लुधियाना: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाली अंशिका यादव वायुसेना में अब फाइटर जेट उड़ाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. देश की 19 लड़कियों में अंशिका का चयन फ्लाइंग विंग में हुआ है. अंशिका ने अखिल भारतीय स्तर पर लड़कियों में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. उनका परिवार पिछले 15 सालों से लुधियाना में रह रहा है, उनकी इस उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है.
अंशिका राष्ट्रीय स्तर की तैराक भी रह चुकी हैं, उन्होंने कई पदक जीते हैं, उन्हें उनके स्कूल और कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ एनसीसी घोषित किया गया था. एक कैडेट के रूप में भी चुनी गईं, जिसके आधार पर उनका चयन हुआ, वह हजारों प्रतियोगियों को पीछे छोड़कर वायु सेना में शामिल हुईं.
देश भर में फ्लाइट विंग में दो लड़कियों का चयन हो चुका है, जिसमें एक आंशिका यादव हैं. उनके पिता डॉ. यादव ने कहा कि उसकी इच्छा वायुसेना में जाने की थी, इसलिए उसने पहले ही तय कर लिया था कि वह बड़ी होकर फाइटर पायलट बनेगी.
उसने एनडीए परीक्षा में 17वीं रैंक हासिल की है और कक्षा 9 से फाइटर पायलट बनने की तैयारी शुरू कर दी थी. वह अपने स्कूल में सर्वश्रेष्ठ एनसीसी कैडेट भी रही है. उसने पुणे में प्रशिक्षण भी शुरू कर दिया है और वर्तमान में वहीं रह रही है. वह वहां तीन साल और इसके बाद डेढ़ साल हैदराबाद में रहेंगी. एनडीए 2022 के लिए कुल 400 सीटें और लड़कियों के लिए 19 सीटें थीं. फ्लाइंग विंग में सिर्फ 2 सीटें थीं और जिनमें से एक पर उन्होंने अपना नाम लिखवा लिया है. अब वह फाइटर जेट उड़ाएंगी.
इसे लेकर लुधियाना स्थित आईसीएआर परिसर में खुशी की लहर है, उनके परिवार के सदस्य, कॉलेज के प्रोफेसर और उनके परिवार के सदस्य लगातार उन्हें बधाई देने पहुंच रहे हैं, संस्थान के निदेशक डॉ. नचिकेत भी उन्हें बधाई देने पहुंचे.
इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे देश की बेटियां किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं और अंशिका ने पूरे देश का नाम रोशन किया है. वहीं उसकी सहेली गार्गी ने कहा कि उसका शुरू से सपना था कि वह एक दिन फाइटर जेट उड़ाएगी और आज उसने अपना सपना पूरा कर लिया है, जिससे सभी खुश होंगे.
खासकर लड़कियों को उससे और प्रेरणा मिलेगी ताकि वे भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा कर सकें. ईटीवी भारत से बात करते हुए अंशिका के पिता और मां भी काफी इमोशनल नजर आए. उन्होंने कहा कि उनकी बेटी एक हफ्ते के बाद ही उन्हें कॉल कर सकती है. उसके पास फोन भी नहीं है. उन्हें उसकी चिंता है. साथ ही मुझे इस बात का भी गर्व है कि अब वह देश की उन बेटियों के लिए रोशनी की किरण बन पाएंगी जिनके माता-पिता उन्हें घर से बाहर नहीं भेजते.
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उनके माता-पिता ने कहा कि वह शुरू से ही खेलों में शामिल थी और खुद को फिट रखती थी, इसलिए आज वह इस मुकाम तक पहुंची है. उन्होंने कहा कि जो परीक्षाएं लड़कों की होती हैं, वे लड़कियों की भी ली जाती हैं और लड़कियों ने उन परीक्षाओं को पूरा कर देश को गौरवान्वित किया है.