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आंध्र प्रदेश की अदालत ने 1,050 करोड़ की मार्गदर्शी संपत्ति की जब्ती के आदेश को करार दिया अमान्य

आंध्र प्रदेश सीआईडी, जो 1,050 करोड़ रुपये की मार्गदर्शी चिट फंड संपत्तियों की अंतरिम जब्ती को औपचारिक बनाना चाहती थी, ग्राहक को भुगतान करने में चिट फंड समूह से विचलन का कोई सबूत पेश नहीं कर सकी. मार्गदर्शी के वकील की दलीलें दर्ज करते हुए, गुंटूर प्रधान जिला न्यायाधीश ने एडीजीपी की याचिकाएं खारिज कर दीं. Margdarsh Chit Fund, AP CID's petition against Margadarshi

confiscation of guide property
मार्गदर्शी संपत्ति की जब्ती
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 12, 2023, 3:18 PM IST

अमरावती: गुंटूर के प्रधान जिला न्यायाधीश ने सोमवार को आंध्र प्रदेश सीआईडी की तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मार्गदर्शी चिट फंड की 1,050 करोड़ रुपये की संपत्तियों की जब्ती को अंतिम रूप देने की मांग की गई थी. साथ ही कुर्की को लागू करने के लिए इस्तेमाल किए गए संबंधित सरकारी आदेशों को अमान्य करार दिया था.

अदालत ने यह निष्कर्ष निकालने के बाद एडीजीपी आंध्र प्रदेश सीआईडी द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया कि सीआईडी यह साबित नहीं कर सकी कि मार्गदर्शी अपने ग्राहकों को परिपक्वता पर भुगतान करने में विफल रही थी.

गुंटूर के प्रधान जिला न्यायाधीश वाईवीएसबीजी पार्थसारथी ने यह फैसला सुनाया कि सरकार के तीन आदेश - 29 मई को जारी जीओ 104, 15 जून को जीओ 116 और 27 जुलाई को जीओ 134 जारी किया गया, जिसमें लंबी सुनवाई के बाद सीआईडी को 1,050 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को निष्फल मानते हुए 'विज्ञापन अंतरिम' जब्ती करने की अनुमति दी गई.

वरिष्ठ अधिवक्ता पोसानी वेंकटेश्वरलू और अधिवक्ता पी राजाराव, जिन्होंने मार्गदर्शी की ओर से दलीलें पेश कीं, उन्होंने कहा कि कंपनी की संपत्ति जब्त करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि किसी भी ग्राहक ने भुगतान न करने की शिकायत नहीं की है. वकील ने सरकार और सीआईडी पर ग्राहकों की सुरक्षा की आड़ में संपत्तियों को जब्त करने की पहल करने का आरोप लगाया, जबकि दोहराया कि मार्गदर्शी की व्यावसायिक गतिविधियां चिट फंड के नियमों के अधीन थीं.

वकील ने कहा कि यदि चिटों के प्रबंधन में कोई कमी हो तो उनके साथ चिट फंड अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निपटा जाना चाहिए था, इसके बजाय, सीआईडी एपी वित्तीय प्रतिष्ठान जमाकर्ताओं के संरक्षण अधिनियम (एपी जमाकर्ता अधिनियम-1999) को लागू कर रही है और संपत्ति जब्त कर रही है.

उन्होंने कहा कि संपत्ति की जब्ती ग्राहकों के कल्याण के लिए हानिकारक होगी, क्योंकि कंपनी पर अपने ग्राहकों के पैसे का भुगतान नहीं करने का कोई आरोप नहीं है. वकील ने कहा कि मार्गदर्शी का व्यवसाय चार राज्यों में है और एपी सीआईडी के आरोपों के पीछे किसी अन्य राज्य के विपरीत एक दुर्भावनापूर्ण इरादा है.

वकील ने कहा कि सीआईडी ने अदालत के समक्ष जानकारी नहीं रखी है, जबकि अदालत ने उन्हें उन ग्राहकों की संख्या, जिनके पैसे नहीं मिले हैं, उनके नाम और उन्हें देय राशि का विवरण जमा करने का आदेश दिया है. सीआईडी यह साबित करने के लिए अदालत के समक्ष कोई सबूत नहीं रख पाई है कि मार्गदर्शी अपने ग्राहकों को पैसे का भुगतान करने में विफल रही है और जब्ती के आदेश मनमाने और प्रतिशोधी नहीं होने चाहिए.

उन्होंने तर्क दिया कि सरकार के पास संपत्तियों को जब्त करने की बेलगाम शक्तियां नहीं हैं. मार्गदर्शी वकील ने अदालत से सीआईडी की याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया. सीआईडी के वकील ने तर्क दिया कि जब्ती का उद्देश्य ग्राहकों के हितों की रक्षा करना था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद, न्यायाधीश ने कहा कि सीआईडी यह साबित नहीं कर सकी कि मार्गदर्शी ग्राहकों को पैसे का भुगतान करने में विफल रही थी.

इसे इसका कारण बताते हुए, अदालत ने सरकार द्वारा जारी किए गए जीओ 104, 116 और 134 को रद्द कर दिया, जिससे मार्गदर्शी चिट फंड संपत्तियों की अंतरिम जब्ती की सुविधा मिल सके. सीआईडी द्वारा दायर सभी तीन संबंधित मुकदमों को भी अदालत ने खारिज कर दिया.

