खोरधा (ओडिशा) : एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील- चिल्का में वार्षिक पक्षी गणना अभ्यास (bird census at chilika lake) शुरू हो गई है. ओडिशा के वन विभाग ने मंगलवार सुबह छह बजे से बर्ड सेंसस शुरू किया, जो दोपहर 12 बजे तक चली.
ओडिशा के सतपाड़ा, रंभा, बालूगांव, टांगी, मंगलाजोड़ी, नलबन और नुआपाड़ा क्षेत्रों में पक्षियों की गणना (Chilika Annual bird census) के लिए 21 टीमें लगाई गई हैं. गिनती में ओडिशा के वन विभाग के अलावा ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (OUAT) के छात्र, पक्षी संरक्षण समिति के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं.
जनवरी, 2021 में हुई पक्षियों की गणना के बाद चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) के मुख्य कार्याधिकारी सुशांत नंदा ने बताया था कि 2018-19 में 160 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने से आने वाले पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
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सीडीए ने बताया था कि ओडिशा के चिल्का झील में 2021 में 11.42 लाख से अधिक पक्षियों का आगमन हुआ. इसमें पक्षियों की 190 प्रजातियां शामिल रहीं. साल 2020 में चिल्का झील में 11.04 लाख पक्षियों का आगमन हुआ था.
उल्लेखनीय है कि चिल्का झील में पक्षियों की गणना हर साल की जाती है. इस झील में उत्तरी यूरेशिया, कैस्पियन क्षेत्र, साइबेरिया, कजाकिस्तान, बैकाल झील सहित रूस और कई अन्य पड़ोसी देशों के पक्षी भी प्रवास करते हैं. दूरदराज के इलाकों से चिल्का झील आने वाले ये प्रवासी पक्षी हर साल यहां आते हैं और गर्मी की शुरुआत से पहले वापस लौट जाते हैं.
इसके अलावा चिल्का झील डॉल्फिन सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर उभरा है. चिल्का झील में इरावदी डॉल्फिन की संख्या भी गिनी गई थी. एक सर्वेक्षण के मुताबिक वर्ष 2019 में 150 डॉल्फिन के मुकाबले वर्ष 2020 में यह संख्या बढ़कर 156 हो गई.
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सीडीए अधिकारी सुशांत नंदा ने बताया था कि सरकार ने वन विभाग के साथ मिलकर इरावदी डॉल्फिन का संरक्षण शुरू किया है. इसके तहत चिल्का झील में उन स्थानों की पहचान की गई, जहां पर इन डॉल्फिन का निवास है, ताकि उचित प्रबंधन किया जा सके. इनके संरक्षण के लिए इनकी निगरानी की गई, झील में पर्यटन नौकाओं के चालकों को प्रशिक्षित किया गया और उन्हें जागरूक किया गया, मगरमुख धारा को खोला गया ताकि बाहरी जलाश्य से डॉल्फिन आसानी से मुख्य झील में आ सकें.