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आंध्र प्रदेश में पेगासस विवाद, पूर्व खुफिया अधिकारी को नोटिस

आंध्र प्रदेश में पेगासस विवाद बढ़ता जा रहा है. प. बंगाल की मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने पेगासस खरीदा था. इसके बाद खुफिया शाखा के पूर्व अधिकारी ने कहा कि अप्रैल 2019 तक पेगासस स्पाइवेयर की खरीद या उपयोग नहीं किया गया था. जगनमोहन रेड्डी की सरकार पूरे मामले की जांच करना चाहती है.

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Published : Apr 5, 2022, 6:36 PM IST

अमरावती : आंध्र प्रदेश सरकार ने पेगासस विवाद पर मीडिया से बात करने के लिए पूर्व खुफिया प्रमुख और निलंबित आईपीएस अधिकारी एबी वेंकटेश्वर राव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. 21 मार्च को वेंकटेश्वर राव द्वारा संबोधित प्रेस कॉन्फ्रेंस को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव समीर शर्मा ने कारण बताओ नोटिस जारी किया. नोटिस के अनुसार, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी ने अखिल भारतीय सेवा नियमों के नियम 6 का उल्लंघन किया है. अधिकारी ने राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

एक सप्ताह के भीतर कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देने पर आईपीएस अधिकारी को कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. वेंकटेश्वर राव, जो पिछले तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) शासन के दौरान खुफिया प्रमुख थे, ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को तब संबोधित किया था, जब विधानसभा अध्यक्ष तम्मिनेनी सीताराम ने घोषणा की थी कि पेगासस मुद्दे की जांच के लिए एक हाउस कमेटी का गठन किया जाएगा.

हाउस कमेटी की घोषणा सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सदस्यों की मांग पर हुई, जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कथित दावे के आलोक में गहन जांच चाहते थे कि चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार ने पेगासस से स्पाइवेयर खरीदा था. वेंकटेश्वर राव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि न तो खुफिया शाखा और न ही किसी अन्य सरकारी विभाग ने अप्रैल 2019 तक पेगासस स्पाइवेयर की खरीद या उपयोग किया था. आईपीएस अधिकारी ने यह भी कहा कि राज्य के लोग चल रहे घटनाक्रम से डर और पीड़ा की स्थिति में हैं और पेगासस मुद्दे पर अफवाहों पर स्पष्टता लाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.

वेंकटेश्वर राव ने कहा कि खुफिया विभाग द्वारा खरीद के संबंध में उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप और उनके खिलाफ देशद्रोह के आरोप सच्चाई से बहुत दूर हैं. उन्होंने कहा, "मैंने राष्ट्र की सेवा में 30 साल तक काम किया है. आरोप लगाए गए हैं कि मैंने देशद्रोह का सहारा लिया और अन्य देशों के साथ रहस्य साझा किए. मुझ पर लगाए गए किसी भी आरोप को मेरे खिलाफ जारी चार्ज मेमो का हिस्सा नहीं बनाया गया." उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर विधायक चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी, मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्य जनसंपर्क अधिकारी और अन्य के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की अनुमति मांगी, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा.

फरवरी 2020 में, राज्य सरकार ने 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी वेंकटेश्वर राव को उनके कथित कदाचार और सुरक्षा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं के लिए निलंबित कर दिया था. अधिकारी पिछली सरकार के दौरान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खुफिया) के रूप में कार्यरत थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के करीबी माने जाने वाले राव को वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी के मई 2019 में पदभार ग्रहण करने के बाद खुफिया प्रमुख की जिम्मेदारी से हटा दिया गया था. वह पोस्टिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

ये भी पढे़ं : ममता का सनसनीखेज दावा, 'पेगासस खरीदने की हुई थी पेशकश'

अमरावती : आंध्र प्रदेश सरकार ने पेगासस विवाद पर मीडिया से बात करने के लिए पूर्व खुफिया प्रमुख और निलंबित आईपीएस अधिकारी एबी वेंकटेश्वर राव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. 21 मार्च को वेंकटेश्वर राव द्वारा संबोधित प्रेस कॉन्फ्रेंस को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव समीर शर्मा ने कारण बताओ नोटिस जारी किया. नोटिस के अनुसार, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी ने अखिल भारतीय सेवा नियमों के नियम 6 का उल्लंघन किया है. अधिकारी ने राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

एक सप्ताह के भीतर कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देने पर आईपीएस अधिकारी को कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. वेंकटेश्वर राव, जो पिछले तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) शासन के दौरान खुफिया प्रमुख थे, ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को तब संबोधित किया था, जब विधानसभा अध्यक्ष तम्मिनेनी सीताराम ने घोषणा की थी कि पेगासस मुद्दे की जांच के लिए एक हाउस कमेटी का गठन किया जाएगा.

हाउस कमेटी की घोषणा सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सदस्यों की मांग पर हुई, जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कथित दावे के आलोक में गहन जांच चाहते थे कि चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार ने पेगासस से स्पाइवेयर खरीदा था. वेंकटेश्वर राव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि न तो खुफिया शाखा और न ही किसी अन्य सरकारी विभाग ने अप्रैल 2019 तक पेगासस स्पाइवेयर की खरीद या उपयोग किया था. आईपीएस अधिकारी ने यह भी कहा कि राज्य के लोग चल रहे घटनाक्रम से डर और पीड़ा की स्थिति में हैं और पेगासस मुद्दे पर अफवाहों पर स्पष्टता लाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.

वेंकटेश्वर राव ने कहा कि खुफिया विभाग द्वारा खरीद के संबंध में उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप और उनके खिलाफ देशद्रोह के आरोप सच्चाई से बहुत दूर हैं. उन्होंने कहा, "मैंने राष्ट्र की सेवा में 30 साल तक काम किया है. आरोप लगाए गए हैं कि मैंने देशद्रोह का सहारा लिया और अन्य देशों के साथ रहस्य साझा किए. मुझ पर लगाए गए किसी भी आरोप को मेरे खिलाफ जारी चार्ज मेमो का हिस्सा नहीं बनाया गया." उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर विधायक चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी, मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्य जनसंपर्क अधिकारी और अन्य के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की अनुमति मांगी, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा.

फरवरी 2020 में, राज्य सरकार ने 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी वेंकटेश्वर राव को उनके कथित कदाचार और सुरक्षा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं के लिए निलंबित कर दिया था. अधिकारी पिछली सरकार के दौरान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खुफिया) के रूप में कार्यरत थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के करीबी माने जाने वाले राव को वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी के मई 2019 में पदभार ग्रहण करने के बाद खुफिया प्रमुख की जिम्मेदारी से हटा दिया गया था. वह पोस्टिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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