पढ़ें: तेलंगाना हाई कोर्ट ने मार्गदर्शी मामले में AP CID से पूछा सवाल, 'लुक-आउट सर्कुलर अदालत की अवमानना है या नहीं?'

पढ़ें: Margadarsi Chit Funds New Branch: मार्गदर्शी चिट फंड्स ने कर्नाटक के हावेरी में खोली नई शाखा, पूरे देश में संख्या पहुंची 110

अमरावती: गुंटूर के प्रधान जिला न्यायाधीश ने सोमवार को आंध्र प्रदेश सीआईडी की तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मार्गदर्शी चिट फंड की 1,050 करोड़ रुपये की संपत्तियों की जब्ती को अंतिम रूप देने की मांग की गई थी. साथ ही कुर्की को लागू करने के लिए इस्तेमाल किए गए संबंधित सरकारी आदेशों को अमान्य करार दिया था.

अदालत ने यह निष्कर्ष निकालने के बाद एडीजीपी आंध्र प्रदेश सीआईडी द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया कि सीआईडी यह साबित नहीं कर सकी कि मार्गदर्शी अपने ग्राहकों को परिपक्वता पर भुगतान करने में विफल रही थी.

गुंटूर के प्रधान जिला न्यायाधीश वाईवीएसबीजी पार्थसारथी ने यह फैसला सुनाया कि सरकार के तीन आदेश - 29 मई को जारी जीओ 104, 15 जून को जीओ 116 और 27 जुलाई को जीओ 134 जारी किया गया, जिसमें लंबी सुनवाई के बाद सीआईडी को 1,050 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को निष्फल मानते हुए 'विज्ञापन अंतरिम' जब्ती करने की अनुमति दी गई.

वरिष्ठ अधिवक्ता पोसानी वेंकटेश्वरलू और अधिवक्ता पी राजाराव, जिन्होंने मार्गदर्शी की ओर से दलीलें पेश कीं, उन्होंने कहा कि कंपनी की संपत्ति जब्त करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि किसी भी ग्राहक ने भुगतान न करने की शिकायत नहीं की है. वकील ने सरकार और सीआईडी पर ग्राहकों की सुरक्षा की आड़ में संपत्तियों को जब्त करने की पहल करने का आरोप लगाया, जबकि दोहराया कि मार्गदर्शी की व्यावसायिक गतिविधियां चिट फंड के नियमों के अधीन थीं.

वकील ने कहा कि यदि चिटों के प्रबंधन में कोई कमी हो तो उनके साथ चिट फंड अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निपटा जाना चाहिए था, इसके बजाय, सीआईडी एपी वित्तीय प्रतिष्ठान जमाकर्ताओं के संरक्षण अधिनियम (एपी जमाकर्ता अधिनियम-1999) को लागू कर रही है और संपत्ति जब्त कर रही है.

उन्होंने कहा कि संपत्ति की जब्ती ग्राहकों के कल्याण के लिए हानिकारक होगी, क्योंकि कंपनी पर अपने ग्राहकों के पैसे का भुगतान नहीं करने का कोई आरोप नहीं है. वकील ने कहा कि मार्गदर्शी का व्यवसाय चार राज्यों में है और एपी सीआईडी के आरोपों के पीछे किसी अन्य राज्य के विपरीत एक दुर्भावनापूर्ण इरादा है.

वकील ने कहा कि सीआईडी ने अदालत के समक्ष जानकारी नहीं रखी है, जबकि अदालत ने उन्हें उन ग्राहकों की संख्या, जिनके पैसे नहीं मिले हैं, उनके नाम और उन्हें देय राशि का विवरण जमा करने का आदेश दिया है. सीआईडी यह साबित करने के लिए अदालत के समक्ष कोई सबूत नहीं रख पाई है कि मार्गदर्शी अपने ग्राहकों को पैसे का भुगतान करने में विफल रही है और जब्ती के आदेश मनमाने और प्रतिशोधी नहीं होने चाहिए.

उन्होंने तर्क दिया कि सरकार के पास संपत्तियों को जब्त करने की बेलगाम शक्तियां नहीं हैं. मार्गदर्शी वकील ने अदालत से सीआईडी की याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया. सीआईडी के वकील ने तर्क दिया कि जब्ती का उद्देश्य ग्राहकों के हितों की रक्षा करना था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद, न्यायाधीश ने कहा कि सीआईडी यह साबित नहीं कर सकी कि मार्गदर्शी ग्राहकों को पैसे का भुगतान करने में विफल रही थी.

इसे इसका कारण बताते हुए, अदालत ने सरकार द्वारा जारी किए गए जीओ 104, 116 और 134 को रद्द कर दिया, जिससे मार्गदर्शी चिट फंड संपत्तियों की अंतरिम जब्ती की सुविधा मिल सके. सीआईडी द्वारा दायर सभी तीन संबंधित मुकदमों को भी अदालत ने खारिज कर दिया.

पढ़ें: तेलंगाना हाई कोर्ट ने मार्गदर्शी मामले में AP CID से पूछा सवाल, 'लुक-आउट सर्कुलर अदालत की अवमानना है या नहीं?'

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