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Extortion Scam: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका खारिज

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Published : Oct 21, 2022, 3:24 PM IST

Updated : Oct 21, 2022, 8:40 PM IST

सीबीआई कोर्ट ने अवैध वसूली मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका खारिज (Anil Deshmukh bail plea rejected) कर दी है. देशमुख इस समय मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं.

अनिल देशमुख की जमानत याचिका खारिज
अनिल देशमुख की जमानत याचिका खारिज

मुंबई: सीबीआई की एक विशेष अदालत ने कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज (Anil Deshmukh bail plea rejected) कर दी. सीबीआई मामले में जांच कर रही है. अदालत ने कहा कि इस तरह के 'सफेदपोश' अपराध देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं और वह बर्खास्त पुलिस अधिकारी और आरोपी से वादामाफ गवाह बने सचिन वाजे के बयान को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. अदालत ने कहा कि देशमुख की 'सक्रिय भागीदारी' और 'सार्वजनिक दायित्व के निर्वहन में अनुचित लाभ' प्राप्त करने के प्रयास को देखते हुए उन्हें राहत नहीं दी जानी चाहिए.

देशमुख (71) ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा धनशोधन मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चार अक्टूबर को जमानत दिये जाने के बाद इस मामले में भी जमानत याचिका दाखिल की थी. अधिवक्ता अनिकेत निकम और इंद्रपाल सिंह के माध्यम से दायर जमानत याचिका में दावा किया गया था कि एनसीपी नेता देशमुख के खिलाफ मामला सीबीआई की 'मनमर्जी' पर टिका है और पूरा मामला पूर्व आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह और सचिन वाजे के बयानों पर आधारित था. जमानत याचिका में कहा गया है कि इस बात के सबूत हैं कि वाजे मुंबई में बार मालिकों से रिश्वत इकट्ठा करने वाला इकलौता व्यक्ति था. याचिका में दावा किया गया था कि वाजे और सिंह ने अपनी खाल बचाने के लिए झूठे बयान दिए.

  • Rs 100 crores extortion scam | Former Maharashtra minister Anil Deshmukh's bail plea rejected by CBI court

    — ANI (@ANI) October 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसएच ग्वालानी ने देशमुख को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि वाजे और अन्य के बयानों को 'अनदेखा' नहीं किया जा सकता है और उनमें बताए गए तथ्यों को जमानत की सुनवाई के चरण में आसानी से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. देशमुख की चिकित्सकीय स्थिति पर अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में पर्याप्त चिकित्सा मिल रही है. न्यायाधीश ने कहा कि देशमुख पर एक गंभीर अपराध का आरोप है, जिसमें एक बड़ी राशि शामिल है, और इस तरह के सफेदपोश अपराध राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं तथा इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा, एक हत्या आवेश में आकर की जा सकती है, लेकिन आर्थिक अपराध शांतचित्त गणना के साथ किए जाते हैं. जज ने कहा, मेरा विचार है कि इस तरह के गंभीर अपराधों को रोकने के लिए, याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है.

एनसीपी नेता को 2021 में दो नवंबर को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें पिछले हफ्ते कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मार्च 2021 में, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्तरां और बार से प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये उगाही करने का लक्ष्य दिया था. मार्च 2021 में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास 'एंटीलिया' के पास एक कार में मिली विस्फोटक सामग्री मामले में गिरफ्तार पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे ने भी उन पर इसी तरह के आरोप लगाए थे.

उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2021 में सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था. इस जांच के आधार पर सीबीआई ने देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक शक्ति के दुरुपयोग के लिए प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की थी. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सिंह द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद देशमुख ने अप्रैल 2021 में गृहमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

यह भी पढ़ें- एनसीपी नेता अनिल देशमुख को राहत, सुप्रीम कोर्ट का जमानत पर रोक लगाने से इनकार

मुंबई: सीबीआई की एक विशेष अदालत ने कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज (Anil Deshmukh bail plea rejected) कर दी. सीबीआई मामले में जांच कर रही है. अदालत ने कहा कि इस तरह के 'सफेदपोश' अपराध देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं और वह बर्खास्त पुलिस अधिकारी और आरोपी से वादामाफ गवाह बने सचिन वाजे के बयान को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. अदालत ने कहा कि देशमुख की 'सक्रिय भागीदारी' और 'सार्वजनिक दायित्व के निर्वहन में अनुचित लाभ' प्राप्त करने के प्रयास को देखते हुए उन्हें राहत नहीं दी जानी चाहिए.

देशमुख (71) ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा धनशोधन मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चार अक्टूबर को जमानत दिये जाने के बाद इस मामले में भी जमानत याचिका दाखिल की थी. अधिवक्ता अनिकेत निकम और इंद्रपाल सिंह के माध्यम से दायर जमानत याचिका में दावा किया गया था कि एनसीपी नेता देशमुख के खिलाफ मामला सीबीआई की 'मनमर्जी' पर टिका है और पूरा मामला पूर्व आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह और सचिन वाजे के बयानों पर आधारित था. जमानत याचिका में कहा गया है कि इस बात के सबूत हैं कि वाजे मुंबई में बार मालिकों से रिश्वत इकट्ठा करने वाला इकलौता व्यक्ति था. याचिका में दावा किया गया था कि वाजे और सिंह ने अपनी खाल बचाने के लिए झूठे बयान दिए.

  • Rs 100 crores extortion scam | Former Maharashtra minister Anil Deshmukh's bail plea rejected by CBI court

    — ANI (@ANI) October 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसएच ग्वालानी ने देशमुख को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि वाजे और अन्य के बयानों को 'अनदेखा' नहीं किया जा सकता है और उनमें बताए गए तथ्यों को जमानत की सुनवाई के चरण में आसानी से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. देशमुख की चिकित्सकीय स्थिति पर अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में पर्याप्त चिकित्सा मिल रही है. न्यायाधीश ने कहा कि देशमुख पर एक गंभीर अपराध का आरोप है, जिसमें एक बड़ी राशि शामिल है, और इस तरह के सफेदपोश अपराध राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं तथा इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा, एक हत्या आवेश में आकर की जा सकती है, लेकिन आर्थिक अपराध शांतचित्त गणना के साथ किए जाते हैं. जज ने कहा, मेरा विचार है कि इस तरह के गंभीर अपराधों को रोकने के लिए, याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है.

एनसीपी नेता को 2021 में दो नवंबर को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें पिछले हफ्ते कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मार्च 2021 में, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्तरां और बार से प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये उगाही करने का लक्ष्य दिया था. मार्च 2021 में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास 'एंटीलिया' के पास एक कार में मिली विस्फोटक सामग्री मामले में गिरफ्तार पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे ने भी उन पर इसी तरह के आरोप लगाए थे.

उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2021 में सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था. इस जांच के आधार पर सीबीआई ने देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक शक्ति के दुरुपयोग के लिए प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की थी. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सिंह द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद देशमुख ने अप्रैल 2021 में गृहमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

यह भी पढ़ें- एनसीपी नेता अनिल देशमुख को राहत, सुप्रीम कोर्ट का जमानत पर रोक लगाने से इनकार

Last Updated : Oct 21, 2022, 8:40 PM IST
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