिए आवश्यक सामान पहुंचाने या उसके सहयोग के लिए तैनात अन्य लोगों का अनुपात.

उन्होंने कहा, 'यह सब राजनीति से प्रेरित है. आप कांग्रेस की ओर से जारी किए गए बयानों को देखें. जब मैं इस तरह बोलता हूं, तो आप (मीडिया) इसे ट्विटर पर पोस्ट करते हैं, तो मुझे कांग्रेस के लोग ट्रोल करते हैं. योजना का इस तरह विरोध केवल राजनीतिक विरोधियों द्वारा ही किया जाता है.'

अग्निपथ योजना के खिलाफ कांग्रेस के विरोध पर वीके सिंह

पूर्व सेना प्रमुख ने बताया कि इस योजना को विभिन्न परिवर्तनकारी अध्ययनों पर चर्चा के बाद सेवा में मौजूद लोगों ने बनाया है. सिंह ने कहा कि जब भी हम कोई सुधार करना चाहते हैं, लोग इसका विरोध करने लग जाते हैं. क्योंकि जब भी वे सत्ता में थे, तब वे कोई सुधार नहीं कर पाए. हम सशस्त्र बलों में सुधार के विचार पर काम कर रहे हैं, क्योंकि हमारा 'टूथ-टू-टेल-अनुपात' अधिक रहा है. 'टेल अनुपात' (सहयोग के लिए तैनात लोगों का अनुपात) कई देशों की तुलना में बहुत अधिक रहा है और यह काम करगिल समीक्षा समिति के समय से चल रहा है.

सिंह ने कहा, 'हमें कोई आशंका नहीं है. बाकी सभी राजनीतिक विरोधियों को आशंका होती रहेगी और वह इसे व्यक्त करते रहेंगे और युवाओं को गुमराह करते रहेंगे.' उन्होंने कहा कि करगिल समीक्षा समिति ने भी अधिकारियों और जवानों के युवा होने की पैरवी की थी. युद्ध में, आपको ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो युवा हों, जो जोखिम उठा सकते हों, यह युवाओं की क्षमता है.'

केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री ने 1961 में युद्ध के लिए लघु सेवा आयोग और आपातकालीन आयोग योजना का भी उल्लेख किया. सिंह ने कहा, 'हमें उस समय अधिक अधिकारियों की जरूरत थी और वे लोग युद्ध से ठीक पहले आए. उनके पास तीन से छह महीने का प्रशिक्षण था. मैंने कभी ऐसी टिप्पणी नहीं देखी और सुनी कि 1962 और 1965 की जंग से पहले अहम समय में आने वाले ये लोग कमजोर थे. उन्होंने बेहतरीन काम किया.'

सिंह ने यह भी कहा कि 1966 में आपातकालीन आयोग को खत्म करने के बाद, देश अधिकारियों के लिए शार्ट सर्विस कमीशन योजना लेकर आया, जिसका कार्यकाल पांच साल था. उन्होंने कहा, 'जवान बिना पेंशन या लाभ के बाहर चले गए जैसा अग्निपथ योजना के तहत होगा. मैंने इन योजनाओं में किसी तरह की आशंका नहीं देखी या बस या ट्रेन को जलाते हुए नहीं देखा है. मैंने तीन-नौ महीने प्रशिक्षिण लेने वाले लोगों के प्रदर्शन में कोई कमी नहीं देखी है.'

पढ़ें : अग्निपथ योजना पर लोगों को भड़का रहा विपक्ष : वी के सिंह

बता दें कि सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए तीनों सेनाओं में सैनिकों की भर्ती संबंधी 'अग्निपथ' योजना की 14 जून को घोषणा की थी. इसके तहत साढ़े 17 साल से 21 वर्ष आयु तक के युवाओं की चार साल की अल्प अवधि के लिए संविदा आधार पर भर्ती की जाएगी. इनमें से 25 फीसदी को 15 और वर्षों को लिए सेवा में रखा जाएगा. अन्य को बिना ग्रैज्युटी और पेंशन लाभ के सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा. इसके बाद से ही देश भर में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं.

