अमरावती : आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के मन्नवरम गांव में एनटीपीसी-भेल बिजली परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (NBPPL) कंपनी अपना कामकाज बंद करने की कगार पर है, इसलिए राज्य सरकार ने कंपनी को दी गई लगभग 750 करोड़ एकड़ भूमि वापस लेने की इच्छा जताई है.
इसके अलावा राज्य सरकार उन भूखंडों की सूची भी बना रही है जिन्हें केंद्र सरकार के अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आंध्र प्रदेश में अपनी इकाई स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर दिया गया था.
आंध्र सरकार ने केंद्र से कहा, 'अगर केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तय समय सीमा पर निवेश नहीं कर पा रहे हैं और अपनी इकाइयां स्थापित नहीं कर रहे हैं तो भूमि को राज्य सरकार को वापस दिया जाना चाहिए. हम उस जमीन का वैकल्पिक इस्तेमाल कर सकते हैं.'
वाईएस राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व में अविभाजित आंध्र प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 2009 में 753.85 एकड़ भूमि एनबीपीपीएल को प्रति एकड़ सौ रुपये की दर से दी थी. बिजली संयंत्रों के लिए उत्पादन उपकरण बनाने के वास्ते संयंत्र स्थापित करने के लिए जमीन दी गई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक सितंबर 2010 को श्रीकालाहस्ती में परियोजना की आधारशिला रखी थी.
इस संयुक्त परियोजना के तहत छह हजार करोड़ रुपये का निवेश होना था और सीधे तौर पर छह हजार रोजगार का सृजन होना था तथा 2015 में इकाई के पूरी तैयार होने के बाद 30 हजार लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से नौकरियों के अवसर पैदा होने थे. अभी तक एनबीपीपीएल में केवल 63 लोग ही काम करते हैं.
इस परियोजना के तहत देश में पहला एकीकृत प्लांट बनने वाला था जिसमें एक ही छत के नीचे टरबाइन, जनरेटर और बॉयलर का निर्माण होना था तथा इसकी वार्षिक क्षमता पांच हजार मेगावाट उपकरण आंकी गई थी. लेकिन यह परियोजना आकार नहीं ले सकी और एनबीपीपीएल अब केवल कोयला और ऐश तथा जल संवर्धन संयंत्र संबंधी 'पैकेज' बनाती है.
उद्योग एवं अवसंरचना विभाग के एक उच्च अधिकारी ने कहा, 'कंपनी प्रबंधन ने हमें बताया है कि वह अपना कामकाज समेटने की कगार पर है. अभी 748.64 एकड़ भूमि उसके पास है जिसका उपयोग नहीं किया जा रहा है क्योंकि परियोजना केवल 5.21 एकड़ में है.'
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अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने निवेश और रोजगार सृजन की अपनी प्रतिबद्धता को भी पूरा नहीं किया और भूखंड बेकार पड़ा हुआ है. अधिकारी ने कहा कि इसलिए राज्य सरकार एनबीपीपीएल से 748.64 एकड़ भूमि आंध्र प्रदेश अवसंरचना निगम को लौटने को कह रही है और इस भूमिक का मूल्य सैकड़ों करोड़ रुपये है.
(पीटीआई-भाषा)