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हाईकोर्ट ने मार्गदर्शी चिट समूह पर आपत्तियां जताने के लिए जारी सार्वजनिक नोटिस पर लगाई रोक

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने चिट्स रजिस्ट्रार के उस सार्वजनिक नोटिस पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने ग्राहकों से मार्गदर्शी चिट ग्रुप के खिलाफ आपत्तियां उठाने के लिए कहा था.

Margadarshi Chit Group
मार्गदर्शी चिट समूह
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Published : Aug 11, 2023, 8:04 PM IST

हैदराबाद: मार्गदर्शी चिटफंड मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार ऑफ चिट्स की ओर से जारी हालिया सार्वजनिक नोटिस पर रोक लगाते हुए हस्तक्षेप किया है. नोटिस में ग्राहकों से मार्गदर्शी चिट ग्रुप (Margadarshi Chit Group) को बंद कराने के लिए अपनी आपत्तियां जताने की अपील की गई थी. कोर्ट ने नोटिस के कार्यान्वयन को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है.

दरअसल चिट्स रजिस्ट्रार ने ग्राहकों से सरकारी वेबसाइट पर चिट समूहों के संबंध में आपत्तियां उठाने को कहा था. इस साल 30 जुलाई को सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया था. जिसके बाद विभिन्न हितधारकों ने चिंता जताई और मामला हाईकोर्ट में उठाया.

कोर्ट का ये फैसला सिर्फ नोटिस के कार्यान्वयन पर रोक लगाने तक ही सीमित नहीं है. कोर्ट का फैसला सार्वजनिक सूचना की सामग्री के आधार पर शुरू की जाने वाली किसी भी बाद की कार्रवाई पर भी रोक लगाता है.

उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश ने मामले को व्यापक तरीके से संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया है. न्यायाधीश ने घोषणा की कि ग्राहकों द्वारा पहले दायर की गई याचिकाओं सहित सभी प्रासंगिक याचिकाओं को इकट्ठा किया जाएगा और सामूहिक रूप से सुनवाई की जाएगी. ऐसा करने के पीछे उद्देश्य सभी दृष्टिकोणों और कानूनी तर्कों पर गहन व निष्पक्ष विचार सुनिश्चित करना है.

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दरअसल चिट्स रजिस्ट्रार ने ग्राहकों से सरकारी वेबसाइट पर चिट समूहों के संबंध में आपत्तियां उठाने को कहा था. इस साल 30 जुलाई को सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया था. जिसके बाद विभिन्न हितधारकों ने चिंता जताई और मामला हाईकोर्ट में उठाया.

कोर्ट का ये फैसला सिर्फ नोटिस के कार्यान्वयन पर रोक लगाने तक ही सीमित नहीं है. कोर्ट का फैसला सार्वजनिक सूचना की सामग्री के आधार पर शुरू की जाने वाली किसी भी बाद की कार्रवाई पर भी रोक लगाता है.

उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश ने मामले को व्यापक तरीके से संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया है. न्यायाधीश ने घोषणा की कि ग्राहकों द्वारा पहले दायर की गई याचिकाओं सहित सभी प्रासंगिक याचिकाओं को इकट्ठा किया जाएगा और सामूहिक रूप से सुनवाई की जाएगी. ऐसा करने के पीछे उद्देश्य सभी दृष्टिकोणों और कानूनी तर्कों पर गहन व निष्पक्ष विचार सुनिश्चित करना है.

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