एर्नाकुलम : केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने मंगलवार को केंद्र की 'अग्निपथ' भर्ती योजना का विरोध करने को लेकर कांग्रेस पर हमला किया और उनके विरोध को राजनीति से प्रेरित और युवाओं को गुमराह करने वाला बताया. यहां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम से इतर सिंह ने कहा कि विपक्षी दल देश में पेश किए सभी सुधारों का विरोध करने लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के सुधार का विचार करगिल समीक्षा समिति के समय से चल रहा था और भारत का 'टूथ-टू-टेल अनुपात' कई देशों की तुलना में अधिक है. 'टूथ-टू-टेल अनुपात' सेना में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द है, जिसका मतलब होता है कि सीमा पर तैनात सिपाही के लिए आवश्यक सामान पहुंचाने या उसके सहयोग के लिए तैनात अन्य लोगों का अनुपात.

उन्होंने कहा, 'यह सब राजनीति से प्रेरित है. आप कांग्रेस की ओर से जारी किए गए बयानों को देखें. जब मैं इस तरह बोलता हूं, तो आप (मीडिया) इसे ट्विटर पर पोस्ट करते हैं, तो मुझे कांग्रेस के लोग ट्रोल करते हैं. योजना का इस तरह विरोध केवल राजनीतिक विरोधियों द्वारा ही किया जाता है.'

अग्निपथ योजना के खिलाफ कांग्रेस के विरोध पर वीके सिंह

पूर्व सेना प्रमुख ने बताया कि इस योजना को विभिन्न परिवर्तनकारी अध्ययनों पर चर्चा के बाद सेवा में मौजूद लोगों ने बनाया है. सिंह ने कहा कि जब भी हम कोई सुधार करना चाहते हैं, लोग इसका विरोध करने लग जाते हैं. क्योंकि जब भी वे सत्ता में थे, तब वे कोई सुधार नहीं कर पाए. हम सशस्त्र बलों में सुधार के विचार पर काम कर रहे हैं, क्योंकि हमारा 'टूथ-टू-टेल-अनुपात' अधिक रहा है. 'टेल अनुपात' (सहयोग के लिए तैनात लोगों का अनुपात) कई देशों की तुलना में बहुत अधिक रहा है और यह काम करगिल समीक्षा समिति के समय से चल रहा है.

सिंह ने कहा, 'हमें कोई आशंका नहीं है. बाकी सभी राजनीतिक विरोधियों को आशंका होती रहेगी और वह इसे व्यक्त करते रहेंगे और युवाओं को गुमराह करते रहेंगे.' उन्होंने कहा कि करगिल समीक्षा समिति ने भी अधिकारियों और जवानों के युवा होने की पैरवी की थी. युद्ध में, आपको ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो युवा हों, जो जोखिम उठा सकते हों, यह युवाओं की क्षमता है.'

केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री ने 1961 में युद्ध के लिए लघु सेवा आयोग और आपातकालीन आयोग योजना का भी उल्लेख किया. सिंह ने कहा, 'हमें उस समय अधिक अधिकारियों की जरूरत थी और वे लोग युद्ध से ठीक पहले आए. उनके पास तीन से छह महीने का प्रशिक्षण था. मैंने कभी ऐसी टिप्पणी नहीं देखी और सुनी कि 1962 और 1965 की जंग से पहले अहम समय में आने वाले ये लोग कमजोर थे. उन्होंने बेहतरीन काम किया.'

सिंह ने यह भी कहा कि 1966 में आपातकालीन आयोग को खत्म करने के बाद, देश अधिकारियों के लिए शार्ट सर्विस कमीशन योजना लेकर आया, जिसका कार्यकाल पांच साल था. उन्होंने कहा, 'जवान बिना पेंशन या लाभ के बाहर चले गए जैसा अग्निपथ योजना के तहत होगा. मैंने इन योजनाओं में किसी तरह की आशंका नहीं देखी या बस या ट्रेन को जलाते हुए नहीं देखा है. मैंने तीन-नौ महीने प्रशिक्षिण लेने वाले लोगों के प्रदर्शन में कोई कमी नहीं देखी है.'

पढ़ें : अग्निपथ योजना पर लोगों को भड़का रहा विपक्ष : वी के सिंह

बता दें कि सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए तीनों सेनाओं में सैनिकों की भर्ती संबंधी 'अग्निपथ' योजना की 14 जून को घोषणा की थी. इसके तहत साढ़े 17 साल से 21 वर्ष आयु तक के युवाओं की चार साल की अल्प अवधि के लिए संविदा आधार पर भर्ती की जाएगी. इनमें से 25 फीसदी को 15 और वर्षों को लिए सेवा में रखा जाएगा. अन्य को बिना ग्रैज्युटी और पेंशन लाभ के सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा. इसके बाद से ही देश भर में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं.

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